
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
बाल्टिक क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। एस्टोनिया ने आरोप लगाया है कि रूस के तीन मिग-31 लड़ाकू विमान ने उसके हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया और लगभग 12 मिनट तक उसकी सीमा में उड़ान भरते रहे। यह घटना शुक्रवार को हुई और एस्टोनिया ने इसे स्पष्ट घुसपैठ और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है।
घटना का विवरण
एस्टोनिया के रक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी कि शुक्रवार को रूसी मिग-31 विमान बिना अनुमति के उसके हवाई क्षेत्र में प्रवेश कर गए। ये विमान फिनलैंड की खाड़ी के ऊपर एस्टोनियाई सीमा के भीतर कुल 12 मिनट तक मौजूद रहे। मंत्रालय ने इसे गंभीर सुरक्षा खतरे के रूप में चिन्हित किया है और तत्काल इसका विरोध दर्ज कराया है।
एस्टोनिया का विरोध
एस्टोनिया के विदेश मंत्रालय ने इस घटना को "गंभीर और अस्वीकार्य" बताते हुए रूस के राजनयिक प्रतिनिधि को तलब किया। मंत्रालय ने कहा कि रूस की यह हरकत नाटो सदस्य देशों की संप्रभुता को चुनौती देने वाली है।
एस्टोनिया ने बयान में कहा,
"हम अपने हवाई क्षेत्र में इस तरह की घुसपैठ को बर्दाश्त नहीं करेंगे। रूस का यह रवैया पूरे यूरोप की सुरक्षा के लिए खतरा है।"
रूस की चुप्पी
इस घटना को लेकर अभी तक रूस की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में रूस पर कई बार बाल्टिक देशों के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ करने के आरोप लगते रहे हैं। रूस अक्सर अपने लड़ाकू विमानों के प्रशिक्षण या गश्ती उड़ानों को इसका कारण बताता है, लेकिन एस्टोनिया ने इस बार इसे जानबूझकर किया गया कदम बताया है।
नाटो की प्रतिक्रिया
एस्टोनिया नाटो का सदस्य देश है और इस घटना के बाद नाटो ने भी स्थिति पर नजर रखी है। नाटो अधिकारियों ने कहा कि यह नियमित पैटर्न बन चुका है कि रूसी विमान बिना अनुमति के बाल्टिक क्षेत्र के हवाई क्षेत्र के करीब उड़ान भरते हैं या कभी-कभी उसमें प्रवेश कर जाते हैं।
नाटो की बाल्टिक एयर पॉलिसिंग मिशन के तहत पहले भी इस तरह की घटनाओं पर नाटो के लड़ाकू विमान तुरंत सक्रिय किए गए हैं। हालांकि, इस बार नाटो की ओर से सीधी कार्रवाई की खबर सामने नहीं आई है।
यूरोप में बढ़ता तनाव
रूस और पश्चिमी देशों के बीच यूक्रेन युद्ध के बाद से तनाव लगातार बढ़ रहा है। बाल्टिक देश—एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया—विशेष रूप से सतर्क रहते हैं क्योंकि ये रूस की सीमाओं से लगे हुए हैं और नाटो का हिस्सा भी हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि रूस इन घुसपैठों के जरिए पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया परखता है और साथ ही क्षेत्र में असुरक्षा की भावना पैदा करने की कोशिश करता है।
एस्टोनिया की चेतावनी
एस्टोनियाई अधिकारियों ने साफ किया कि वे इस घटना की शिकायत संयुक्त राष्ट्र और नाटो मंचों पर दर्ज कराएंगे। उन्होंने कहा कि रूस के इस कदम को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा है।
एस्टोनिया में हुई यह घुसपैठ कोई नई नहीं है, लेकिन इसका समय और तरीका यूरोप की सुरक्षा स्थिति को और तनावपूर्ण बना सकता है। रूस और पश्चिमी देशों के बीच पहले से ही यूक्रेन को लेकर टकराव जारी है, ऐसे में बाल्टिक क्षेत्र में इस तरह की घटनाएं आगे किसी बड़े टकराव का संकेत भी हो सकती हैं।