
नेशनल डेस्क, श्रेया पांडेय |
गृह मंत्री अमित शाह का दावा: देश 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा; बोले, वामपंथी विचारधारा ने रोका विकास
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को एक बड़ा और महत्वपूर्ण दावा करते हुए कहा कि 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से पूरी तरह से मुक्त कर दिया जाएगा। उन्होंने यह बात विज्ञान भवन में आयोजित ‘भारत मंथन-2025: नक्सल मुक्त भारत: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लाल आतंक की समाप्ति’ विषय पर दो दिवसीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कही।
शाह ने अपने संबोधन में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास में पिछड़ेपन के लिए वामपंथी उग्रवाद को सबसे बड़ा कारण बताया। उन्होंने उन लोगों पर निशाना साधा जो यह प्रचार करते हैं कि नक्सलवाद पिछड़ेपन के कारण फैला है, और कहा कि ऐसे लोग देश को गुमराह कर रहे हैं। गृह मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास न पहुंचने का एकमात्र कारण वामपंथी विचारधारा है।
नक्सलवाद की समाप्ति की दिशा में सरकार के प्रयास
गृह मंत्री अमित शाह ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार नक्सलवाद के पूर्ण उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में लगातार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की बहुआयामी रणनीति के तहत न केवल सुरक्षा बलों की तैनाती और ऑपरेशन को मजबूत किया गया है, बल्कि प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को भी तेज किया गया है। उनका मानना है कि विकास की मुख्यधारा से जुड़ना ही नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने का स्थायी समाधान है।
शाह ने सुरक्षा बलों के जवानों की बलिदान और वीरता की सराहना की, जिन्होंने देश को ‘लाल आतंक’ से मुक्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय और खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान से नक्सली गतिविधियों पर प्रभावी रूप से लगाम लगाई जा सकी है। गृह मंत्रालय द्वारा तैयार की गई ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति ने आतंकवाद और उग्रवाद दोनों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने का मार्ग प्रशस्त किया है।
विकास की अनदेखी और वैचारिक भटकाव
गृह मंत्री ने सम्मेलन में मौजूद लोगों से कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को यह समझना होगा कि उन्हें बरगलाने वाले समूह, जिनमें वामपंथी उग्रवाद के समर्थक शामिल हैं, केवल राजनीतिक और वैचारिक लाभ के लिए उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्होंने तर्क दिया कि वामपंथी उग्रवादी समूह जानबूझकर स्कूलों, अस्पतालों, सड़कों और अन्य बुनियादी ढांचों को निशाना बनाते हैं ताकि ये क्षेत्र विकास से वंचित रहें और वहां के निवासी असंतोष की स्थिति में रहें, जिसका फायदा वे अपनी भर्ती और विचारधारा को फैलाने के लिए उठा सकें।
शाह ने कहा कि देश के अन्य हिस्सों में हुए आर्थिक और सामाजिक विकास को देखकर यह स्पष्ट है कि यदि वामपंथी उग्रवाद ने इन क्षेत्रों को बंधक नहीं बनाया होता, तो आज ये भी प्रगति के पथ पर बहुत आगे होते। उन्होंने आरोप लगाया कि वामपंथी उग्रवादी नेताओं का सिद्धांत केवल विध्वंस पर आधारित है, और वे रचनात्मक विकास में विश्वास नहीं करते।
लक्ष्य को हासिल करने की रणनीति
- गृह मंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए तीन-आयामी रणनीति पर प्रकाश डाला:
- सुरक्षा और खुफिया: नक्सली समूहों के खिलाफ लगातार और तेज ऑपरेशन, साथ ही उनकी वित्तीय और आपूर्ति श्रृंखला को काटना।
- विकास का विस्तार: प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं और सरकारी योजनाओं का तीव्र क्रियान्वयन सुनिश्चित करना ताकि स्थानीय लोगों का विश्वास जीता जा सके।
- जागरूकता और पुनर्वास: वामपंथी विचारधारा के झूठे प्रचार का मुकाबला करने के लिए जागरूकता अभियान चलाना और आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास के लिए आकर्षक योजनाएँ लागू करना।
उन्होंने राज्यों की पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों से आह्वान किया कि वे इस अंतिम चरण में अपनी तत्परता और समर्पण को और बढ़ाएँ, ताकि देश को हमेशा के लिए लाल आतंक के साये से बाहर निकाला जा सके। शाह ने कहा कि सरकार हरसंभव साधन और समर्थन उपलब्ध कराएगी ताकि यह ऐतिहासिक लक्ष्य समय पर पूरा हो सके और देश नक्सल मुक्त भारत का सपना साकार कर सके। यह न केवल देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बल्कि उन लाखों नागरिकों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो दशकों से इस संघर्ष से पीड़ित हैं।
इस दृढ़ घोषणा के साथ, गृह मंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया कि केंद्र सरकार इस गंभीर समस्या को राजनीतिक बयानबाजी से ऊपर उठकर एक राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती के रूप में देखती है, जिसका समाधान अब दूर नहीं है।