
श्रेयांश पराशर |
विजय माल्या ने 9 साल की चुप्पी तोड़ते हुए यूट्यूबर राज शमानी के पॉडकास्ट में खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने खुद को 'भगोड़ा' या 'चोर' कहे जाने का विरोध किया और कहा कि उन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली को अपनी यात्रा की जानकारी दी थी। उन्होंने दावा किया कि बैंकों ने उनसे ज्यादा पैसा वसूला है और किंगफिशर एयरलाइंस की नाकामी के लिए सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं।
किंगफिशर एयरलाइंस और बैंक लोन फ्रॉड मामले में घिरे उद्योगपति विजय माल्या ने लंबे समय बाद मीडिया से बातचीत की है। यूट्यूबर राज शमानी के पॉडकास्ट में करीब चार घंटे की बातचीत में माल्या ने अपने ऊपर लगे आरोपों, जीवन के उतार-चढ़ाव, और किंगफिशर के पतन की असली वजहों पर अपनी बात रखी। उन्होंने साफ कहा, "मैं न तो भगोड़ा हूं और न चोर।"
माल्या ने दावा किया कि 2 मार्च 2016 को जब वे जेनेवा में FIA मीटिंग के लिए लंदन जा रहे थे, उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली को इसकी जानकारी दी थी। उन्होंने कहा कि यह कोई भागने की योजना नहीं थी, बल्कि पासपोर्ट रद्द होने के कारण वे लंदन में अटक गए।
उन्होंने यह भी बताया कि उनके ऊपर बैंकों का 6200 करोड़ रुपये का बकाया बताया गया, लेकिन बैंकों ने ब्याज समेत 14,000 करोड़ से ज्यादा वसूले हैं। "मेरे ऊपर जो लोन डिफॉल्ट का आरोप है, उसमें भी ब्याज जोड़कर रकम बढ़ा दी गई।"
पॉडकास्ट में माल्या ने अपने बचपन से लेकर किंगफिशर की शुरुआत तक की यात्रा साझा की। उन्होंने बताया कि कैसे 1983 में 27 साल की उम्र में UB ग्रुप संभाला और किंगफिशर बीयर, मैकडॉवेल्स और बर्जर पेंट्स को ग्लोबल ब्रांड बना दिया।
किंगफिशर एयरलाइंस के पतन पर माल्या ने कहा कि 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट, क्रूड ऑयल की कीमतों में भारी उछाल और सरकार की नीतियों ने एयरलाइन को बर्बादी की ओर धकेला। "हमने सरकार से ATF पर टैक्स में राहत मांगी, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। विदेशी निवेश की मंजूरी भी रोकी गई, जिससे संभावित डील्स रुक गईं।"
माल्या ने कहा, "अगर उस समय सरकार ने मदद की होती, तो किंगफिशर आज इंडिगो या एयर इंडिया की तरह कामयाब होती। बिजनेस में हार-जीत चलती रहती है, लेकिन मुझे भगोड़ा कहना अन्याय है।"