
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
ईरान और इज़रायल के बीच जारी संघर्ष अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहराता जा रहा है। बीते कुछ दिनों में इज़रायल ने सीरिया में ईरान समर्थित सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिसमें कई ईरानी अधिकारियों और सैन्य संसाधनों को नुकसान पहुंचा। इसके जवाब में ईरान ने बड़ी संख्या में मिसाइलें इज़रायल पर दागी, जिससे क्षेत्र में भय और तनाव का माहौल बन गया है। इसी क्रम में, ईरान ने एक तीखी चेतावनी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि "जो भी देश इज़रायल की किसी भी प्रकार से मदद करेगा – चाहे वो सैन्य, तकनीकी या रणनीतिक हो – उसे ईरान अपना दुश्मन मानेगा।"
ईरान की सीधी चेतावनी अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन को:
ईरान के रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन अगर इज़रायल का साथ देते हैं, तो मिडिल ईस्ट (पश्चिम एशिया) में स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डों पर गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। ईरान ने चेतावनी दी कि वह इस क्षेत्र में मौजूद किसी भी अमेरिकी या सहयोगी सैन्य बेस को टारगेट कर सकता है।
पृष्ठभूमि और घटनाक्रम:
इज़रायल के हमले: इज़रायली सेना ने दावा किया था कि उसने सीरिया में मौजूद "ईरान की सैन्य योजना को निशाना बनाया है", जहां मिसाइल उत्पादन और हथियार आपूर्ति की गतिविधियाँ संचालित हो रही थीं।
ईरानी प्रतिक्रिया: जवाब में ईरान ने सीधे इज़रायल के सैन्य अड्डों और सीमावर्ती क्षेत्रों पर दर्जनों मिसाइलें दागीं। यह हमला अब तक का सबसे बड़ा प्रत्यक्ष हमला माना जा रहा है।
क्षेत्रीय चिंता: संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और अरब देशों ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है, लेकिन ज़मीनी हालात बिगड़ते नजर आ रहे हैं।
आगे की स्थिति: क्या हो सकता है?
यदि अमेरिका या उसके NATO सहयोगी इज़रायल की सहायता में आगे बढ़ते हैं, तो ईरान द्वारा सीधा सैन्य हमला मिडिल ईस्ट में स्थित बेसों पर किया जा सकता है, जिससे एक व्यापक युद्ध की संभावना बन सकती है। वैश्विक तेल आपूर्ति, वाणिज्यिक उड़ानें और खाड़ी देशों की सुरक्षा पर इसका असर पड़ना तय है।
विशेषज्ञों की राय:
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान की यह चेतावनी सिर्फ रणनीतिक दबाव नहीं, बल्कि एक गंभीर सैन्य संकेत है। अगर अमेरिका या इज़रायल की ओर से और उकसावे की कार्यवाही हुई, तो स्थिति नियंत्रण से बाहर जा सकती है।
ईरान और इज़रायल के बीच बढ़ता टकराव अब वैश्विक संकट में बदलने की कगार पर है। जहां एक ओर ईरान इज़रायल को समर्थन देने वाले सभी देशों को दुश्मन मानने को तैयार है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश इज़रायल के साथ खड़े हैं। आने वाले कुछ दिन मध्य-पूर्व और पूरी दुनिया के लिए निर्णायक हो सकते हैं।