
स्टेट डेस्क, वेरोनिका राय |
जेडीयू में अनंत सिंह की एंट्री पर सियासी खींचतान, ‘छोटे सरकार’ को लेकर नेताओं में मतभेद तेज
बिहार की राजनीति में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले हलचल लगातार बढ़ रही है। इसी बीच बाहुबली और मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह के जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में शामिल होने की चर्चाओं ने सियासी सरगर्मी और बढ़ा दी है। अनंत सिंह को लेकर जेडीयू नेताओं के बीच गहरे मतभेद साफ नज़र आने लगे हैं। कुछ नेता उनके आने का स्वागत कर रहे हैं, तो कई नेताओं को आशंका है कि इससे पार्टी की छवि पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
अनंत सिंह की सक्रियता से बढ़ी अटकलें
‘छोटे सरकार’ के नाम से मशहूर अनंत सिंह पिछले कुछ महीनों से सियासी गतिविधियों में ज्यादा सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने मोकामा में केंद्रीय मंत्री और जेडीयू के कद्दावर नेता ललन सिंह के साथ रोड शो किया था। इसके बाद पटना में बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी के घर जाकर उनसे मुलाकात की। इसी दौरान उनकी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी भेंट हुई थी। इन मुलाकातों के बाद यह चर्चा तेज हो गई कि अनंत सिंह जेडीयू के टिकट पर मोकामा से चुनाव लड़ सकते हैं।
पत्नी नीलम देवी पहले से विधायक
अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी इस समय मोकामा से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की विधायक हैं। हालांकि, जनवरी 2023 में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान उन्होंने विधानसभा के अंदर नीतीश कुमार की सरकार का समर्थन किया था। इसी वजह से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि परिवार का झुकाव धीरे-धीरे जेडीयू की तरफ बढ़ रहा है।
नीरज कुमार ने जताई नाराज़गी
जेडीयू प्रवक्ता और एमएलसी नीरज कुमार ने अनंत सिंह की संभावित एंट्री और टिकट पर नाराज़गी जताई है। उन्होंने ‘इकोनॉमिक टाइम्स’ से बातचीत में कहा,
“यहां तक कि वो (अनंत सिंह) पार्टी के सदस्य भी नहीं हैं। वो चुनाव कैसे लड़ सकते हैं? आपराधिक छवि की वजह से नीतीश सरकार ने कई बार उन्हें जेल भेजा। पार्टी को ऐसे लोगों को शामिल करने से बचना चाहिए। इससे हमारे नेताओं की छवि धूमिल हो सकती है।”
नीरज कुमार ने यह भी कहा कि अनंत सिंह वही शख्स हैं जिन्होंने कभी नीतीश कुमार पर चुनावी टिकट बेचने का आरोप लगाया था। “ऐसी बात विपक्ष ने भी नहीं कही थी, लेकिन अनंत सिंह ने खुद कही,” उन्होंने जोड़ा।
अनंत सिंह की ‘बाहुबली’ छवि
बिहार की राजनीति में अनंत सिंह की गिनती बाहुबली नेताओं में होती है। उन पर हत्या, रंगदारी और कई अन्य गंभीर मामलों के आरोप लगे हैं। हालांकि, उनके समर्थकों के बीच उनकी पकड़ बेहद मजबूत मानी जाती है। मोकामा क्षेत्र में उन्हें ‘छोटे सरकार’ कहकर पुकारा जाता है। यही वजह है कि चुनावी समीकरणों में उनकी अहमियत बनी रहती है।
जेडीयू में टिकट को लेकर टकराव
मोकामा सीट पर जेडीयू के अंदर ही टकराव साफ दिख रहा है। बताया जा रहा है कि नीरज कुमार खुद इस सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। ऐसे में अगर पार्टी अनंत सिंह को टिकट देती है, तो टकराव और गहरा सकता है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को डर है कि अनंत सिंह की एंट्री से भले ही स्थानीय स्तर पर फायदा मिले, लेकिन राज्यव्यापी स्तर पर पार्टी की छवि को नुकसान पहुंच सकता है।
बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जेडीयू को यह फैसला करना होगा कि वह अनंत सिंह जैसे विवादित चेहरे को अपने साथ जोड़कर स्थानीय समीकरण साधे या फिर पार्टी की साफ-सुथरी छवि को बनाए रखने के लिए उनसे दूरी बनाए। नीतीश कुमार की राजनीतिक रणनीति हमेशा संतुलन की रही है, लेकिन इस बार अनंत सिंह की एंट्री पार्टी के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
अनंत सिंह की जेडीयू में संभावित एंट्री ने बिहार की राजनीति में हलचल बढ़ा दी है। एक ओर उनके जनाधार को देखते हुए मोकामा सीट पर पार्टी को मजबूती मिल सकती है, वहीं दूसरी ओर उनकी आपराधिक छवि और विवादित बयानों की वजह से पार्टी को आलोचना भी झेलनी पड़ सकती है। अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी टीम इस सियासी खींचतान को कैसे संभालती है।