
श्रेया पांडे, नेशनल डेस्क |
2029 के पहले महिलाओं को मिलेगा 33% आरक्षण, लोकसभा सीटें बढ़कर 848 होने की संभावना
केंद्र सरकार 2029 के आम चुनावों से पहले लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण देने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। यह आरक्षण “नारी शक्ति वंदन अधिनियम” के तहत लागू किया जाएगा, जिसे 2023 में संसद द्वारा पारित किया गया था। इस आरक्षण को प्रभावी बनाने के लिए परिसीमन (Delimitation) की प्रक्रिया आवश्यक है, जो 2026 के बाद की जनगणना के आधार पर की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, सरकार की योजना है कि 2026 में होने वाली जनगणना के आंकड़ों को आधार बनाकर लोकसभा और विधानसभाओं की सीटों का पुनर्निर्धारण किया जाए। यदि प्रस्तावित बदलाव लागू होते हैं, तो लोकसभा की कुल सीटें वर्तमान 543 से बढ़कर 848 तक पहुंच सकती हैं। अकेले उत्तर प्रदेश को 143 सीटें मिल सकती हैं, जबकि अभी वहां 80 सीटें हैं। बिहार की सीटें 40 से बढ़कर लगभग 70 हो सकती हैं।
जनसंख्या के आधार पर यह पुनर्संरचना इसलिए संभव हो रही है क्योंकि 1976 और 2001 में लागू परिसीमन पर रोक 2026 में समाप्त हो रही है। यह पहली बार होगा जब भारत में जनसंख्या अनुपात के अनुसार संसद में प्रतिनिधित्व के आधार को फिर से तय किया जाएगा। हालांकि, इस कदम को लेकर दक्षिणी राज्यों ने आपत्ति जताई है। उनका तर्क है कि दक्षिण भारत ने जनसंख्या नियंत्रण में बेहतर प्रदर्शन किया है, जिससे नई व्यवस्था में उनके हिस्से की सीटों में गिरावट आ सकती है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने इसे दक्षिण राज्यों के खिलाफ साजिश बताया है।
इस बीच, केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि नए परिसीमन में किसी राज्य के साथ भेदभाव नहीं होगा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आश्वासन दिया है कि सभी राज्यों को उनकी जनसंख्या के आधार पर न्यायसंगत प्रतिनिधित्व मिलेगा। महिलाओं को दिए जाने वाले 33% आरक्षण में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों में भी एक‑तिहाई हिस्सा महिलाओं के लिए सुरक्षित होगा| यदि परिसीमन प्रक्रिया 2027 तक पूर्ण हो जाती है, तो यह ऐतिहासिक आरक्षण व्यवस्था 2029 के आम चुनावों में पहली बार लागू हो सकती है, जिससे भारतीय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी में एक क्रांतिकारी बदलाव आएगा।