Ad Image
ईरान ने इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन से हमले शुरू किए, IRGC ने की पुष्टि || ईरान : बुशहर में इजरायली हमले से गैस रिफाइनरी में विस्फोट || PM मोदी तीन देशों की यात्रा पर, आज साइप्रस पहुंचे || पूर्व सांसद मंगनी लाल मंडल RJD के निर्विरोध प्रदेश अध्यक्ष बनें || सारण: मांझी थाना प्रभारी समेत 3 पुलिसकर्मी सस्पेंड || मोतिहारी: कोटवा के बेलवाडीह में सड़क दुर्घटना में 2 बाईक सवारों की मौत || ईरान के ड्रोन हमलों को लेकर इजरायल में एयर RED ALERT || कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे आज जायेंगे अहमदाबाद, घायलों से करेंगे भेंट || बिहार RJD: पूर्व सांसद मंगनी लाल मंडल बनेंगे प्रदेश अध्यक्ष || ईरान के हमले में 41 इजरायली नागरिक घायल, 100 से ज्यादा मिसाइलों से हमला

The argument in favor of using filler text goes something like this: If you use any real content in the Consulting Process anytime you reach.

  • img
  • img
  • img
  • img
  • img
  • img

Get In Touch

राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिलाने की मांग: सुप्रीम कोर्ट में डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी की नई याचिका

नई दिल्ली, मुस्कान कुमारी |

केंद्र सरकार से समयबद्ध निर्णय और जीएसआई-एएसआई सर्वेक्षण की मांग, मामला लंबित  

राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिलाने की लंबी कानूनी लड़ाई में एक नया अध्याय जुड़ गया है। पूर्व राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ राजनेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने 26 मई, 2025 को सुप्रीम कोर्ट में एक नई जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है। इस याचिका में केंद्र सरकार से उनके प्रतिनिधित्व पर समयबद्ध निर्णय लेने और भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण भारत (जीएसआई) तथा पुरातत्व सर्वेक्षण भारत (एएसआई) द्वारा राम सेतु के सर्वेक्षण की मांग की गई है। यह याचिका राम सेतु के धार्मिक, सांस्कृतिक और पुरातात्विक महत्व को रेखांकित करती है, जिसे हिंदू धर्म में एक पवित्र तीर्थस्थल के रूप में सम्मान दिया जाता है।  

राम सेतु: एक पवित्र और प्राकृतिक संरचना 
राम सेतु, जिसे अंग्रेजी में ‘आदम का पुल’ (Adam’s Bridge) भी कहा जाता है, तमिलनाडु के रामेश्वरम (पंबन द्वीप) से श्रीलंका के मन्नार द्वीप तक फैली चूना पत्थर की शोलों की एक प्राकृतिक श्रृंखला है। इसकी लंबाई लगभग 48 किलोमीटर है और यह खाड़ी मन्नार (दक्षिण-पश्चिम) और पाल्क जलसंधि (उत्तर-पूर्व) को अलग करती है। हिंदू धर्म में इसे भगवान राम द्वारा रावण की लंका तक पहुंचने के लिए बनाए गए पुल के रूप में देखा जाता है, जैसा कि महाकाव्य रामायण में वर्णित है। राम सेतु न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र समुद्री जैव-विविधता के लिए भी महत्वपूर्ण है और इसे पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से संवेदनशील माना जाता है।  

याचिका का आधार और मांगें 
डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी याचिका में कहा है कि केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि वह राम सेतु को किसी भी तरह के दुरुपयोग, प्रदूषण या अपवित्रता से बचाए। उन्होंने जोर दिया कि यह स्थल करोड़ों हिंदुओं की आस्था और श्रद्धा का केंद्र है, और इसे तीर्थस्थल के रूप में सम्मान दिया जाता है। याचिका में निम्नलिखित मांगें की गई हैं:  

  • केंद्र सरकार उनके प्रतिनिधित्व पर समयबद्ध तरीके से निर्णय ले।
  • जीएसआई और एएसआई द्वारा राम सेतु का सर्वेक्षण किया जाए, ताकि इसे राष्ट्रीय महत्व का प्राचीन स्मारक घोषित किया जा सके।
  • राम सेतु की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि इसकी प्राकृतिक और सांस्कृतिक संरचना को नुकसान न पहुंचे।  

डॉ. स्वामी ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करना न केवल इसकी रक्षा करेगा, बल्कि इसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने में भी मदद करेगा।  

