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BJP का दांव: अलीनगर से मैथिली ठाकुर को उतारने की सियासी वजहें?

स्पेशल रिपोर्ट, आर्या कुमारी |

बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज़ हैं, और इसी बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एक ऐसा ‘मास्टरस्ट्रोक’ चला है जिसने सबका ध्यान खींच लिया है। मंगलवार को 25 साल की मशहूर लोक गायिका मैथिली ठाकुर (Maithili Thakur) औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल हुईं, और अब उन्हें दरभंगा की अहम अलीनगर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। अपने भजनों और लोकगीतों से करोड़ों दिलों पर राज करने वाली मैथिली अब राजनीति के मंच पर किस्मत आज़माने जा रही हैं। मधुबनी में 25 जुलाई 2000 को जन्मी मैथिली की शिक्षा दिल्ली में हुई है, और उनके पिता रमेश ठाकुर एक संगीत शिक्षक हैं।

अलीनगर सीट का सियासी समीकरण: क्या है BJP की रणनीति?

जिस अलीनगर सीट से मैथिली ठाकुर को टिकट मिला है, उसके राजनीतिक समीकरण बेहद दिलचस्प हैं। 2008 में परिसीमन के बाद गठित इस सीट से मैथिली का निजी नाता है, “मैथिली ठाकुर भले ही मधुबनी की बेटी हों, लेकिन उनकी लोकगायकी, भाषा और मिथिला संस्कृति से जुड़ी लोकप्रियता अलीनगर समेत पूरे मिथिला क्षेत्र में गहराई से रची-बसी है,  2011 की जनगणना के अनुसार, अलीनगर विधानसभा में 12.37% मतदाता अनुसूचित जाति के हैं, जबकि 58,419 मुस्लिम मतदाता इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इनके अलावा ब्राह्मण और कुर्मी समुदाय के मतदाता भी प्रभावशाली हैं। 2020 के चुनाव में भाजपा के मिश्री लाल यादव ने यह सीट जीती थी। पार्टी को उम्मीद है कि मैथिली की लोकप्रियता, उनकी साफ-सुथरी छवि और स्थानीय जुड़ाव का फायदा उन्हें मिलेगा। भाजपा का मानना है कि युवा, महिलाएं और पारंपरिक मतदाता खुलकर मैथिली के पक्ष में आएंगे। इस वजह से अलीनगर का मुकाबला अब और भी दिलचस्प और कड़ा हो गया है।

BJP का सियासी फायदा: लोकप्रियता से साधने की कोशिश कई मोर्चे की

भाजपा ने मैथिली ठाकुर को उम्मीदवार बनाकर एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है। एक ओर पार्टी युवा और महिला मतदाताओं को अपने पाले में लाना चाहती है, वहीं दूसरी ओर मिथिला क्षेत्र में सांस्कृतिक जुड़ाव के जरिये अपनी पकड़ और मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है। मैथिली ठाकुर का नाम न केवल संगीत प्रेमियों में जाना-पहचाना है, बल्कि वह मिथिला की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक भी हैं। पार्टी को उम्मीद है कि उनकी लोकप्रियता ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी मतदाताओं तक एक भावनात्मक जुड़ाव पैदा करेगी। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि मैथिली जैसी साफ छवि और “लोकप्रिय चेहरा” अलीनगर में विपक्ष के वोट बैंक को भी प्रभावित कर सकता है।

संघर्ष से सफलता तक मैथिली का सफर

मैथिली ठाकुर का संगीत सफर आसान नहीं रहा। उनके दो भाई, ऋषभ और अयाची, भी संगीत में उनका साथ देते हैं। पिता और दादा से प्रशिक्षण लेकर उन्होंने कम उम्र में ही शास्त्रीय और मैथिली लोक संगीत की शिक्षा शुरू की थी। शुरुआती दिनों में उन्हें ‘सारेगामापा लिटिल चैंप्स’ और ‘इंडियन आइडल जूनियर’ जैसे रियलिटी शो में असफलता मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 2017 में ‘द राइजिंग स्टार’ शो में वह फर्स्ट रनर-अप रहीं, जब वह 11वीं में पढ़ रही थीं। इसके बाद उनका सफर लगातार ऊंचाइयों पर पहुंचता गया।

सोशल मीडिया सेंसेशन: एक शो की फीस 7 लाख तक!

‘द राइजिंग स्टार’ के बाद मैथिली के भजन और लोकगीत सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे। वह कई भाषाओं में लोकगीत गाती हैं और भगवान राम के प्रति भक्ति से भरे उनके गीत खासे लोकप्रिय हैं। उनके वीडियो पर लाखों व्यूज आते हैं और इंस्टाग्राम पर 6.3 मिलियन फॉलोअर्स हैं। पिछले साल उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों नेशनल क्रिएटर अवॉर्ड मिला था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मैथिली देश-विदेश में शो करती हैं और एक शो की फीस 5 से 7 लाख रुपये तक लेती हैं। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री का बहिष्कार करने का फैसला किया था और अब फिल्मी गाने नहीं गातीं।

आम कार्यकर्ताओं में मायूसी: मेहनत के बावजूद टिकट पर छाया असंतोष

अलीनगर सीट से मैथिली ठाकुर को टिकट मिलने के बाद भाजपा के कई पुराने और जमीनी कार्यकर्ताओं में नाराज़गी की लहर देखी जा रही है। वर्षों से पार्टी के लिए अथक मेहनत कर रहे स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने दिन-रात जनता के बीच रहकर संगठन को मजबूत किया, लेकिन जब टिकट बांटने की बारी आई, तो नेतृत्व ने एक बाहरी चेहरे को तरजीह दे दी। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि कई कार्यकर्ता खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। उनका तर्क है कि जो लोग वर्षों से बूथ स्तर तक पार्टी का आधार खड़ा कर रहे थे, उनकी मेहनत पर एक झटके में पानी फेर दिया गया। हालांकि भाजपा नेतृत्व का मानना है कि मैथिली ठाकुर जैसी लोकप्रिय हस्ती का मैदान में उतरना पार्टी के लिए बड़ा फायदे का सौदा साबित होगा, लेकिन स्थानीय कार्यकर्ताओं की नाराज़गी पार्टी की जमीनी रणनीति के लिए चुनौती बन सकती है।

सीधे 'विमान से लैंडिंग' की तरह एंट्री, बीजेपी में शामिल होते ही मिला टिकट

मैथिली ठाकुर का भाजपा में प्रवेश किसी फिल्मी लम्हे से कम नहीं था। मंगलवार को उन्होंने औपचारिक रूप से पार्टी की सदस्यता ली, और चंद घंटों के भीतर ही उन्हें अलीनगर सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया गया — मानो ‘सीधे विमान से लैंडिंग’ कर वे सियासत में उतर पड़ी हों। यह कदम इस बात का संकेत है कि भाजपा मैथिली को केवल उम्मीदवार के रूप में नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और जन-भावनात्मक प्रतीक के रूप में देख रही है। उनके शामिल होते ही मिथिला क्षेत्र में भाजपा के प्रति नए जोश और उत्साह का माहौल देखा गया। पार्टी को भरोसा है कि उनका यह नया और चर्चित चेहरा न केवल मिथिला बल्कि पूरे बिहार में भाजपा की छवि को एक अलग पहचान देगा।