
नेशनल डेस्क, श्रेयांश पराशर |
केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारियों का धैर्य अब जवाब देता दिख रहा है। सात महीने पहले 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन की घोषणा के बावजूद अभी तक इसकी अधिसूचना जारी न होने से नाराज़गी चरम पर पहुँच चुकी है। इसी नाराज़गी को स्वर देने के लिए 29 अगस्त को पूरे देश में कर्मचारी संगठनों द्वारा व्यापक प्रदर्शन की तैयारी की जा रही है।
अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ ने रविवार को स्पष्ट किया कि केंद्र की चुप्पी अब कर्मचारियों के लिए असहनीय हो रही है। लाखों कर्मचारी इस इंतजार में थे कि 8वें वेतन आयोग का गठन होगा और उनके वेतन, भत्तों और पेंशन संबंधी असमानताओं को दूर किया जाएगा। किंतु सात महीने बाद भी जब कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो कर्मचारियों ने लोकतांत्रिक दबाव बनाने का निर्णय लिया।
29 अगस्त को देशभर के सभी विभागों, बोर्डों, निगमों, नगर निगमों, पालिकाओं, परिषदों और विश्वविद्यालयों में गेट मीटिंग और प्रदर्शन होंगे। यह आंदोलन सिर्फ वेतन आयोग तक सीमित नहीं रहेगा। कर्मचारियों ने संकेत दिया है कि आगामी चरणों में वेतन आयोग के गठन के साथ-साथ पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली, खाली पदों पर भर्ती, बकाया डीए/डीआर के भुगतान और सेवा शर्तों में सुधार जैसी मांगों को लेकर भी संघर्ष किया जाएगा।
महासंघ ने घोषणा की है कि यदि 29 अगस्त के प्रदर्शन के बाद भी सरकार ने संज्ञान नहीं लिया तो 23 सितंबर को देशभर के जिला मुख्यालयों पर धरने दिए जाएंगे। इससे साफ है कि आंदोलन चरणबद्ध और लंबा चलने वाला हो सकता है।
परिणाम और संभावनाएं:
कर्मचारियों की ये मांगें महज़ व्यक्तिगत हितों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इसका सीधा असर सरकारी तंत्र की कार्यक्षमता और जनता को मिलने वाली सेवाओं पर भी पड़ेगा। खाली पदों की भर्ती रुकने से शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशासनिक कार्यों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। साथ ही, महंगाई के दौर में वेतन और भत्तों का मुद्दा कर्मचारियों के लिए जीवन-यापन का प्रश्न बन गया है।
यदि सरकार ने समय रहते पहल की तो टकराव टल सकता है, अन्यथा यह आंदोलन व्यापक रूप ले सकता है। कर्मचारियों की एकजुटता और चरणबद्ध रणनीति को देखते हुए केंद्र सरकार के लिए अब इस मसले को टालना मुश्किल होता जा रहा है।
8वें वेतन आयोग का गठन अब केवल घोषणा से आगे बढ़कर ठोस कार्रवाई की मांग कर रहा है। आने वाले दिनों में सरकार और कर्मचारियों के बीच संवाद ही इस तनावपूर्ण स्थिति को शांत कर सकता है, वरना 29 अगस्त और 23 सितंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन बड़ा संदेश देंगे।