
लोकल डेस्क, एन.के. सिंह |
रक्सौल: फर्जी पासपोर्ट के साथ नाइजीरियाई नागरिक गिरफ्तार, 2012 में मेडिकल वीज़ा पर आया था भारत, 12 वर्षों से अधिक समय तक अवैध रूप से देश में रहा, आरोपी उचे जोसेफ ओकाई कोटे डी आइवरी गणराज्य का फर्जी पासपोर्ट कर रहा था इस्तेमाल।
भारत-नेपाल सीमा पर स्थित रक्सौल में आव्रजन विभाग की सतर्कता ने एक नाइजीरियाई नागरिक को धर दबोचा है जो फर्जी दस्तावेजों के सहारे भारत में घुसने की कोशिश कर रहा था। गुरुवार को हुई इस गिरफ्तारी के बाद सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां उससे गहन पूछताछ कर रही हैं ताकि उसके मकसद का पता लगाया जा सके।
पकड़े गए व्यक्ति की पहचान उचे जोसेफ ओकाई उर्फ बालो एंटोनियो के रूप में हुई है, जिसका जन्म 20 मई, 1977 को नाइजीरिया में हुआ था। हैरानी की बात यह है कि वह नाइजीरियाई होने के बावजूद कोटे डी आइवरी गणराज्य का जाली पासपोर्ट और वीजा इस्तेमाल कर रहा था।
आव्रजन कार्यालय के अधिकारियों के मुताबिक, दस्तावेज़ सत्यापन के दौरान उसके जाली होने का खुलासा हुआ। जांच में पता चला कि यह व्यक्ति पहली बार 15 अप्रैल, 2012 को भारत आया था, तब उसके पास नाइजीरियाई पासपोर्ट पर जारी तीन महीने का मेडिकल वीजा था। वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी वह 12 साल से अधिक समय तक भारत में अवैध रूप से रहा। दिसंबर 2024 में मुंबई हवाई अड्डे पर विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) द्वारा उसे निर्वासित कर नाइजीरिया वापस भेज दिया गया था।
निर्वासन के बावजूद, वह फिर से भारत में घुसने की कोशिश कर रहा था। अधिकारियों ने बताया कि वह काठमांडू के त्रिभुवन हवाई अड्डे पहुंचा और वहां से रक्सौल के रास्ते भारत आने की कोशिश की। उसने अपना नाम, जन्मतिथि, देश, पासपोर्ट संख्या और वीजा संख्या बदलकर एक पूरी तरह से नई और फर्जी पहचान बना ली थी। लेकिन रक्सौल में आव्रजन कार्यालय के सतर्क अधिकारियों ने उसकी जालसाजी पकड़ ली।
गिरफ्तारी के बाद उसे आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए रक्सौल के हरैया पुलिस थाने को सौंप दिया गया है। पूर्वी चंपारण के पुलिस अधीक्षक स्वर्ण प्रभात ने इस मामले पर कहा, “हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि एक बार निर्वासित होने के बावजूद वह दोबारा भारत में प्रवेश करने का प्रयास क्यों कर रहा था। उसके इरादों की गहराई से पड़ताल की जा रही है।” यह घटना सीमा सुरक्षा पर लगातार निगरानी की आवश्यकता को उजागर करती है।