
एंटरटेनमेंट डेस्क, प्रीति पायल |
27 सितंबर 1925 को डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा नागपुर में स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सौवां वर्ष चल रहा है। इस अवसर पर संगठन ने 'संघ यात्रा' के नाम से कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं। 2 अक्टूबर 2025 को बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त ने विजयादशमी के मौके पर अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X और इंस्टाग्राम पर एक वीडियो अपलोड किया। इस वीडियो में वे केसरिया तिलक लगाकर दिखाई दिए और आरएसएस के शताब्दी समारोह पर बधाई संदेश दिया।
उनके वीडियो संदेश में कहा गया: "इस विजयादशमी के अवसर पर आरएसएस के गौरवशाली 100 वर्षों का जश्न मना रहे हैं। एक सदी से यह संगठन समर्पण, अनुशासन और राष्ट्र-निर्माण की दिशा में कार्य कर रहा है। हर मुश्किल घड़ी में आरएसएस ने देश की सेवा की है और सामाजिक बदलाव के लिए निरंतर प्रयास किया है। इस महत्वपूर्ण मौके पर मैं संगठन को शुभकामनाएं देता हूं और सभी से राष्ट्र निर्माण के इस अभियान को मजबूत बनाने की अपील करता हूं।"
यह पोस्ट व्यापक रूप से साझा हुई और 70,000 से अधिक लाइक्स तथा हजारों रीपोस्ट प्राप्त हुए।
संजय दत्त के वीडियो के बाद कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत ने सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अभिनेता पर निशाना साधते हुए लिखा: "नायक नहीं खलनायक है तू। अपने पिता का नालायक है तू!"
राजपूत ने संजय के स्वर्गीय पिता सुनील दत्त का उल्लेख किया, जो कांग्रेस के प्रमुख नेता और संसद सदस्य थे। सुनील दत्त ने अपने राजनीतिक जीवन में सांप्रदायिक संगठनों का विरोध किया था, जिसमें आरएसएस और शिवसेना भी शामिल थे।
कांग्रेस के अन्य समर्थकों ने भी सोशल मीडिया पर सक्रिय होकर संजय की आलोचना की। उनका तर्क था कि सुनील दत्त ने 1984, 1989, 1991, 1999 और 2005 में मुंबई बांद्रा उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट से भाजपा-शिवसेना गठबंधन को पराजित किया था।
एक पोस्ट में कहा गया: "सुनील दत्त गांधीवादी विचारधारा के सच्चे अनुयायी थे और सांप्रदायिक शक्तियों से संघर्ष करते रहे। आज उनका बेटा उनकी गरिमा को धूमिल कर रहा है।"
समर्थकों की प्रतिक्रिया: आरएसएस और भाजपा के समर्थकों ने संजय दत्त की प्रशंसा की। उनका कहना था कि "कांग्रेसी हिंदुत्ववादी संगठनों से नफरत करते हैं। संजय दत्त ने वास्तविकता बयान की है।" #RSS100 और #Sanghyatra जैसे हैशटैग चलन में आ गए।
विरोधियों की आपत्ति: विपक्षी उपयोगकर्ताओं ने आरएसएस के अतीत पर सवाल खड़े किए, जिसमें गांधी हत्या, संविधान विरोध और सांप्रदायिक हिंसा के आरोप शामिल थे। एक यूजर ने पूछा: "आरएसएस का राष्ट्र-निर्माण क्या है? गांधीजी की हत्या या तिरंगे का विरोध?"
सोशल मीडिया पर #SanjayDutt, #RSS100Years और #Nalayak जैसे टैग्स वायरल हुए। प्रमुख मीडिया हाउसों जैसे आज तक और दैनिक जागरण ने इस विवाद को व्यापक कवरेज दिया।
अभी तक संजय दत्त ने कांग्रेस की आलोचना पर कोई सीधा जवाब नहीं दिया है। अपनी पारिवारिक राजनीतिक पृष्ठभूमि के बावजूद, वे हमेशा तटस्थ रुख अपनाते आए हैं। वे सामाजिक मुद्दों पर अपनी बात रखते हैं लेकिन प्रत्यक्ष राजनीति से दूरी बनाए रखते हैं।
यह विवाद आरएसएस के शताब्दी वर्ष में मौजूदा राजनीतिक विभाजन को प्रदर्शित करता है। समर्थक इसे राष्ट्र-निर्माण की संस्था मानते हैं, जबकि आलोचक इसे सांप्रदायिक संगठन बताते हैं। संजय दत्त जैसी प्रसिद्ध हस्ती का इसमें शामिल होना बहस को और तीव्र बनाता है।