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मोतिहारी: स्वतंत्रता सेनानी रामदयाल प्रसाद साह के योगदान पर चिंतन-गोष्ठी

लोकल डेस्क, एन. के. सिंह।

गांधी टावर, पटना के उपनिदेशक ने साह की जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल करने और संग्रहालय बनाने का सुझाव दिया।

पूर्वी चंपारण: अखंड भारत एकता परिषद, पूर्वी चंपारण द्वारा शहर के एक आवासीय होटल में शनिवार को "स्वतंत्रता सेनानी रामदयाल प्रसाद साह एवं साह परिवार के योगदान" विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि चंपारण सत्याग्रह आंदोलन की सफलता और मोतिहारी के सर्वांगीण विकास में साह परिवार के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

कार्यक्रम का आरंभ और प्रस्तुति

विचार गोष्ठी का आरंभ अतिथियों के सम्मान के साथ हुआ, जिसमें स्वतंत्रता सेनानी रामदयाल प्रसाद साह के प्रपौत्र डॉ. चंदन जायसवाल ने अतिथियों का अंगवस्त्र और पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। डॉ. जायसवाल ने 141 पृष्ठों का एक विस्तृत पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया, जिसमें महात्मा गांधी को चंपारण लाने से लेकर सत्याग्रह आंदोलन और देश की आजादी तक में साह परिवार की अग्रणी भूमिका का उल्लेख किया गया था। इस प्रस्तुति में मोतिहारी के शैक्षणिक, धार्मिक और सामाजिक विकास में उनके योगदान को भी विस्तार से रेखांकित किया गया।

वक्ताओं के विचार

मुख्य अतिथि प्रोफेसर सुनील महावर, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के समाज विज्ञान संकाय के डीन, ने कहा कि रामदयाल प्रसाद साह ने न केवल मोतिहारी के शैक्षणिक और सामाजिक वातावरण को सशक्त बनाया, बल्कि महात्मा गांधी को चंपारण लाने और सत्याग्रह आंदोलन को सफल बनाने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होंने जोर देकर कहा कि चंपारण आंदोलन ने ही देश की आजादी का मार्ग प्रशस्त किया था।

विशिष्ट अतिथि ललित कुमार सिंह, गांधी टावर पटना के उपनिदेशक, ने इस बात पर जोर दिया कि जहाँ भी राजकुमार शुक्ल का जिक्र होगा, वहाँ रामदयाल प्रसाद साह का नाम भी अवश्य लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि साह की जीवनी को शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल कराने के लिए प्रयास किए जाएंगे और उनके परिवार के स्वतंत्रता सेनानियों की याद में एक संग्रहालय भी बनाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी घोषणा की कि रामदयाल प्रसाद साह की जीवनी को गांधी टावर, पटना में प्रदर्शित किया जाएगा और महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय में उनके नाम पर गोल्ड मेडल प्रतियोगिता आयोजित कराने का सुझाव भी दिया।
गांधी शांति अध्ययन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर युगल किशोर दधीच ने रामदयाल प्रसाद साह को सर्वधर्म समभाव और धर्मनिरपेक्षता का प्रबल समर्थक बताया। उन्होंने कहा कि साह ईश्वर और अल्लाह को एक मानते थे, जिसके चलते उन्होंने मंदिर, मस्जिद, ईदगाह, विद्यालय और रेडक्रॉस कॉलेज जैसी सार्वजनिक संस्थाओं के लिए अपनी जमीन दान कर दी। यह उनके सामाजिक कल्याण और भाईचारे की भावना का प्रतीक है।

अध्यक्षीय भाषण में वरिष्ठ पत्रकार और गांधी संग्रहालय मोतिहारी के उपाध्यक्ष चंद्रभूषण पांडेय ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी रामदयाल प्रसाद साह की स्मृति हमें महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलने और समाज में सद्भाव बनाए रखने की प्रेरणा देती है।

गोष्ठी में अन्य वक्ताओं, जिनमें किशोर पांडेय, अशोक कुमार वर्मा, प्रमोद स्टीफन, विनय कुमार वर्मा, संजय सत्यार्थी, अधिवक्ता रूप नारायण, अधिवक्ता मोइनुल हक और साह परिवार के सुरेंद्र प्रसाद शामिल थे, ने भी अपने विचार साझा किए और साह परिवार की देशभक्ति और त्याग की भावना की सराहना की।

कार्यक्रम का संचालन समाजसेवी अज़हर हुसैन अंसारी ने किया, जबकि स्वागत भाषण प्रोफेसर मदन प्रसाद ने दिया और धन्यवाद ज्ञापन रविंद्र नाथ सिंह ने प्रस्तुत किया।