
स्टेट डेस्क, प्रीति पायल |
27 सितंबर 2025 को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के मौके पर बरेली में तनाव की शुरुआत हुई। मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा दीवारों पर "आई लव मोहम्मद" लिखे जाने को लेकर हिंदू संगठनों ने आपत्ति जताई। इस विरोध के बाद स्थिति हिंसक रूप ले गई, जहाँ पथराव, आगजनी और पुलिस पर आक्रमण की घटनाएं हुईं। यह तनाव बरेली से आगे बढ़कर बाराबंकी और मऊ जिलों तक फैल गया।
पुलिस ने कड़ी कार्रवाई करते हुए लाठीचार्ज, आंसू गैस का प्रयोग किया और गोलियां भी चलाईं। इस दौरान 25 व्यक्तियों के विरुद्ध मुकदमे दर्ज किए गए और अनेक लोग घायल हुए।
मुंबई में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में अबू आजमी ने उत्तर प्रदेश की स्थिति पर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि राज्य में संविधान का शासन नहीं बल्कि गुंडागर्दी और माफियाओं का नियंत्रण है। उनका आरोप था कि पुलिस को असीमित शक्तियां दी गई हैं जिससे वे किसी भी व्यक्ति पर अत्याचार कर सकते हैं और उन्हें जेल भेज सकते हैं।
आजमी ने पुलिस की कार्रवाई को क्रूर और अन्यायपूर्ण बताया। उनका सुझाव था कि यदि कोई गैरकानूनी गतिविधि हो रही है तो पहले नोटिस जारी कर बातचीत का प्रयास करना चाहिए, न कि तुरंत बल प्रयोग करना चाहिए।
आजमी ने धार्मिक सद्भावना का मुद्दा उठाते हुए कहा कि प्रत्येक धर्म के अनुयायी अपने आराध्य देवों के बारे में सकारात्मक बातें करते हैं। मुसलमानों का "आई लव मोहम्मद" लिखना भी इसी प्रकार की अभिव्यक्ति थी। उन्होंने आरोप लगाया कि इस घटना को पूरे देश में फैलाकर हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच विभाजन की रणनीति अपनाई जा रही है।
समाजवादी पार्टी के नेता ने योगी आदित्यनाथ सरकार पर चुनावी फायदे के लिए सांप्रदायिक विभाजन करने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि सरकार हिंदू-मुस्लिम समुदायों को बांटकर वोट हासिल करना चाहती है, लेकिन इससे देश की एकता को नुकसान हो रहा है। उन्होंने पुलिस पर मुस्लिम समुदाय के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का भी आरोप लगाया।
आजमी ने सुझाव दिया कि पुलिस के खिलाफ न्यायिक कार्रवाई होनी चाहिए और ऐसी गैरजिम्मेदाराना कार्रवाइयों के लिए संबंधित अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
इस बयान को ANI न्यूज एजेंसी ने वीडियो सहित कवर किया, जहाँ आजमी ने लगभग दो मिनट का विस्तृत वक्तव्य दिया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर यह तेजी से वायरल हुआ और #BareillyViolence, #AbuAzmi तथा #UttarPradesh जैसे हैशटैग चर्चा में आए।
समाजवादी पार्टी के अन्य नेताओं ने आजमी के बयान का समर्थन किया। माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि संविधान में सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्राप्त है और योगी सरकार जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव बढ़ा रही है।
भारतीय जनता पार्टी की तरफ से उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने पलटवार किया। उन्होंने समाजवादी पार्टी को अपराधियों और माफियाओं को संरक्षण देने वाली पार्टी बताया। उनका दावा था कि योगी सरकार में महिलाएं रात के समय भी सुरक्षित रूप से बाहर निकल सकती हैं, जबकि समाजवादी पार्टी के शासनकाल में अपराध अपने चरम पर था।
X प्लेटफॉर्म पर इस मुद्दे को लेकर तीव्र बहस छिड़ी है। समाजवादी पार्टी के समर्थक आजमी की सराहना कर रहे हैं, वहीं भाजपा समर्थक उन पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं। कुछ पोस्ट्स में उत्तर प्रदेश पुलिस की कड़ी आलोचना की गई है, जबकि अन्य में समाजवादी पार्टी के पुराने कार्यकाल की अपराधिक घटनाओं का जिक्र किया जा रहा है।
यह घटना उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है, विशेषकर धार्मिक संवेदनशीलता के मामलों में। बरेली पुलिस का कहना है कि भीड़ द्वारा पथराव और हमले के कारण बल प्रयोग आवश्यक था, लेकिन आजमी इसे राजनीतिक षड्यंत्र बता रहे हैं। समाजवादी पार्टी इस मुद्दे को विपक्षी एकजुटता के लिए इस्तेमाल कर सकती है, जबकि भाजपा इसे सांप्रदायिक राजनीति बताकर जवाब देगी।