एंटरटेनमेंट डेस्क, मुस्कान कुमारी |
नई दिल्ली: लेखक चेतन भगत की पहली किताब 'फाइव पॉइंट समवन' पर बनी फिल्म '3 इडियट्स' ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया, लेकिन भगत को इसके राइट्स बेचने से सिर्फ 11 लाख रुपये मिले। 2009 में रिलीज हुई यह फिल्म आमिर खान की वजह से ब्लॉकबस्टर बनी और दुनिया भर में 350 करोड़ रुपये की कमाई की। भगत ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में इस डील के बारे में खुलासा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि उस वक्त वे बैंक की नौकरी कर रहे थे और फिल्म बनने की उम्मीद भी नहीं थी।
फिल्म की सफलता के बाद भी भगत को सिर्फ 1 लाख रुपये का कॉन्ट्रैक्ट और 10 लाख का बोनस मिला। उन्होंने कहा कि उस समय यह रकम ठीक लगी, क्योंकि कहानी अनकन्वेंशनल थी और आमिर खान जैसे स्टार के जुड़ने की कल्पना नहीं की गई थी। भगत ने तुलना करते हुए बताया कि उसी दौर में विदु विनोद चोपड़ा की फिल्म 'परिणीता' में सैफ अली खान को लीड रोल के लिए 25 लाख रुपये मिले थे, जो उनके 11 लाख से ज्यादा थे।
फिल्म राइट्स की दुनिया में शुरुआती संघर्ष
चेतन भगत ने पॉडकास्ट में कुशल लोढ़ा से बातचीत में अपनी लेखन यात्रा का जिक्र किया। 2004 में प्रकाशित 'फाइव पॉइंट समवन' उनकी डेब्यू नॉवेल थी, जिसके राइट्स 2005 में बेचे गए। फिल्म बनने में चार साल लगे और तब तक भगत बैंक में काम कर रहे थे। उन्होंने कहा, "मैं नया था, बाद में ऐसे राइट्स करोड़ों में बिके, लेकिन तब फिल्म बनेगी या नहीं, यह पता नहीं था।"
भगत ने आगे बताया कि फिल्म राइट्स बेचने का सिस्टम फिक्स्ड अमाउंट पर चलता है। इसमें एडवांस, प्रोजेक्ट ग्रीनलाइट होने पर और रिलीज से पहले पेमेंट मिलता है। वे हमेशा फिक्स्ड पेमेंट को तरजीह देते हैं, क्योंकि प्रॉफिट शेयरिंग में प्रोडक्शन हाउस अक्सर घाटा दिखाते हैं। फाइनेंस बैकग्राउंड की वजह से वे वेरिएबल मॉडल से दूर रहते हैं।
बाद की किताबों से बदली किस्मत
'3 इडियट्स' की सफलता ने भगत को फुल-टाइम लेखन की ओर धकेला। उस वक्त तक वे तीन किताबें लिख चुके थे। बाद में '2 स्टेट्स' और 'हाफ गर्लफ्रेंड' जैसी किताबें आईं, जिन पर अर्जुन कपूर स्टारर फिल्में बनीं। भगत ने बताया कि राइट्स आमतौर पर तीन साल के लिए बेचे जाते हैं। अगर फिल्म नहीं बनती, तो राइट्स वापस आ जाते हैं। लेकिन अगर बनती है, तो ज्यादा पेमेंट मिलता है और राइट्स हमेशा के लिए ट्रांसफर हो जाते हैं।
फिल्म इंडस्ट्री में भगत की एंट्री ने युवा लेखकों को प्रेरित किया। '3 इडियट्स' ने न सिर्फ एजुकेशन सिस्टम पर सवाल उठाए, बल्कि भगत को स्टारडम दिया। फिल्म का बजट 55 करोड़ था, लेकिन कमाई ने सभी रेकॉर्ड तोड़े। भगत ने कहा कि उस समय की तुलना में उनकी डील फेयर थी, भले ही अब यह छोटी लगे।
बॉलीवुड में लेखकों की स्थिति
भगत की कहानी बॉलीवुड में लेखकों की स्थिति को उजागर करती है। कई लेखक राइट्स बेचकर करोड़पति बनते हैं, लेकिन शुरुआत में संघर्ष ज्यादा होता है। भगत ने बताया कि '3 इडियट्स' से पहले वे बैंक जॉब छोड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाए थे। फिल्म की सफलता ने उन्हें कॉन्फिडेंस दिया और आगे की किताबें हिट हुईं।
उन्होंने पॉडकास्ट में यह भी जिक्र किया कि प्रोडक्शन हाउस प्राइवेट कंपनियां होती हैं, जो प्रॉफिट होने पर भी लॉस दिखाती हैं। इसलिए फिक्स्ड डील बेहतर होती है। भगत अब कई किताबों के लेखक हैं और उनकी कहानियां बॉलीवुड का हिस्सा बनीं।
एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की बदलती तस्वीर
'3 इडियट्स' ने बॉलीवुड को नई दिशा दी। आमिर खान, आर माधवन और शरमन जोशी जैसे स्टार्स की वजह से यह कल्ट क्लासिक बनी। भगत की किताब ने इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स की जिंदगी को स्क्रीन पर जीवंत किया। फिल्म ने एजुकेशन, दोस्ती और सपनों पर फोकस किया, जो युवाओं से जुड़ा।
भगत ने कहा कि राइट्स बेचने से पहले वे नहीं जानते थे कि फिल्म इतनी बड़ी हिट बनेगी। अब वे लेखन के अलावा मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं। उनकी कहानी बताती है कि शुरुआती डील्स छोटी हो सकती हैं, लेकिन सफलता बड़ी होती है।







