
नेशनल डेस्क, ऋषि राज |
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का निधन 12 जून को अहमदाबाद में हुए विमान हादसे में हो गया था। हादसे में कुल 270 लोगों की जान गई थी। इस दर्दनाक घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। वहीं, रूपाणी की अंतिम यात्रा के दौरान भाजपा द्वारा खर्च उठाने से इनकार किए जाने ने विवाद खड़ा कर दिया है।
रूपाणी का 16 जून को राजकोट में गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान राज्य और केंद्र सरकार के कई बड़े नेता शामिल हुए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल सहित कई वरिष्ठ नेता श्रद्धांजलि देने पहुंचे। करीब 6 किलोमीटर लंबी यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए, जिन्होंने भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। हालांकि, इस बड़े आयोजन का खर्च अंततः रूपाणी के परिवार पर आ पड़ा।
अंतिम यात्रा के लिए फूल, टेंट और अन्य व्यवस्थाओं का खर्च करीब 20 से 25 लाख रुपए हुआ। इसे पूरा करने के लिए स्थानीय व्यापारियों ने जुलाई में रूपाणी के घर संपर्क किया। परिवार को तब पता चला कि भाजपा की ओर से कोई भुगतान नहीं किया गया। परिवार ने कहा कि पैसों की कमी नहीं है, लेकिन पार्टी का यह रवैया बेहद दुखद और बेदर्दी भरा है। रूपाणी के पारिवारिक मित्र ने कहा कि यह सम्मान और इंसानियत के खिलाफ है।
सौराष्ट्र के दो प्रमुख नेताओं ने इस मामले में हस्तक्षेप कर स्थिति को शांत करने की कोशिश की। परिवार के करीबी लोगों का कहना है कि विजय रूपाणी ने अपना पूरा जीवन भाजपा और समाज की सेवा में बिताया। ऐसे में अंतिम संस्कार का खर्च स्वयं उठाना उनके योगदान के साथ न्याय नहीं है।
रूपाणी 2016 में आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। 2017 में विधानसभा चुनाव जीतकर दोबारा मुख्यमंत्री बने। 2021 में उन्होंने अचानक इस्तीफा दे दिया, जिसे राजनीतिक हलकों में चौंकाने वाला कदम माना गया। उनके निधन और अंतिम यात्रा में हुए विवाद ने राजनीतिक और सामाजिक मंचों पर बहस छेड़ दी है।
विमान हादसे में मारे गए 270 लोगों में 52 ब्रिटिश नागरिक भी शामिल थे। हादसे का एकमात्र जीवित बचे यात्री विश्वास कुमार की कहानी भी चर्चा में रही। ऐसे समय में रूपाणी के परिवार के साथ हुए व्यवहार ने संवेदनाओं को झकझोर दिया है और राजनीति में इंसानियत की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।