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GST काउंसिल की 56वीं बैठक शुरू: बड़े सुधारों पर फोकस

नेशनल डेस्क, मुस्कान कुमारी |

जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक शुरू: बड़े सुधारों पर फोकस, आम जनता को दिवाली से पहले राहत की उम्मीद

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस संबोधन में घोषित नेक्स्ट-जेनरेशन जीएसटी सुधारों को ज़मीन पर उतारने के लिए आज से नई दिल्ली में जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक शुरू हो गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में होने वाली इस दो दिवसीय बैठक (3-4 सितंबर) को 2017 में लागू जीएसटी के बाद का सबसे अहम पड़ाव माना जा रहा है। केंद्र सरकार ने मौजूदा चार स्लैब्स को खत्म कर टैक्स संरचना को दो मुख्य दरों 5% और 18% तथा 40% की विशेष दर तक सीमित करने का प्रस्ताव रखा है। इससे रोज़मर्रा की वस्तुएं सस्ती होने की संभावना है, हालांकि राज्यों के सामने राजस्व घाटे की चुनौती खड़ी हो सकती है।

पीएम मोदी का ऐलान: दिवाली तक नया जीएसटी ढांचा लागू करने का लक्ष्य

लाल किले से 15 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि यह सुधार किसानों, छोटे व्यापारियों, मध्यम वर्ग और आम नागरिकों के लिए ‘दिवाली गिफ्ट’ साबित होंगे। इसके बाद वित्त मंत्रालय ने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) को प्रस्ताव सौंपा, जिसने इसे काउंसिल के सामने रखा। मुख्य एजेंडा मौजूदा चार स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) को सरल कर दो दरों में बदलना है। 12% वाली अधिकांश वस्तुएं 5% में और 28% की बड़ी संख्या 18% स्लैब में लाई जा सकती हैं। इससे विवादित टैक्स वर्गीकरण, जैसे परोटा बनाम रोटी या नमकीन पॉपकॉर्न, खत्म होने की उम्मीद है।

नई दरें: सस्ते होंगे खाद्य और मेडिकल उत्पाद, लक्जरी पर ज्यादा टैक्स

केंद्र का प्रस्ताव है कि आवश्यक वस्तुओं पर 5% टैक्स, सामान्य सामान पर 18% और पाप व लक्जरी गुड्स पर 40% लगाया जाए। कोयला 5% से बढ़कर 18% पर जा सकता है, जबकि 31 अक्टूबर के बाद कंपेंसेशन सेस हटाकर उसकी जगह राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक शुल्क (NCCD) लगाने की योजना है।
12% से 5% पर आने वाली वस्तुओं में पैकेज्ड फूड आइटम्स, सोया मिल्क, बटर, चीज, पास्ता, पैकेज्ड नारियल पानी, फ्रूट जूस, डेट्स, सॉसेज आदि शामिल हैं। मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन, बैंडेज, गॉज, डायग्नोस्टिक किट्स भी सस्ते होंगे। पनीर, चेना, पिज़्ज़ा ब्रेड, खाखरा, सादी रोटी और स्टेशनरी जैसे इरेज़र पर टैक्स शून्य करने का प्रस्ताव है।
उर्वरक इनपुट्स और रिन्यूएबल एनर्जी उपकरणों पर टैक्स 18% या 12% से घटकर 5% हो सकता है। वहीं एयर कंडीशनर, डिशवॉशर और टीवी जैसे व्हाइट गुड्स 28% से घटकर 18% पर आएंगे। होटल रूम (7,500 रुपये प्रति नाइट या कम) पर भी टैक्स घटकर 5% रह सकता है।

ऑटोमोबाइल और सर्विस सेक्टर: छोटी कारें और इंश्योरेंस ग्राहकों को राहत

छोटी कारें और 350cc से कम इंजन वाली टू-व्हीलर वर्तमान टैक्स संरचना से बाहर निकलकर 18% स्लैब में आने पर 6-8% तक सस्ती हो सकती हैं। वहीं लक्जरी कारें और एसयूवी 40% टैक्स दायरे में जा सकती हैं। ईवी पर अलग प्रस्ताव है—20 से 40 लाख की वैल्यू वाले ईवी पर 18%, जबकि 40 लाख से महंगे वाहनों पर 40% टैक्स लगेगा।
हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम को टैक्स फ्री करने का सुझाव है, जिससे उपभोक्ताओं को सीधी राहत मिलेगी, लेकिन सरकार को लगभग 9,900 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान उठाना पड़ सकता है।

सुधारों के तीन आधार: सरल संरचना, दर युक्तिकरण और आसान अनुपालन

सरकार ने प्रस्ताव को तीन स्तंभों पर खड़ा किया है—

1. संरचनात्मक सुधार: उलटे टैक्स ढांचे (इनवर्टेड ड्यूटी) को दुरुस्त करना, विवाद खत्म करना और स्थिरता लाना।

2. दर युक्तिकरण: टैक्स स्लैब घटाकर और सेस को शामिल कर संरचना को सरल बनाना।

3. आसानी: रजिस्ट्रेशन और रिटर्न भरने की प्रक्रिया तकनीक आधारित और समयबद्ध करना, प्री-फिल्ड रिटर्न और ऑटोमैटेड रिफंड से छोटे व्यवसायों और एक्सपोर्टर्स को सुविधा देना।

राज्यों की चिंता: राजस्व में 1.5-2 लाख करोड़ की गिरावट का अंदेशा

राज्यों का कहना है कि नई संरचना से 1.5-2 लाख करोड़ रुपये सालाना का घाटा हो सकता है, जबकि केंद्र ने इसे 70,000-80,000 करोड़ आंका है। विपक्ष शासित आठ राज्यों (पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, झारखंड, कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल और हिमाचल प्रदेश) ने मुआवज़े की गारंटी, 14% वार्षिक वृद्धि और 5 साल तक सुरक्षा कवच की मांग की है। उनका तर्क है कि बीमा पर टैक्स छूट और उच्च दरों में कटौती से जीएसटी कलेक्शन पर बड़ा असर होगा।

टाइमलाइन: 22 सितंबर से लागू हो सकते हैं नए स्लैब

अगर काउंसिल सहमत हुई, तो अधिसूचना 5-7 दिन में जारी हो जाएगी और 22 सितंबर 2025 के आसपास नया ढांचा लागू हो सकता है। सरकार चाहती है कि दिवाली से पहले सुधार पूरी तरह लागू हो जाएं।