
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
हर रोज अमेरिका को ₹8800 करोड़ का नुकसान, ट्रंप की किरकिरी....
अमेरिका इस समय एक बड़े राजनीतिक और आर्थिक संकट से गुजर रहा है। सरकारी शटडाउन के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह स्थिति लंबी चली तो इसका असर जीडीपी और रोजगार दोनों पर गंभीर रूप से पड़ सकता है। अमेरिका की सबसे बड़ी चिंता यह है कि जितने दिन यह शटडाउन जारी रहेगा, उतना ही गहरा आर्थिक झटका लगेगा, जिसकी भरपाई आने वाले वर्षों तक भी मुश्किल हो सकती है।
शटडाउन से अरबों डॉलर का नुकसान
कंसल्टिंग फर्म EY-Parthenon की ताजा रिपोर्ट बताती है कि शटडाउन के चलते अमेरिका को हर सप्ताह लगभग 7 बिलियन डॉलर (करीब 58,000 करोड़ रुपये) का नुकसान हो रहा है। इसका अर्थ यह है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को प्रतिदिन लगभग ₹8,800 करोड़ का झटका लग रहा है और हर घंटे लगभग ₹369 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शटडाउन के चलते अमेरिकी जीडीपी में हर सप्ताह 0.1% की गिरावट दर्ज की जा सकती है। चौथी तिमाही की विकास दर पर इसका सीधा असर पड़ेगा।
बेरोजगारी और उपभोक्ता खर्च पर खतरा
जर्मन मीडिया पॉलिटिको को मिली जानकारी के अनुसार, व्हाइट हाउस की आर्थिक सलाहकार परिषद ने अपने ज्ञापन में चेतावनी दी है कि यदि शटडाउन एक महीने तक चला, तो इसके परिणामस्वरूप 43,000 अतिरिक्त कर्मचारी बेरोजगार हो सकते हैं। इसके अलावा, उपभोक्ता खर्च में भी लगभग 30 बिलियन डॉलर (2.4 लाख करोड़ रुपये) की कमी आ सकती है।
ज्ञापन के अनुसार, “इस शटडाउन का असर न केवल जीडीपी पर बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक सेवाओं पर भी होगा। लंबा खिंचने की स्थिति में बेरोजगारी दर बढ़ेगी, सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम प्रभावित होंगे, हवाई यात्रा पर असर पड़ेगा और नवजात बच्चों की पोषण संबंधी योजनाओं पर भी संकट मंडराएगा।”
ट्रंप प्रशासन पर सवाल
शटडाउन का सीधा राजनीतिक असर भी देखा जा रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और उनके निर्णयों के कारण अमेरिकी जनता को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने एक इंटरव्यू में कहा, “सरकार को बंद करके और जीडीपी को कम करके बातचीत करना सही तरीका नहीं है। यह न केवल अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि कामकाजी वर्ग पर भी भारी बोझ डाल रहा है।”
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की इस रणनीति से न तो अमेरिका की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और न ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी साख बचेगी। बल्कि, यह निर्णय उन्हें और अधिक आलोचना के घेरे में ला रहा है।
आर्थिक नुकसान की गिनती
ईवाई पार्थेनॉन की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि छुट्टी पर गए कर्मचारियों को पिछला वेतन मिलने और सरकार के फिर से खुलने पर गतिविधियों में तेजी आने से कुछ नुकसान की भरपाई हो सकती है, लेकिन कई नुकसान स्थायी भी होंगे।
सार्वजनिक सेवाओं में रुकावट, सरकारी ठेकों में देरी, व्यापारिक गतिविधियों में कमी और उपभोक्ता विश्वास में गिरावट ऐसे प्रभाव हैं, जिनका असर अल्पकालिक नहीं बल्कि दीर्घकालिक हो सकता है।
पिछला शटडाउन और उसके प्रभाव
अमेरिका को शटडाउन का खामियाजा नया नहीं है। दिसंबर 2018 से जनवरी 2019 तक हुए 35 दिन के आंशिक शटडाउन से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कम से कम 11 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था, जिसमें से लगभग 3 अरब डॉलर का नुकसान स्थायी था। यह उस समय अमेरिका के इतिहास का सबसे लंबा शटडाउन था।
विशेषज्ञों के अनुसार, मौजूदा शटडाउन अगर ज्यादा समय तक खिंचता है तो यह 2018-19 वाले नुकसान को भी पीछे छोड़ सकता है।
अमेरिका का मौजूदा शटडाउन वहां की राजनीति और आर्थिक नीतियों की खामियों को उजागर कर रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों की आलोचना न केवल घरेलू स्तर पर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी हो रही है। हर दिन हो रहे अरबों डॉलर के नुकसान का सीधा असर आम अमेरिकी नागरिक की जिंदगी पर पड़ रहा है। यदि आने वाले दिनों में इस पर कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया, तो यह संकट अमेरिकी अर्थव्यवस्था को गहरे गर्त में धकेल सकता है। जीडीपी में गिरावट, बेरोजगारी में वृद्धि और उपभोक्ता खर्च में कमी जैसे परिणाम आने वाले समय में अमेरिका की वैश्विक आर्थिक शक्ति पर भी सवाल खड़े कर सकते हैं।