
नेशनल डेस्क, श्रेया पांडेय |
ईडी का मुंबई के पांच सितारा होटल पर छापा, ₹117.06 करोड़ के PMLA मामले में मुख्य आरोपी गिरफ्तार.....
मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुंबई में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए करोड़ों रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में फरार चल रहे एक प्रमुख आरोपी को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी दक्षिण मुंबई के एक आलीशान पांच सितारा होटल से की गई, जहां आरोपी पिछले दो महीनों से छिपा हुआ था। ईडी ने इस छापेमारी के दौरान ₹9.5 लाख नकद, ₹2.33 करोड़ मूल्य के सोने और हीरे के आभूषण, दो लग्जरी गाड़ियां और कई डिजिटल उपकरण जब्त किए हैं। इसके अलावा, आरोपी से जुड़े 50 से अधिक बैंक खातों को भी फ्रीज कर दिया गया है।
गिरफ्तार किए गए आरोपी की पहचान अमित अशोक थेपड़े के रूप में हुई है, जो पुणे स्थित दो रियल एस्टेट कंपनियों- गैलेक्सी कंस्ट्रक्शंस एंड कॉन्ट्रैक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड (GCCPL) और मित्सोम एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड (MEPL) के निदेशक हैं। ईडी की जांच के अनुसार, थेपड़े कैनरा बैंक से जुड़े ₹117.06 करोड़ के बैंक धोखाधड़ी मामले में मुख्य साजिशकर्ता है। उस पर आरोप है कि उसने बैंक से धोखाधड़ी करने के लिए ऐसी संपत्तियों को गिरवी रखा, जिन्हें पहले ही बेचा जा चुका था, या एक ही संपत्ति को दो बार गिरवी रखकर करोड़ों का कर्ज लिया।
ईडी ने यह कार्रवाई केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), एसीबी, पुणे द्वारा दर्ज की गई दो एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। जांच में पाया गया कि अमित थेपड़े ने आपराधिक गतिविधियों से अर्जित अवैध धन को वैध संपत्ति के रूप में दिखाने के लिए एक जटिल वित्तीय नेटवर्क बनाया था। वह लंबे समय से अधिकारियों से बच रहा था, लेकिन ईडी को खुफिया जानकारी मिली कि वह दक्षिण मुंबई के एक महंगे होटल में रुका हुआ है। इस जानकारी के आधार पर, ईडी के अधिकारियों ने छापा मारा और उसे गिरफ्तार कर लिया।
छापेमारी के दौरान बरामद किए गए दस्तावेजों और डिजिटल साक्ष्यों से इस मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट की गहराई और भी सामने आने की उम्मीद है। ईडी के अनुसार, थेपड़े ने धन के अवैध प्रवाह को छिपाने के लिए कई लेनदेन किए। गिरफ्तारी के बाद, आरोपी को विशेष PMLA अदालत में पेश किया गया, जिसने उसे पांच दिन की ईडी हिरासत में भेज दिया है। यह कार्रवाई बैंक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ सरकार की सख्त कार्रवाई को दर्शाती है। ईडी इस मामले में आगे की जांच कर रही है ताकि अन्य सहयोगियों की पहचान की जा सके और अवैध रूप से अर्जित संपत्ति का पता लगाया जा सके।