
राष्ट्रीय डेस्क, आर्या कुमारी |
मुंबई अंडरवर्ल्ड का किंग अरुण गवली 17 वर्ष बाद जेल से रिहा, 76 साल की उम्र में मिली जमानत
गैंगस्टर अरुण गवली को 17 वर्षों की कारावास के बाद जेल से मुक्ति मिल गई है। अपराध जगत छोड़कर राजनीति में प्रवेश करने वाले गवली पार्षद हत्या मामले में सजा भुगत रहे थे।
मुंबई: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में कभी भय का नाम रहे गैंगस्टर अरुण गवली 17 वर्षों बाद कारागार से रिहा हो गए हैं। गैंगस्टर अरुण गवली नागपुर कारागार से जमानत पर बाहर निकले हैं। उन्हें सर्वोच्च न्यायालय से जमानत प्राप्त हुई थी। नागपुर पुलिस की सुरक्षा में अरुण गवली को नागपुर के डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर एयरपोर्ट लाया गया फिर हवाई जहाज से मुंबई भेजा गया। अरुण गवली 2004 में विधायक बने थे, अखिल भारतीय सेना के प्रत्याशी के रूप में मुंबई की चिंचपोकली विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की थी। विधायक का कार्यकाल 2004 से 2009 तक चला।
सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को अरुण गवली को जमानत प्रदान की थी। गवली 2007 में मुंबई में शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मुकदमे में आजीवन कारावास भुगत रहे थे। गवली को आजीवन कारावास की सजा मिली थी। गवली मुंबई के शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामले में जेल में बंद थे। नागपुर केंद्रीय कारागार में आजीवन कारावास काट रहे थे। गवली को मुंबई के शिवसेना पार्षद कमलाकर जमसांदेकर की 2007 में हुई हत्या के मुकदमे में मुंबई सत्र न्यायालय ने 2012 में आजीवन कारावास सुनाई थी। बाद में उन्हें नागपुर की जेल भेज दिया गया।
शिवसेना पार्षद हत्या मुकदमे में गवली को 28 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय ने जमानत प्रदान की थी। बेल स्वीकार करते समय जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इस बात पर विचार किया था कि गवली 17 वर्षों से अधिक समय से कारागार में हैं। उनकी आयु भी 76 वर्ष हो गई है। पार्षद हत्या मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2019 में निचली अदालत के निर्णय को बरकरार रखा था। गवली के आजीवन कारावास को कायम रखा गया था।
इस निर्णय को गवली ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। गैंगस्टर अरुण गवली अपराध जगत से बाहर निकलकर राजनीति में आए और विधायक बने। गवली को 2006 में गिरफ्तार किया गया था और जमसांडेकर की हत्या मामले में मुकदमा चलाया गया था। अगस्त 2012 में मुंबई की एक सेशन कोर्ट ने गवली को इसी मुकदमे में आजीवन कारावास सुनाई और 17 लाख रुपये का दंड लगाया था।