
नितीश कुमार |
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष का चेहरा बदलने वाला है। वर्तमान अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद विस्तार स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। इसके चलते नए अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया तेज़ हो गई है। 14 जून को नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए नामांकन भरा जाएगा, जबकि 19 जून को राज्य परिषद की बैठक में नए अध्यक्ष की घोषणा होगी। सूत्रों के अनुसार, आगामी विधानसभा चुनाव (नवंबर 2025) को ध्यान में रखते हुए पार्टी अति पिछड़ा वर्ग (EBC) से आने वाले किसी नेता को यह जिम्मेदारी दे सकती है। यानी पार्टी कहीं न कहीं EBC कार्ड खेलने के फिराक में हैं ।
सिद्दीकी ने उम्र का हवाला देकर किया इनकार;
राजद नेतृत्व ने लगभग नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय कर लिया है। पार्टी ऐसे नेता की तलाश में है, जो जगदानंद सिंह की तरह अनुशासित और साफ-सुथरी छवि वाला हो। साथ ही तेजस्वी यादव की पसंद भी इस निर्णय में अहम होगी। वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने उम्र का हवाला देते हुए यह जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया है।
तीन नामों की हो रही सबसे ज्यादा चर्चा, अध्यक्ष के पद के लिए;
1.मंगनी लाल मंडल के जरिए EBC कार्ड खेल सकती है RJD;
जनवरी में JDU के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मंगनी लाल मंडल को RJD में शामिल किया गया। अति पिछड़ा वर्ग के धानुक जाति से आने वाले मंडल उत्तर बिहार के मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर में प्रभावशाली माने जाते हैं। वे झंझारपुर से विधायक और सांसद रह चुके हैं। इस बार RJD ने फुलपरास (मधुबनी) में कर्पूरी जयंती आयोजित की थी, जो इस क्षेत्र की राजनीतिक रणनीति का संकेत है।
यह क्षेत्र इसलिए भी अहम है क्योंकि 2020 के चुनाव में 41 सीटों में महागठबंधन को केवल 13 पर सफलता मिली थी। राजद को 11, कांग्रेस को 1 और CPIM को 1 सीट मिली थी।महागठबंधन को इस बार इससे बेहतर की उम्मीद है। पार्टी के पास लोकसभा में एक भी सांसद नहीं है। जबकि, पहले ये इलाका RJD का गढ़ था।
2.आलोक कुमार मेहता कुशवाहा कार्ड के जरिए मार सकते है बाजी;
नई पीढ़ी के नेता और RJD के संस्थापक सदस्यों में शुमार आलोक मेहता को तेजस्वी और लालू यादव दोनों का करीबी माना जाता है। वे विधायक, मंत्री और सांसद रह चुके हैं। कुशवाहा समाज से आने वाले मेहता संगठनात्मक समझ के लिए भी जाने जाते हैं। अगर पार्टी कुशवाहा कार्ड खेलती है, तो वे प्रबल दावेदार हो सकते हैं।
हालांकि जनवरी 2025 में ED की रेड की वजह से ये चर्चा में आए थे। फिर भी, उनकी छवि संकटमोचक नेता की रही है। वे शिक्षा मंत्री और भूमि सुधार मंत्री रह चुके हैं और पार्टी के सात राज्यों के प्रभारी भी रहे हैं।
3.शिवचंद्र राम का भी नाम, दलित चेहरे के तौर पर;
शिवचंद्र राम रविदास जाति से आते हैं और राजद के प्रमुख दलित चेहरों में से एक हैं। वे मंत्री और विधायक दोनों रह चुके हैं और तेजस्वी के भरोसेमंद माने जाते हैं। दलित वोट बैंक को मजबूत करने के लिए इनको RJD दे सकती है पद।
बिहार के सियासत में चिराग पासवान के बढ़ते दखल के बीच RJD दलित समाज को साधने के लिए शिवचंद्र राम को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है।