स्टेट डेस्क, आर्या कुमारी ।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह घोषणा की है कि अब प्रदेश के सभी स्कूलों में राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ का गायन अनिवार्य रूप से कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम का विरोध न केवल अनुचित है, बल्कि भारत के विभाजन के पीछे एक दुर्भाग्यपूर्ण कारण भी रहा है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि अब प्रदेश के हर शैक्षणिक संस्थान में वंदे मातरम का गान जरूरी होगा।
योगी आदित्यनाथ ने कहा, "अगर देश में कोई दोबारा जिन्ना पैदा होने की कोशिश करता है, तो उसे हम यहीं जिंदा दफन कर देंगे." उन्होंने इसे लेकर राष्ट्रविरोधी मानसिकता का संकेत बताया और कहा कि ऐसे विचार अब बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। इस बयान को लेकर राजनीतिक दायरों में तीखी प्रतिक्रियाएं आने की आशंका भी जताई जा रही है।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि कुछ लोग सरदार पटेल की जयंती में तो शामिल नहीं होते, लेकिन जिन्ना को सम्मान देने वाले आयोजनों में सक्रिय रहते हैं। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम का विरोध आज भी एक नकारात्मक सोच का परिचायक है।
योगी ने कहा कि कांग्रेस के शुरुआती अधिवेशनों में वंदे मातरम गाया जाता था। उन्होंने कहा, ‘1896-97 के कांग्रेस अधिवेशन में स्वयं रविंद्रनाथ टैगोर ने वंदे मातरम गाया था और 1896 से 1922 तक कांग्रेस के हर अधिवेशन में यह परंपरा रही। लेकिन 1923 में जब मोहम्मद अली जौहर अध्यक्ष बने, तो वंदे मातरम शुरू होते ही वे उठकर चले गए और गाने से इनकार कर दिया। इसी तरह के विरोध ने देश के बंटवारे में दुर्भाग्यपूर्ण भूमिका निभाई।’
आदित्यनाथ ने कहा कि अगर उस समय कांग्रेस ने मोहम्मद अली जौहर को पद से हटाकर वंदे मातरम के सम्मान को प्राथमिकता दी होती तो विभाजन की स्थिति नहीं आती। उन्होंने यह भी कहा कि बाद में कांग्रेस ने गीत में संशोधन के लिए समिति बनाई, जिसकी 1937 में आई रिपोर्ट में कुछ शब्दों को बदलने की सिफारिश की गई, क्योंकि वे भारत माता को देवी स्वरूप में प्रस्तुत करते थे।







