स्टेट डेस्क, आर्या कुमारी |
बिहार में चुनावी माहौल गर्म है और महिला मतदाता इस बार भी दोनों गठबंधनों के केंद्र में हैं। एनडीए जहां डीबीटी के ज़रिए महिलाओं को आर्थिक मजबूती देने की बात कर रहा है, वहीं महागठबंधन ‘माई बहन मान’ योजना के तहत हर महीने 2,500 रुपये और 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा कर रहा है। अब नजर इस पर है कि महिलाएं किस ओर झुकती हैं।
बिहार की राजनीति में यह स्थापित सच है कि महिला वोटर को अपने पक्ष में रखना जीत की कुंजी है। इसी वजह से सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी महागठबंधन, दोनों ने महिलाओं के लिए पेंशन, मानदेय और प्रत्यक्ष आर्थिक सहायता जैसी योजनाओं को अपने घोषणापत्र में अहम जगह दी है।
NDA का दांव:
- DBT पर फोकस
महाराष्ट्र की ‘लड़की बहन योजना’ और हरियाणा की ‘लाडो लक्ष्मी योजना’ से प्रेरणा लेते हुए बिहार सरकार ने डीबीटी मॉडल को अपनाया। चुनाव से कुछ महीने पहले नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ शुरू की, जिसके तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली से बटन दबाकर 75 लाख महिलाओं के खातों में सीधे 10-10 हजार रुपये भेजे।
7,500 करोड़ रुपये की यह योजना स्वरोज़गार और आजीविका सृजन के रूप में पेश की गई, लेकिन इसके समय ने इसे स्पष्ट रूप से चुनावी रंग दे दिया।
- पेंशन में तीन गुना बढ़ोतरी
सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करते हुए नीतीश कुमार ने विधवाओं, वृद्धों और विकलांगों की पेंशन 400 रुपये से बढ़ाकर 1,100 रुपये कर दी। इससे 1.9 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को फायदा हुआ। बढ़ी हुई राशि हर महीने की 10 तारीख तक सीधे खातों में जमा की जा रही है।
- आशा और ममता कार्यकर्ताओं के मानदेय में बढ़ोतरी
आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय 1,000 रुपये से बढ़ाकर 3,000 रुपये कर दिया गया, जबकि ममता कार्यकर्ताओं का इंसेंटिव 300 रुपये से बढ़ाकर 600 रुपये प्रति प्रसव कर दिया गया। सरकार ने इसे ग्रामीण स्वास्थ्य में उनके योगदान का सम्मान बताया, लेकिन चुनावी समय को देखते हुए इसे राजनीतिक रूप से अहम कदम माना जा रहा है। इससे 95,000 आशा और 4,600 ममता कार्यकर्ताओं को फायदा मिलेगा।
- ग्रामीण उद्यमिता को बल
चुनावों से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने “जीविका निधि” योजना की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य ग्रामीण महिला उद्यमियों को ऋण तक आसान पहुंच दिलाना था। इस योजना के तहत महिलाओं की संस्थाओं के खातों में 105 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए। प्रधानमंत्री ने इसे “शुभ शुरुआत” बताते हुए महिला सशक्तिकरण को देश के विकास की रीढ़ बताया।
यह योजना पूरी तरह ऑनलाइन प्रणाली के तहत संचालित हुई, जिससे जीविका समूहों से जुड़ी महिलाओं के खातों में पारदर्शी और त्वरित हस्तांतरण सुनिश्चित हुआ।
महागठबंधन के वादे:
- हर महिला को 2,500 रुपये प्रति माह
महागठबंधन ने घोषणा की है कि सत्ता में आने पर वंचित वर्ग की महिलाओं को ‘माई बहन मान’ योजना के तहत 2,500 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे। यह पहल महिलाओं को सीधे आर्थिक सहायता देने और समय पर भुगतान सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। गठबंधन ने इसे आर्थिक सशक्तिकरण और सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक कदम बताया है, साथ ही मौजूदा सरकार के अनियमित भुगतानों पर सवाल भी उठाए हैं।
- 200 यूनिट मुफ्त बिजली
महागठबंधन ने वादा किया है कि सत्ता में आने पर हर घर को 200 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाएगी, ताकि घरेलू खर्चों में राहत मिल सके। इस घोषणा को चुनावी दौर में समर्थन जुटाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, इसके कुछ समय बाद मौजूदा सरकार ने भी 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का ऐलान कर दिया।
अब देखना यह होगा कि महिला मतदाता इन योजनाओं को सशक्तिकरण का अवसर मानेंगी या चुनावी मौसम की एक और राजनीतिक रणनीति।







