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FBI का बड़ा एक्शन: एशले टेलिस गिरफ्तार, जासूसी या चूक?

विदेश डेस्क, ऋषि राज |

भारतीय मूल के प्रसिद्ध अमेरिकी रणनीतिकार और विदेश नीति विशेषज्ञ एशले जे. टेलिस को अमेरिकी संघीय जांच एजेंसी (FBI) ने गिरफ्तार किया है। टेलिस पर गोपनीय रक्षा दस्तावेजों को अवैध रूप से अपने पास रखने और चीन के अधिकारियों से संपर्क में रहने के आरोप लगे हैं। शनिवार, 11 अक्टूबर को वर्जीनिया के वियना स्थित उनके घर की तलाशी के दौरान एक हजार से अधिक गोपनीय दस्तावेज बरामद किए गए, जिन पर “टॉप सीक्रेट” और “क्लासिफाइड” की मुहर लगी थी।

भारतीय मूल के एशले जे. टेलिस अमेरिकी थिंक टैंक कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में वरिष्ठ फेलो हैं और पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश की सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद  के सदस्य रह चुके हैं। वे 2001 में अमेरिकी सरकार से जुड़े और कई उच्चस्तरीय नीतिगत समितियों में कार्यरत रहे। टेलिस भारत-अमेरिका और चीन नीतिगत संबंधों के प्रमुख विश्लेषक के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच हुए असैन्य परमाणु समझौते में अहम भूमिका निभाई थी, जिसे दोनों देशों के रिश्तों में ऐतिहासिक कदम माना गया था।

भारत के मुखर आलोचक भी रहे टेलिस

हाल के वर्षों में एशले टेलिस ने भारत की विदेश नीति की आलोचना करते हुए कई बार यह कहा कि भारत अमेरिका के साथ तालमेल बिठाने में नाकाम रहा है। उन्होंने ‘फॉरेन अफेयर्स’ पत्रिका में लिखा था कि भारत रूस और ईरान के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता देता है और चीन की चुनौती से निपटने में असमर्थ दिखता है। इस वजह से वे वाशिंगटन की नीतिगत हलचल में भारत के सबसे मुखर आलोचकों में गिने जाते हैं।

FBI की कार्रवाई और आरोप

FBI के अनुसार, टेलिस को सितंबर और अक्टूबर 2025 के बीच कई बार रक्षा और विदेश विभाग की इमारतों में प्रवेश करते और गोपनीय दस्तावेज प्रिंट करते हुए देखा गया। जांच एजेंसी के हलफनामे में कहा गया है कि उन्होंने जानबूझकर संघीय कानून का उल्लंघन करते हुए “गोपनीय रक्षा सामग्री अपने पास रखी और कुछ सूचनाएं बाहरी स्रोतों को लीक कीं।”

तलाशी के दौरान मिले दस्तावेजों में अमेरिकी रक्षा रणनीतियों, एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सैन्य तैनाती और चीन से संबंधित खुफिया जानकारी शामिल बताई जा रही है। जांच अधिकारियों को शक है कि टेलिस ने यह जानकारी चीनी अधिकारियों या मध्यस्थों को साझा की थी।
यदि टेलिस पर लगे आरोप साबित होते हैं, तो उन्हें 10 साल तक की जेल और 250,000 डॉलर (लगभग 2 करोड़ रुपये) का जुर्माना हो सकता है। अदालत में पेश किए गए प्रारंभिक साक्ष्यों के आधार पर उन्हें फिलहाल हिरासत में रखा गया है।

यह गिरफ्तारी अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियों में बढ़ती आंतरिक जांच और गोपनीय जानकारी लीक को लेकर बढ़ती चिंता को भी दर्शाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला वाशिंगटन की नीति-निर्माण दुनिया में भारतवंशी विशेषज्ञों की भूमिका और विश्वसनीयता पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।