
स्टेट डेस्क, ऋषि राज |
उत्तर प्रदेश के महराजगंज ज़िले में शिक्षा विभाग की समस्याओं को जानने और समाधान के लिए सोमवार को ज़िलाधिकारी की मौजूदगी में एक ऑनलाइन बैठक आयोजित की गई। बैठक में ज़िले के कई शिक्षकों के साथ-साथ शिक्षा विभाग के अधिकारी भी जुड़े थे। यह बैठक गूगल मीट के माध्यम से हो रही थी।
बैठक का उद्देश्य स्कूलों और शिक्षण व्यवस्था से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा करना था। लेकिन बीच मीटिंग में अचानक बड़ा हादसा हो गया। ऑनलाइन कनेक्शन के दौरान जुड़े एक व्यक्ति ने अश्लील वीडियो चला दिया। स्क्रीन पर अचानक अश्लील दृश्य आते ही बैठक में शामिल सभी लोग हैरान रह गए और माहौल असहज हो गया।
डीएम ने तुरंत रोकी मीटिंग
घटना होते ही डीएम ने तत्काल मीटिंग को रोकने का निर्देश दिया। इसके बाद बैठक को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया और तकनीकी टीम को मामले की जांच के आदेश दिए गए। बताया जा रहा है कि जिस व्यक्ति के डिवाइस से यह वीडियो चलाया गया, उसकी पहचान की जा रही है।
जांच के आदेश
जिला प्रशासन ने इस मामले को गंभीर मानते हुए साइबर सेल और आईटी टीम को जिम्मेदारी दी है कि गूगल मीट के लॉग्स और कनेक्शन डिटेल्स से संबंधित व्यक्ति की पहचान की जाए। प्रशासन का कहना है कि दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें साइबर अपराध की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज होना भी शामिल है।
शिक्षकों और अधिकारियों में नाराज़गी
इस घटना से बैठक में शामिल शिक्षकों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों में काफी नाराज़गी है। उनका कहना है कि यह न केवल बैठक में व्यवधान था बल्कि एक गंभीर अनुशासनहीनता और अपमानजनक हरकत भी है।
सुरक्षा पर पुनर्विचार के संकेत
घटना ने सरकारी ऑनलाइन मीटिंग सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
- क्या किसी बाहरी व्यक्ति ने मीटिंग को "ज़ूम बम" जैसा हैक कर लिया?
- क्या यह कोई तकनीकी चूक थी—जैसे कि स्क्रीन शेयरिंग में गलती?
- क्या इनमें से कोई जानबूझकर अश्लील सामग्री दिखाना चाहता था?
इस घटना ने शिक्षण व्यवस्था में तकनीकी सुरक्षा की कमी को स्पष्ट कर दिया है। संरचना और केंद्रीय शासन के ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म की कमजोरियाँ अब स्पष्ट सामने आई हैं।
डीएम की प्रशिक्षण बैठक में अश्लील वीडियो प्रवेश घटना आम तकनीकी गलती सिद्ध नहीं होती, बल्कि यह डिजिटल युग में शासन की सख्त डिजिटलीकरण योजनाओं—जैसे e-चौपाल—में सुरक्षात्मक विवेक और समीक्षा का अभाव दिखाती है। अब अधिकारियों के पास एक मौका है कि वे ऑनलाइन मीटिंग्स में व्यक्तिगत सत्यापन, स्क्रीन मॉडरेशन, और डिजिटल सुरक्षा को और मज़बूत करें, ताकि भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो।