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ED का गूगल और मेटा को समन, 21 जुलाई को होगी पूछताछ

विदेश डेस्क, मुस्कान कुमारी ।

ईडी ने गूगल और मेटा को भेजा समन, सट्टेबाजी ऐप मामले में 21 जुलाई को होगी पूछताछ

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दुनिया की दो दिग्गज टेक कंपनियों गूगल और मेटा को ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में समन जारी किया है। दोनों कंपनियों को 21 जुलाई, 2025 को दिल्ली मुख्यालय में पेश होने का आदेश दिया गया है। यह कार्रवाई ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स के जरिए हो रहे वित्तीय अपराधों की जांच का हिस्सा है। ईडी का आरोप है कि इन कंपनियों ने अपने प्लेटफॉर्म पर इन ऐप्स को विज्ञापनों के माध्यम से बढ़ावा दिया, जिससे अवैध गतिविधियों को बल मिला।  

जांच का दायरा और आरोप

ईडी की जांच मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत चल रही है। जांच में सामने आया है कि कई ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स, जैसे VMoney, VM Trading, Standard Trades Ltd, IBull Capital Ltd, LotusBook, 11Starss और GameBetLeague, वित्तीय अपराधों में शामिल हैं। इन ऐप्स को गूगल और मेटा के प्लेटफॉर्म पर प्रचारित किया गया, जिसके चलते इनकी पहुंच लाखों उपयोगकर्ताओं तक हुई। ईडी का मानना है कि इन विज्ञापनों ने न केवल इन ऐप्स की लोकप्रियता बढ़ाई, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला जैसे अपराधों को भी बढ़ावा दिया।  

हाल ही में, ईडी ने मुंबई में चार स्थानों पर छापेमारी की, जहां से ₹3.3 करोड़ नकद, लग्जरी वॉच, ज्वेलरी, विदेशी मुद्रा, लग्जरी वाहन और नकद गिनने की मशीनें जब्त की गईं। यह कार्रवाई इस बात का संकेत है कि जांच अब गहरे स्तर पर पहुंच चुकी है और इसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं उजागर हो रही हैं।  

ऐप्स और व्यक्तियों पर नजर

जांच के केंद्र में कई सट्टेबाजी ऐप्स हैं, जो व्हाइट-लेबल मॉडल के तहत संचालित होते हैं। इनमें से कुछ ऐप्स के नाम हैं: VMoney, VM Trading, Standard Trades Ltd, IBull Capital Ltd, LotusBook, 11Starss और GameBetLeague। इन ऐप्स के संचालन में लाभ-साझाकरण की व्यवस्था सामने आई है। उदाहरण के लिए, VMoney और 11Starss के लाभकारी मालिक विशाल अग्निहोत्री ने LotusBook के ADMIN अधिकार 5% लाभ-साझाकरण के आधार पर हासिल किए और बाद में इसे धवल देवराज जैन को हस्तांतरित कर दिया। इस व्यवस्था में जैन ने 4.875% और अग्निहोत्री ने 0.125% लाभ रखा।  

ईडी ने कई व्यक्तियों की पहचान की है, जिनमें विशाल अग्निहोत्री, धवल देवराज जैन, जॉन स्टेट्स उर्फ पांडे और मयूर पाद्या उर्फ पाद्या शामिल हैं। पाद्या को हवाला ऑपरेटर के रूप में चिह्नित किया गया है, जो नकद आधारित फंड ट्रांसफर में शामिल है। डिजिटल और वित्तीय रिकॉर्ड्स की जांच से पता चला है कि ये ऐप्स जटिल नेटवर्क के माध्यम से अवैध धन को इधर-उधर कर रहे थे।  

कानूनी आधार और प्रारंभिक कार्रवाई

यह जांच मध्य प्रदेश के इंदौर में 9 जनवरी, 2025 को लसुडिया पुलिस स्टेशन में दर्ज एक प्राथमिकी (FIR) पर आधारित है। यह प्राथमिकी भारतीय न्याय संहिता की धारा 319(2) और 318(4) के तहत दर्ज की गई, जो धोखाधड़ी और जालसाजी से संबंधित हैं। ईडी ने इस प्राथमिकी के आधार पर अपनी जांच शुरू की और अब तक कई महत्वपूर्ण सुराग हासिल किए हैं।  

हवाला और वित्तीय नेटवर्क

जांच में हवाला ऑपरेटरों और फंड हैंडलर्स की भूमिका भी सामने आई है। ये ऑपरेटर अवैध धन को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने में शामिल थे। ईडी ने डिजिटल रिकॉर्ड्स, बैंक खातों और अन्य वित्तीय लेनदेन की गहन जांच शुरू की है ताकि इस नेटवर्क के पूरे ढांचे को समझा जा सके। मुंबई में हाल की छापेमारी में जब्त की गई संपत्तियां इस बात का सबूत हैं कि यह नेटवर्क बड़े पैमाने पर काम कर रहा था।  

टेक कंपनियों की भूमिका पर सवाल

गूगल और मेटा को समन भेजे जाने से यह सवाल उठ रहा है कि क्या ये टेक दिग्गज अपने प्लेटफॉर्म पर विज्ञापनों की स्क्रीनिंग में लापरवाही बरत रहे हैं। ईडी का मानना है कि इन कंपनियों की विज्ञापन नीतियों ने सट्टेबाजी ऐप्स को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह मामला तकनीकी कंपनियों की जिम्मेदारी और उनके प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर बहस को तेज कर सकता है।  

आगे की कार्रवाई

21 जुलाई, 2025 को गूगल और मेटा के प्रतिनिधियों से पूछताछ के बाद ईडी को और अधिक जानकारी मिलने की उम्मीद है। जांच में शामिल ऐप्स के डिजिटल और वित्तीय रिकॉर्ड्स की गहन जांच जारी है। यह मामला न केवल वित्तीय अपराधों पर नकेल कसने की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत में अवैध ऑनलाइन गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो रही है।  

मामले की संवेदनशीलता

यह मामला बेहद संवेदनशील है, क्योंकि इसमें विश्व की दो सबसे बड़ी टेक कंपनियां शामिल हैं। साथ ही, ऑनलाइन सट्टेबाजी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मुद्दे सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से गंभीर हैं। जांच के परिणाम न केवल इन कंपनियों की नीतियों पर प्रभाव डाल सकते हैं, बल्कि ऑनलाइन विज्ञापन उद्योग में भी बड़े बदलाव ला सकते हैं।