नेशनल डेस्क, श्रेयांश पराशर l
प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के कथित उल्लंघन से जुड़े मामले में पूछताछ का सामना कर रहे रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी एक बार फिर एजेंसी के समक्ष पेश नहीं हुए। वह लगातार दूसरी बार निर्धारित तिथि पर उपस्थित नहीं हुए और अपनी ओर से भेजे गए बयान में कहा कि वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना बयान देने के लिए तैयार हैं।
एजेंसी ने अंबानी को 14 नवंबर को पेश होने के लिए समन भेजा था, लेकिन उस दिन भी वे नहीं पहुंचे थे। सोमवार को भी जब उन्हें उपस्थित होना था, वे अनुपस्थित रहे। इसके बाद उनके प्रवक्ता ने मीडिया को बताया कि अंबानी किसी भी उपयुक्त तिथि और समय पर वर्चुअल माध्यम से ED के समक्ष उपलब्ध हो सकते हैं या अपना रिकॉर्ड किया हुआ बयान भेज सकते हैं।
समूह की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि श्री अंबानी अप्रैल 2007 से मार्च 2022 तक लगभग 15 वर्षों तक रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड में एक गैर-कार्यकारी निदेशक रहे, लेकिन इस अवधि में कंपनी के दैनिक संचालन की जिम्मेदारी उनके पास नहीं थी। प्रवक्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि ED की जांच का मामला जयपुर-सींगस राजमार्ग परियोजना से जुड़ा है और यह FEMA के तहत दर्ज है।
समूह के अनुसार यह मामला वर्ष 2010 का है और लगभग 15 वर्ष पुराना है। ED की विज्ञप्ति के मुताबिक जांच सड़क परियोजना के एक ठेकेदार से जुड़े मुद्दों के संबंध में है। बयान में कहा गया है कि सड़क परियोजना का ठेका इंजीनियरिंग, क्रय और निर्माण (EPC) मॉडल के अनुसार दिया गया था और चार वर्ष से परियोजना का संचालन एनएचएआई कर रहा है। समूह ने दावा किया कि परियोजना का ठेका घरेलू था और इसमें किसी विदेशी मुद्रा लेन-देन का मामला शामिल नहीं है।
गौरतलब है कि हाल के दिनों में ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच के दौरान 7,500 करोड़ रुपये की संपत्तियाँ कुर्क की थीं। एजेंसी का आरोप है कि कथित अवैध कमाई को एक फर्जी कंपनी के माध्यम से सूरत से दुबई भेजा गया और हवालगिरी का इस्तेमाल किया गया।







