नेशनल डेस्क, श्रेया पांडेय
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक प्लस (ADMM-Plus) में भाग लेते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific) के लिए भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण क्षेत्र मुक्त, समावेशी और किसी भी प्रकार के दबाव या जोर-जबरदस्ती से मुक्त (Free, Open and Free from Coercion) रहना चाहिए। मलेशिया के कुआलालंपुर में आयोजित इस महत्वपूर्ण मंच से, रक्षा मंत्री ने क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने में आसियान की केंद्रीय भूमिका के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। यह बयान ऐसे समय में आया है जब इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति को लेकर वैश्विक चिंताएं बढ़ रही हैं।
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में साफ किया कि भारत का दृष्टिकोण हमेशा नियम-आधारित (Rules-Based) व्यवस्था पर केंद्रित रहा है। उन्होंने विशेष रूप से समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCLOS) के तहत नेविगेशन की स्वतंत्रता और समुद्री मार्गों की सुरक्षा पर जोर दिया। उनका कहना था कि हिंद-प्रशांत में कानून का शासन आवश्यक है ताकि सभी हितधारक, चाहे वे छोटे हों या बड़े, क्षेत्रीय व्यवस्था को आकार देने और उससे लाभ उठाने में अपनी भूमिका निभा सकें। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत का यह रुख किसी एक देश के खिलाफ नहीं है, बल्कि सभी क्षेत्रीय हितधारकों के सामूहिक हितों की रक्षा के लिए है। यह भारत की 'सागर' (SAGAR - Security and Growth for All in the Region) नीति के अनुरूप है।
रक्षा मंत्री ने आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक प्लस (ADMM-Plus) को भारत की 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' (Act East Policy) और व्यापक हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण का एक अनिवार्य घटक बताया। उन्होंने रेखांकित किया कि आसियान के साथ भारत की रणनीतिक सहभागिता लेन-देन पर आधारित (Transactional) नहीं है, बल्कि दीर्घकालिक और सिद्धांत-प्रेरित (Long-Term and Principle-Driven) है। भारत आसियान-नेतृत्व वाले समावेशी क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि 2022 में भारत-आसियान साझेदारी को व्यापक रणनीतिक साझेदारी के रूप में उन्नत करना, दोनों पक्षों के बीच बढ़ते रणनीतिक तालमेल को दर्शाता है।
राजनाथ सिंह ने बताया कि भारत, ADMM-Plus के अंतर्गत विभिन्न विशेषज्ञ कार्य समूहों (Expert Working Groups) में एक सक्रिय और रचनात्मक भागीदार रहा है, जैसे कि आतंकवाद-निरोध, मानवीय सहायता और आपदा राहत। उन्होंने क्षेत्र में सहयोग को और गहरा करने के लिए दो नई पहल शुरू करने की भी घोषणा की: संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में महिलाओं की भागीदारी पर आसियान-भारत पहल (Women in UN Peacekeeping) और आसियान-भारत रक्षा थिंक-टैंक संवाद। ये पहलें दर्शाती हैं कि भारत रक्षा सहयोग को केवल सैन्य क्षमताओं तक सीमित नहीं मानता, बल्कि इसे मानव संसाधन विकास, प्रौद्योगिकी साझाकरण और आर्थिक विकास के साथ जोड़कर देखता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के इस बयान ने क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को एक बार फिर रेखांकित किया है। उन्होंने आसियान को एक भरोसेमंद और सिद्धांत-आधारित भागीदार का संदेश दिया है, जो खुलेपन, समावेशिता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के सम्मान पर आधारित एक हिंद-प्रशांत के लिए सामूहिक प्रयास करने को तैयार है।







