लोकल डेस्क, मुस्कान कुमारी |
गोपालगंज: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियां तेज होने के बीच गोपालगंज की बरौली सीट पर एक हैरतअंगेज वाकया हुआ। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की पार्टी जनशक्ति जनता दल (जेजेडी) के उम्मीदवार धर्मेंद्र कुमार क्रांतिकारी ने हथकड़ी लगे हुए नामांकन दाखिल किया। जेल से सीधे नामांकन केंद्र पहुंचे इस शख्स को देखने के लिए कलेक्ट्रेट पर भारी भीड़ जमा हो गई। हाथों में हथकड़ी और आंखों में आंसू लिए धर्मेंद्र ने मीडिया के सामने चिल्ला-चिल्लाकर अपनी बात रखी और बरौली विधानसभा क्षेत्र से जेजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया।
यह दृश्य इतना अनोखा था कि लोग हैरान रह गए। पुलिस की भारी सुरक्षा में लाए गए धर्मेंद्र पर जमीन धोखाधड़ी, एससी-एसटी एक्ट समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं। जून महीने में उनकी गिरफ्तारी हुई थी और बाद में उन पर गुंडा एक्ट भी लगा दिया गया। इतना ही नहीं, अपने सगे बड़े भाई को चाकू मारकर गंभीर रूप से घायल करने का भी आरोप उन पर है। गोपालगंज के माधोपुर गांव के रहने वाले धर्मेंद्र ने नामांकन के दौरान खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि वे सिस्टम के शिकार हैं और चुनाव लड़कर न्याय की लड़ाई लड़ेंगे।
पुलिस की सख्ती और भीड़ का उत्साह
नामांकन केंद्र पर पहुंचते ही माहौल गर्मा गया। हथकड़ी लगे धर्मेंद्र को देखकर लोग फुसफुसाने लगे। कुछ ने सेल्फी लेने की कोशिश की, तो पुलिस ने उन्हें दूर किया। धर्मेंद्र ने चिल्लाकर कहा, "मैं निर्दोष हूं, मुझे फंसाया गया है। जनता मुझे न्याय देगी।" उनकी आवाज में दर्द और गुस्सा दोनों झलक रहे थे। कलेक्ट्रेट के बाहर जमा भीड़ में स्थानीय लोग, पत्रकार और राजनीतिक कार्यकर्ता शामिल थे। जेजेडी के कुछ समर्थक भी वहां पहुंचे, जिन्होंने नारे लगाकर उनका हौसला बढ़ाया।
तेज प्रताप यादव की पार्टी जेजेडी ने धर्मेंद्र को टिकट देकर सबको चौंका दिया। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, यह फैसला सामाजिक न्याय की लड़ाई को मजबूत करने के लिए लिया गया। तेज प्रताप खुद चुनावी मैदान में सक्रिय हैं और अपनी पार्टी को मजबूत करने की कोशिश में जुटे हैं। बरौली सीट पर पहले से ही कई दिग्गजों की नजर है, लेकिन हथकड़ी वाले उम्मीदवार की एंट्री ने मुकाबले को रोचक बना दिया।
आरोपों की लंबी फेहरिस्त
धर्मेंद्र कुमार क्रांतिकारी पर लगे आरोप बेहद संगीन हैं। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, जमीन से जुड़ी धोखाधड़ी में उनका नाम कई बार आया है। एससी-एसटी एक्ट के तहत भी केस दर्ज हैं, जो दलित उत्पीड़न से जुड़े बताए जाते हैं। जून में गिरफ्तारी के बाद गुंडा एक्ट लगाया गया, जिससे उनकी जमानत मुश्किल हो गई। सबसे चौंकाने वाला आरोप है अपने बड़े भाई पर चाकू से हमला। पुलिस का कहना है कि पारिवारिक विवाद में यह हमला हुआ, जिसमें भाई गंभीर रूप से घायल हो गया। धर्मेंद्र इन सभी आरोपों को साजिश बताते हैं और कहते हैं कि राजनीतिक दुश्मनी के चलते उन्हें फंसाया गया।
नामांकन के दौरान उन्होंने दावा किया कि वे गरीबों और दबे-कुचले लोगों की आवाज बनकर चुनाव लड़ेंगे। जेजेडी के टिकट पर उनका उतरना तेज प्रताप की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जो लालू परिवार की राजनीति में नई जान फूंकने की कोशिश है। बरौली सीट पर पारंपरिक रूप से राजद का प्रभाव रहा है, लेकिन जेजेडी की एंट्री से वोटों का बंटवारा हो सकता है।
चुनावी माहौल में नया ट्विस्ट
बिहार चुनाव 2025 की तैयारी जोरों पर है। गोपालगंज जिले की बरौली सीट पर अब तक कई पार्टियां अपने उम्मीदवार उतार चुकी हैं, लेकिन जेजेडी के इस कदम ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया। क्या हथकड़ी लगे उम्मीदवार को जनता का समर्थन मिलेगा? यह सवाल हर किसी के जेहन में है। नामांकन के बाद धर्मेंद्र को वापस जेल ले जाया गया, लेकिन उनका चेहरा आत्मविश्वास से भरा था।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसे उम्मीदवार चुनाव को और दिलचस्प बनाते हैं। कुछ ने इसे सिस्टम की विफलता बताया, तो कुछ ने राजनीतिक स्टंट करार दिया। चुनाव आयोग के नियमों के तहत, गिरफ्तार व्यक्ति भी नामांकन दाखिल कर सकता है, बशर्ते वह दोषी साबित न हुआ हो। धर्मेंद्र का मामला अभी कोर्ट में है, इसलिए उनका नामांकन वैध माना गया।







