
पटना, वेरोनिका राय |
राजद प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव एक बार फिर विवादों में घिरते नजर आ रहे हैं। इस बार मामला देश के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के कथित अपमान से जुड़ा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो और तस्वीरों के आधार पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने लालू यादव को नोटिस भेजा है। आयोग ने कहा है कि यदि 15 दिनों के भीतर संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं मिला, तो उनके खिलाफ SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत FIR दर्ज कराई जाएगी।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला लालू यादव के हाल ही में मनाए गए जन्मदिन समारोह से जुड़ा है। समारोह के दौरान बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर के साथ कथित रूप से गलत व्यवहार किए जाने का आरोप है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो और कुछ तस्वीरों में अंबेडकर की तस्वीर को अनादरपूर्वक स्थान पर रखे जाने और ठीक से सम्मान न देने का दावा किया गया है।
इन तस्वीरों और वीडियो को लेकर कई सामाजिक संगठनों और दलित संगठनों ने नाराजगी जाहिर की। इस पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने गंभीर संज्ञान लेते हुए लालू यादव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
नोटिस में आयोग ने लिखा है:
"आपने अपने जन्मदिन के अवसर पर संविधान निर्माता, बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की तस्वीर के साथ जिस तरह का व्यवहार किया, वह संपूर्ण देश की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। यह दृश्य सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित हो रहा है। आपसे अपेक्षा की जाती है कि 15 दिनों के अंदर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें कि क्यों न आपके विरुद्ध अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार अधिनियम के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज कराई जाए।"
आयोग ने इस मामले को “राष्ट्रीय सम्मान का विषय” बताते हुए कहा है कि यह केवल एक वर्ग का अपमान नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के गौरव और संविधान की गरिमा को चोट पहुंचाने जैसा है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस मामले के सामने आते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे लालू यादव और उनकी पार्टी की “वास्तविक दलित विरोधी सोच” बताया है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा: "बाबा साहेब का अपमान निंदनीय है। लालू यादव को तुरंत सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए और आयोग को स्पष्टीकरण देना चाहिए।"
वहीं, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और कुछ अन्य दलों ने भी इस मुद्दे पर लालू यादव से जवाब मांगते हुए मामले की जांच की मांग की है।
राजद की तरफ से अब तक इस मामले पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया गया है, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह पूरा मामला राजनीतिक साजिश है और सच्चाई को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है।
SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत यदि किसी व्यक्ति द्वारा अनुसूचित जाति या जनजाति के महापुरुषों का अपमान किया जाता है या उनके सम्मान को ठेस पहुंचाई जाती है, तो कड़ी सजा और गिरफ्तारी तक का प्रावधान है। अगर आयोग को लालू यादव का जवाब संतोषजनक नहीं लगता है, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई तय मानी जा रही है।