विदेश डेस्क, नीतीश कुमार ।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया टिप्पणी से देश और विदेश के राजनीतिक तथा राजनयिक हलकों में हलचल मच गई है। ट्रंप ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें रूस से तेल की खरीद बंद करने का आश्वासन दिया है और यह कदम जल्द उठाया जा सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति के वाशिंगटन में पत्रकारों के साथ बातचीत में दिये गये बयान को कुछ हलकों में भारत की ईंधन सुरक्षा नीति को प्रभावित करने का श्रेय लेने की अमेरिकी प्रशासन की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। श्री ट्रम्प ने कहा , " मुझे अच्छा नहीं लगता था कि भारत (रूस से) तेल खरीद रहा था।.. और उन्होंने (मोदी) आज मुझे आश्वासन दिया कि वे रूस से तेल नहीं खरीदेंगे। यह एक बड़ी रोक है।"
नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत अपनी ऊर्जा नीति राष्ट्रीय हितों के आधार पर तय करने का संप्रभु अधिकार रखता है। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत तेल और गैस का एक बड़ा आयातक है और अस्थिर वैश्विक बाजार में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना उसकी प्राथमिकता रही है। मंत्रालय ने कहा कि भारत की तेल नीति का उद्देश्य मूल्य स्थिरता और आपूर्ति सुरक्षा बनाए रखना है, जिसके लिए आयात स्रोतों का विविधीकरण प्रमुख स्तंभ है।
विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया कि भारत पिछले एक दशक से भू-राजनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर अमेरिका सहित विभिन्न देशों से ऊर्जा सहयोग बढ़ा रहा है। मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका की मौजूदा सरकार का भारत के साथ ऊर्जा सहयोग बढ़ाने का रुख दोनों देशों के संबंधों के लिए सकारात्मक संकेत है।
रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने ट्रंप के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रूस भारत के साथ अपनी दीर्घकालिक ऊर्जा साझेदारी के प्रति प्रतिबद्ध है और वह भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय निर्णयों में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
वहीं, भारत की घरेलू राजनीति में विपक्षी दलों ने ट्रंप की टिप्पणियों के आधार पर मोदी सरकार को निशाने पर लिया। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति के अधीन हो गए हैं और उन्होंने इस संदर्भ में तेल खरीद के मुद्दे पर सरकार की चुप्पी और राजनयिक बैठकों में प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति का हवाला दिया।
सरकारी पक्ष का कहना है कि भारत ने रूस से तेल खरीद कर वैश्विक ऊर्जा बाजार में स्थिरता बनाए रखने में योगदान दिया है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि रूस-यूक्रेन संकट शुरू होने पर अमेरिका के बाइडन प्रशासन ने ही भारत से रूसी तेल खरीदने का अनुरोध किया था ताकि बाजार में अस्थिरता न बढ़े।
ट्रंप प्रशासन ने अगस्त के अंतिम सप्ताह में राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर भारत के खिलाफ 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगा दिया था, जिससे अमेरिकी बाजार में भारतीय वस्तुओं पर शुल्क 50 प्रतिशत तक पहुंच गया। हालांकि भारत ने हाल के समय में अमेरिका से भी तेल की खरीद बढ़ाई है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में अमेरिका को भारत के निर्यात में गिरावट आई, लेकिन समग्र वाणिज्यिक निर्यात सालाना आधार पर छह प्रतिशत से अधिक बढ़ा। इस बीच भारत और अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं, जिसे दोनों पक्ष सकारात्मक बता रहे हैं।
भारत का संदेश स्पष्ट है: ऊर्जा सुरक्षा का तात्पर्य आजीविका और विकास को बनाए रखना है, न कि केवल भू-राजनीतिक दिखावा करना।