पृष्ठभूमि और पूर्व की कानूनी कार्रवाई 
डॉ. स्वामी ने इस मुद्दे को पहली बार 2007 में सुप्रीम कोर्ट में उठाया था, जब उन्होंने सेतु समुद्रम शिप चैनल परियोजना के खिलाफ याचिका दायर की थी। इस परियोजना के तहत मन्नार और पाल्क जलसंधि को जोड़ने के लिए 83 किलोमीटर लंबा चैनल बनाने की योजना थी, जिसमें बड़े पैमाने पर ड्रेजिंग शामिल थी। इस परियोजना से राम सेतु को नुकसान का खतरा था, क्योंकि ड्रेजिंग से इस प्राकृतिक संरचना के नष्ट होने की आशंका थी। इस याचिका के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2007 में परियोजना पर रोक लगा दी थी और केंद्र सरकार से वैकल्पिक मार्ग तलाशने को कहा था।  

जनवरी 2023 में, सुप्रीम कोर्ट में एक अन्य सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने बताया था कि राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत का दर्जा देने की प्रक्रिया संस्कृति मंत्रालय में चल रही है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया था कि डॉ. स्वामी मंत्रालय के सामने प्रतिनिधित्व करें। इसके बाद डॉ. स्वामी ने 27 जनवरी, 2023 और 13 मई, 2025 को प्रतिनिधित्व किया, लेकिन अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। केंद्र सरकार की ओर से पहले एक हलफनामा दाखिल किया गया था, लेकिन बाद में उसे वापस ले लिया गया, जिसके बाद कोई नया जवाब दाखिल नहीं हुआ है।  

वर्तमान स्थिति और केंद्र की चुप्पी
27 मई, 2025 तक, इस नई पीआईएल पर सुप्रीम कोर्ट में कोई सुनवाई नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर भी इस मामले में कोई अपडेट उपलब्ध नहीं है, और यह मामला अभी लंबित है। केंद्र सरकार की ओर से भी कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है, जिसके चलते डॉ. स्वामी ने अपनी याचिका में इस देरी पर चिंता जताई है। उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया है कि केंद्र को समयबद्ध तरीके से निर्णय लेने का निर्देश दिया जाए।  

सांस्कृतिक, धार्मिक और पर्यावरणीय महत्व
राम सेतु का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी है। हिंदू धर्म में इसे एक पवित्र तीर्थस्थल माना जाता है, और रामेश्वरम से श्रीलंका तक की यह प्राकृतिक संरचना तीर्थयात्रियों के लिए विशेष महत्व रखती है। इसके अलावा, यह क्षेत्र समुद्री जैव-विविधता का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जहां कई दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि राम सेतु को संरक्षित करना न केवल सांस्कृतिक, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी जरूरी है, खासकर ऐसे समय में जब जलवायु परिवर्तन और समुद्री प्रदूषण जैसे मुद्दे बढ़ रहे हैं।  

भविष्य की संभावनाएं और विशेषज्ञों की राय
यह मामला धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक संरक्षण और पर्यावरण संरक्षा के बीच संतुलन की एक बड़ी चुनौती को दर्शाता है। यदि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई करती है और राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा मिलता है, तो यह न केवल इस पवित्र स्थल की रक्षा करेगा, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यावरणीय संरक्षण के लिए एक मिसाल भी कायम करेगा।  

पुरातत्व विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसआई और एएसआई द्वारा सर्वेक्षण से राम सेतु की प्राचीनता और ऐतिहासिक महत्व को सिद्ध करने में मदद मिल सकती है। वहीं, पर्यावरणविदों का मानना है कि राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा मिलने से इस क्षेत्र में अनियंत्रित विकास परियोजनाओं पर रोक लगेगी।  

महत्वपूर्ण तिथियां

  • 2007: सेतु समुद्रम परियोजना के खिलाफ पीआईएल दायर, सुप्रीम कोर्ट ने परियोजना पर रोक लगाई।
  • जनवरी 2023: केंद्र ने कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय विरासत दर्जा प्रक्रिया चल रही है।
  • 27 जनवरी, 2023: डॉ. स्वामी का पहला प्रतिनिधित्व।
  • 13 मई, 2025: दूसरा प्रतिनिधित्व।
  • 26 मई, 2025: नई पीआईएल सुप्रीम कोर्ट में दायर।
  • 27 मई, 2025: मामला लंबित, कोई अपडेट नहीं।  

लोगों की प्रतिक्रिया  
राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने की मांग को लेकर देशभर में कई धार्मिक संगठनों और स्थानीय समुदायों ने समर्थन जताया है। रामेश्वरम के एक तीर्थयात्री, रमेश पांडे ने कहा, “राम सेतु हमारी आस्था का प्रतीक है। इसे संरक्षित करना सरकार का कर्तव्य है।“ वहीं, कुछ आलोचकों का कहना है कि इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है, और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसकी जांच होनी चाहिए।