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Henley Passport Index: अमेरिका टॉप 10 से बाहर, भारत का स्थान जानें

विदेश डेस्क, ऋषि राज |

हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2025 की रिपोर्ट जारी हो गई है, जिसमें भारत का प्रदर्शन पिछले वर्ष की तुलना में कमजोर रहा है। इस साल भारत 80वें स्थान से गिरकर 85वें स्थान पर पहुंच गया है। यानी भारत का पासपोर्ट अब पहले की तुलना में कम देशों में वीजा-मुक्त यात्रा की सुविधा देता है।

भारतीय पासपोर्ट की स्थिति

रिपोर्ट के मुताबिक, अब भारतीय पासपोर्ट धारक 57 देशों में बिना वीजा यात्रा कर सकते हैं, जबकि पिछले साल यह संख्या 59 थी। इसका मतलब है कि भारतीय यात्रियों के लिए दो देशों की वीजा-मुक्त पहुंच समाप्त हो गई है। यह गिरावट भारत के लिए चिंता का विषय है, खासकर तब जब एशिया के कई अन्य देश पासपोर्ट ताकत के मामले में तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं।

2025 की सूची में भारत से ऊपर के एशियाई देशों में मलेशिया (13वां), जापान (3), और यूएई (15वां) शामिल हैं। वहीं, चीन 62वें स्थान पर है, जो भारत से 23 पायदान ऊपर है।

सिंगापुर फिर से सबसे मजबूत पासपोर्ट

इस साल भी सिंगापुर ने अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा है। सिंगापुर के नागरिक 193 देशों में बिना वीजा या ऑन-अराइवल वीजा के साथ यात्रा कर सकते हैं। वहीं, जर्मनी, फ्रांस, इटली, जापान और दक्षिण कोरिया संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर हैं, जिनकी वीजा-मुक्त पहुंच 192 देशों तक है।

तीसरे स्थान पर फिनलैंड, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड्स और स्वीडन हैं। जबकि अमेरिका, जो कभी इस सूची में शीर्ष पर हुआ करता था, अब 10वें स्थान से नीचे खिसककर 11वें स्थान पर पहुंच गया है। अमेरिकी पासपोर्ट धारक अब केवल 184 देशों में बिना वीजा यात्रा कर सकते हैं।

कमजोर पासपोर्ट वाले देश

सूची में सबसे नीचे अफगानिस्तान का नाम है, जिसका पासपोर्ट दुनिया का सबसे कमजोर पासपोर्ट बना हुआ है। अफगान नागरिक सिर्फ 24 देशों में बिना वीजा यात्रा कर सकते हैं। इसके बाद सीरिया (26 देश) और इराक (29 देश) आते हैं। ये तीनों देश वैश्विक स्तर पर यात्रा स्वतंत्रता के मामले में सबसे पीछे हैं।

क्या है हेनले पासपोर्ट इंडेक्स?

हेनले पासपोर्ट इंडेक्स दुनिया के 199 देशों और क्षेत्रों को इस आधार पर रैंक करता है कि उनके नागरिक कितने देशों में बिना वीजा, वीजा ऑन-अराइवल, या इलेक्ट्रॉनिक ट्रैवल ऑथराइजेशन के माध्यम से यात्रा कर सकते हैं। यह डेटा इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के आधिकारिक आंकड़ों पर आधारित होता है।
भारत की रैंक में गिरावट से साफ है कि देश को कूटनीतिक समझौतों और द्विपक्षीय वीजा नीतियों पर और काम करने की ज़रूरत है। हालांकि 57 देशों तक बिना वीजा पहुंच अभी भी कई देशों की तुलना में बेहतर है, लेकिन वैश्विक प्रतिस्पर्धा में यह संख्या अंतरराष्ट्रीय गतिशीलता और पासपोर्ट ताकत के लिहाज से कम मानी जाती है।