
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
श्रीलंका : भ्रष्टाचार मामले में पूर्व राष्ट्रपति विक्रमसिंघे को अदालत से राहत, मिली जमानत...
श्रीलंका की राजनीति में एक अहम मोड़ तब आया जब कोलंबो की एक अदालत ने देश के पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को भ्रष्टाचार के एक चर्चित मामले में जमानत दे दी। यह मामला सरकारी धन के कथित दुरुपयोग से जुड़ा हुआ है, जिसमें विक्रमसिंघे पर आरोप था कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान सार्वजनिक संसाधनों का अनुचित उपयोग किया।
कोलंबो फोर्ट मजिस्ट्रेट निलुपुली लंकापुरा ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि 76 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति को 50 लाख श्रीलंकाई रुपये (एलकेआर) की तीन अलग-अलग जमानत राशियों पर रिहा किया जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच प्रक्रिया जारी रहेगी और विक्रमसिंघे को हर सुनवाई में उपस्थित होना होगा।
गौरतलब है कि श्रीलंका पिछले कुछ वर्षों से गंभीर आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। इस दौरान नेताओं पर भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप लगातार लगते रहे हैं। विक्रमसिंघे, जिन्होंने हाल ही में राष्ट्रपति का पद संभाला था, पहले भी कई बार राजनीतिक विवादों के केंद्र में रहे हैं। उनके खिलाफ दायर इस केस को विपक्ष ने “जनता के साथ विश्वासघात” करार दिया है, जबकि विक्रमसिंघे और उनकी पार्टी का कहना है कि यह मुकदमा “राजनीतिक प्रतिशोध” से प्रेरित है।
अदालत में पेशी के दौरान बड़ी संख्या में उनके समर्थक भी मौजूद रहे। समर्थकों ने आरोप लगाया कि सरकार विपक्षी नेताओं को निशाना बनाकर लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। वहीं, सरकारी वकीलों ने अदालत को बताया कि जांच में विक्रमसिंघे की भूमिका पर गंभीर सवाल उठते हैं और इसलिए उन्हें कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले का असर श्रीलंका की आंतरिक राजनीति पर गहरा पड़ सकता है। यदि विक्रमसिंघे दोषी पाए जाते हैं, तो उनका राजनीतिक करियर गंभीर संकट में पड़ सकता है। हालांकि, जमानत मिलने के बाद फिलहाल उन्होंने एक बड़ी राहत जरूर हासिल की है।
यह मामला श्रीलंका की राजनीति में पारदर्शिता और जवाबदेही के सवाल को फिर से प्रमुखता से खड़ा कर रहा है और आने वाले दिनों में इसका असर आगामी चुनावों पर भी देखने को मिल सकता है।