
स्टेट डेस्क, श्रेयांश पराशर |
बॉम्बे हाईकोर्ट ने योगी आदित्यनाथ पर आधारित फिल्म की रिलीज़ को दी हरी झंडी....
मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित फिल्म “अजय” की रिलीज़ को मंजूरी दे दी है। अदालत ने फिल्म को देखने के बाद स्पष्ट किया कि इसमें किसी भी तरह का ऐसा विवादित या आपत्तिजनक दृश्य नहीं है, जिसे हटाने या संशोधित करने की आवश्यकता हो। कोर्ट ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) को निर्देश दिया है कि वे इस फिल्म को बिना किसी कट-छांट या संशोधन के प्रमाणपत्र प्रदान करें।
दरअसल, सीबीएफसी ने शुरुआत में फिल्म पर 29 आपत्तियां दर्ज की थीं और संपादन की सिफारिश की थी। इसके बाद जब फिल्म निर्माताओं ने अपील की, तो पुनरीक्षण समिति ने 17 अगस्त को उन आपत्तियों में से आठ को खारिज कर दिया, लेकिन प्रमाणन देने से इंकार कर दिया। इस निर्णय के बाद मामला अदालत में पहुंचा।
22 अगस्त को हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले शामिल थीं, ने स्वयं फिल्म देखी। फिल्म देखने के बाद अदालत ने माना कि इसमें किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक या सामाजिक सद्भाव को भड़काने वाली सामग्री नहीं है। न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि फिल्म को उसके संदर्भ में देखने के बाद यह निष्कर्ष निकला कि इसमें किसी भी तरह का पुनः संपादन आवश्यक नहीं है।
यह फैसला केवल फिल्म निर्माताओं के लिए ही नहीं बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और रचनात्मक स्वतंत्रता के दृष्टिकोण से भी अहम है। अक्सर बायोपिक या राजनीतिक व्यक्तित्वों पर आधारित फिल्मों को सेंसरशिप की लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। लेकिन इस मामले में अदालत का निर्णय यह संदेश देता है कि केवल संदेह या आशंका के आधार पर किसी कला या रचना पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
फिल्म “अजय” प्रसिद्ध किताब “द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर” से प्रेरित है, जिसमें योगी आदित्यनाथ के जीवन, संघर्ष और राजनीतिक यात्रा को दर्शाया गया है। हाईकोर्ट का यह फैसला न केवल फिल्म उद्योग को राहत प्रदान करता है बल्कि रचनात्मक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को भी मजबूती देता है। आने वाले समय में यह मामला फिल्मों पर लगने वाली अनावश्यक पाबंदियों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण उदाहरण साबित हो सकता है।