
विदेश डेस्क, श्रेयांश पराशर |
IND vs ENG: सचिन तेंदुलकर ने पटौदी ट्रॉफी की विरासत बचाने की उठाई मांग
भारत और इंग्लैंड के बीच ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज को लेकर एक बड़ा बदलाव सामने आया है। अब यह सीरीज "तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी" के नाम से जानी जाएगी, लेकिन इसी बीच दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने पुरानी परंपरा और सम्मान की बात उठाते हुए पटौदी ट्रॉफी की विरासत को बनाए रखने की मांग की है। उनका मानना है कि पटौदी परिवार का योगदान भुलाया नहीं जा सकता। इस पर फैंस भी भावुक हो गए हैं और सोशल मीडिया पर सचिन के समर्थन में आवाज़ उठा रहे हैं।
भारत और इंग्लैंड के बीच खेली जाने वाली पारंपरिक टेस्ट सीरीज अब "तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी" के नाम से जानी जाएगी। यह नाम क्रिकेट के दो दिग्गजों—भारत के सचिन तेंदुलकर और इंग्लैंड के जेम्स एंडरसन—के सम्मान में रखा गया है। इससे पहले इस सीरीज को "पटौदी ट्रॉफी" के नाम से जाना जाता था, जो इफ्तिखार अली खान पटौदी और मंसूर अली खान पटौदी की क्रिकेट विरासत का प्रतीक रही है।
मार्च 2025 में इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने पटौदी परिवार को पत्र लिखकर ट्रॉफी को "रिटायर" करने की बात कही थी, जिससे क्रिकेट प्रेमियों के बीच नाराज़गी फैल गई। इसी संदर्भ में, क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने बीसीसीआई और ईसीबी के अधिकारियों से आग्रह किया कि पटौदी की विरासत को यूं ही खत्म नहीं किया जाना चाहिए।
क्रिकबज की रिपोर्ट के अनुसार, सचिन तेंदुलकर की पहल का असर हुआ है और ECB ने इस पर पुनर्विचार किया है। अब एक नया प्रस्ताव रखा गया है जिसके तहत एम.ए.के. पटौदी के नाम पर एक विशेष "पटौदी मेडल" दिया जाएगा। यह मेडल उस टीम के कप्तान को मिलेगा जो सीरीज जीतती है। यह निर्णय इस बात का प्रतीक है कि क्रिकेट में इतिहास और परंपरा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
सोशल मीडिया पर भी सचिन की इस पहल की जमकर तारीफ हो रही है। फैंस ने भावुक प्रतिक्रियाएं दी हैं जैसे—"एक ही दिल है, कितनी बार जीतोगे", "सचिन सिर्फ रन मशीन नहीं, परंपरा के संरक्षक भी हैं।"
अब देखना यह है कि 20 जून से शुरू हो रही पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में मैदान के साथ-साथ विरासत का सम्मान कैसे कायम रखा जाता है।