स्टेट डेस्क - प्रीति पायल
तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी का विवादास्पद बयान राज्य की राजनीति में तूफान ला दिया है। जुबली हिल्स उपचुनाव के दौरान मुस्लिम समुदाय को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा - "कांग्रेस है तो मुसलमानों की इज्ज़त है, कांग्रेस नहीं तो आप कुछ नहीं।"
4-5 नवंबर 2025 के आसपास हैदराबाद की एक रैली में रेड्डी ने मुस्लिम वोटरों से कहा कि कांग्रेस के बिना उन्हें इंसाफ पाना कठिन है। उन्होंने पूर्व BRS सरकार पर निशाना साधते हुए दावा किया कि उनकी पार्टी ने वक्फ बोर्ड को सशक्त बनाया, मदरसों का विकास किया और शिक्षा में आरक्षण जैसे अहम फैसले लिए हैं। यह टिप्पणी पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन को कैबिनेट में शामिल करने के प्रसंग में आई। केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी पर व्यंग्य करते हुए उन्होंने पूछा - "क्या मंत्री पद उनके पिता की जागीर है?"
बीजेपी और BRS ने इस बयान को सांप्रदायिक राजनीति का नमूना बताया है। विपक्षी नेता इसे "तुष्टीकरण की राजनीति" करार देते हुए माफी की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर #RevanthReddy और #CongressMuslim जैसे हैशटैग वायरल हो रहे हैं। कांग्रेस पार्टी का रुख यह है कि यह अल्पसंख्यक समुदाय के साथ उनकी प्रतिबद्धता को दिखाने वाला संदेश है। रेड्डी ने महाराष्ट्र चुनावों के दौरान भी इसी तर्ज पर बयान दिया था।
2023 में सत्ता में आने के बाद रेवंत रेड्डी ने मुस्लिम समुदाय के लिए 4% आरक्षण, वक्फ संपत्ति की सुरक्षा और शिक्षा सुविधाओं के वादे किए थे। हालांकि जुलाई 2025 में उन्होंने स्पष्ट किया था कि आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि पिछड़ेपन के आधार पर है। जुबली हिल्स उपचुनाव में यह बयान कांग्रेस के लिए मिश्रित नतीजे ला सकता है। अल्पसंख्यक वोटों को एकजुट करने में मदद मिल सकती है, लेकिन हिंदू मतदाताओं में नाराजगी का खतरा भी है। राष्ट्रीय स्तर पर यह कांग्रेस की अल्पसंख्यक-केंद्रित छवि को और मजबूत बनाएगा, जबकि बीजेपी इसे अपने हमलों के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकती है।
अभी तक चुनाव आयोग की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई है, लेकिन विपक्षी दल शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यह मामला तेलंगाना की राजनीति में नई बहस को जन्म दे चुका है।







