नेशनल डेस्क, मुस्कान कुमारी |
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करने वाले कांग्रेस सांसद शशि थरूर पर पार्टी के ही वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित ने जोरदार हमला बोला है। थरूर को 'पाखंडी' बताते हुए दीक्षित ने सवाल उठाया कि अगर भाजपा की नीतियां ही देश के हित में लगती हैं तो कांग्रेस में रहने का क्या मतलब? इस बयान ने पार्टी में फिर से दरार की अटकलों को हवा दे दी है।
'कांग्रेस के खिलाफ जाकर तारीफ? तो क्यों न छोड़ दें पार्टी'
संदीप दीक्षित ने थरूर के बयान पर तल्खी दिखाते हुए कहा, “शशि थरूर की समस्या यह है कि उन्हें देश के बारे में ज्यादा जानकारी ही नहीं। अगर आपकी नजर में कोई कांग्रेस की नीतियों के खिलाफ जाकर देश के लिए अच्छा कर रहा है, तो उन नीतियों का ही अनुसरण कर लीजिए। कांग्रेस में क्यों बने रहें? क्या सिर्फ सांसद बने रहने के लिए?”
दीक्षित ने आगे जोर देकर कहा, “अगर आपको वाकई लगता है कि भाजपा या प्रधानमंत्री मोदी की रणनीतियां आपकी पार्टी से बेहतर काम कर रही हैं, तो इसका स्पष्टीकरण दीजिए। अगर स्पष्टीकरण नहीं दे रहे, तो आप पाखंडी हैं।”
सुप्रिया श्रिनाते ने भी की आलोचना, बोलीं- मोदी के भाषण में तारीफ लायक कुछ नहीं
कांग्रेस की मीडिया प्रमुख सुप्रिया श्रिनाते ने भी थरूर के बयान का समर्थन करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “मोदी के भाषण में सराहने लायक कुछ नहीं मिला। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री को कई सवालों का जवाब देना चाहिए। वे एक अखबार के कार्यक्रम में थे, तो निष्पक्ष पत्रकारिता से उनकी क्या शिकायत है? जो सच्चाई दिखाते और बोलते हैं, उनसे वे क्यों नाराज हैं? तारीफ करने का कोई कारण ही नहीं दिखा।”
श्रिनाते ने व्यंग्य भरे लहजे में कहा, “मुझे नहीं पता कि थरूर को इसमें क्या अच्छा लगा। मुझे तो यह छोटा-मोटा भाषण लगा। वहां कांग्रेस की भी आलोचना की गई। प्रधानमंत्री को कांग्रेस दिन-रात याद रहती है, यह तो कमाल की बात है।”
थरूर ने क्या कहा था? 'मोदी का भाषण आर्थिक दृष्टि और सांस्कृतिक जागृति का आह्वान'
मामला बीते हफ्ते रामनाथ गोयनका का अवॉर्ड लेक्चर से जुड़ा है, जहां प्रधानमंत्री मोदी ने भाषण दिया। शशि थरूर ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर इसका जिक्र करते हुए लिखा कि उन्होंने कार्यक्रम में हिस्सा लिया और प्रधानमंत्री के संबोधन को सुना।
थरूर ने लिखा, “प्रधानमंत्री का भाषण आर्थिक दृष्टिकोण के साथ-साथ सांस्कृतिक जागृति का आह्वान था, जो राष्ट्र को प्रगति के लिए बेचैन रहने का संदेश देता है। उन्होंने जोर दिया कि भारत अब सिर्फ 'उभरती अर्थव्यवस्था' नहीं, बल्कि दुनिया के लिए 'उभरता मॉडल' बन गया है। उन्होंने अपनी आर्थिक लचीलापन की बात की।”
उन्होंने आगे कहा, “पीएम ने स्वीकार किया कि उन पर हमेशा 'चुनावी मोड' में रहने का आरोप लगता है, लेकिन वे वास्तव में 'भावनात्मक मोड' में हैं, लोगों की समस्याओं का समाधान करने के लिए। भाषण का बड़ा हिस्सा मैकॉले की 200 साल पुरानी 'गुलामी की मानसिकता' को उलटने पर केंद्रित था। प्रधानमंत्री ने 10 साल के राष्ट्रीय अभियान की अपील की, जिसमें भारत की विरासत, भाषाओं और ज्ञान प्रणालियों पर गर्व बहाल किया जाए। काश, उन्होंने रामनाथ गोयनका का भी जिक्र करते, जिन्होंने अंग्रेजी का इस्तेमाल भारतीय राष्ट्रवाद की आवाज बुलंद करने के लिए किया था!”
थरूर का यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और कांग्रेस के कई नेताओं ने इसे पार्टी लाइन के खिलाफ माना।
पार्टी में बढ़ती असहजता, थरूर पर 'फटवा' जैसे बयानों का दौर
कांग्रेस में थरूर के बयानों को लेकर असंतोष पुराना है। पार्टी के कई नेता उन्हें 'अनुशासनहीन' मानते हैं, लेकिन थरूर ने हमेशा खुद को स्वतंत्र विचारक बताया है। इस घटना ने एक बार फिर आंतरिक कलह को उजागर कर दिया है, खासकर जब लोकसभा चुनावों के बाद पार्टी पुनर्गठन की प्रक्रिया चल रही है।







