
नेशनल डेस्क, वेरोनिका राय |
जेएनयू में दशहरा पर बवाल: रावण दहन में उमर खालिद-शरजील इमाम की तस्वीरें लगाने पर भिड़े छात्र, चले जूते-चप्पल....
बीते गुरुवार को पूरे देश के साथ राजधानी दिल्ली में भी धूमधाम से दशहरा का पर्व मनाया गया। लेकिन जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में यह उत्सव विवाद और झगड़े का कारण बन गया। रावण दहन के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और जेएनयू छात्रसंघ (JNUSU) के छात्रों के बीच जमकर कहासुनी हुई, जो बाद में हिंसक झड़प में बदल गई। स्थिति इतनी बिगड़ी कि छात्रों के बीच जूते-चप्पल तक चल गए।
रावण के साथ लगाए गए उमर खालिद और शरजील इमाम के पोस्टर
मामला उस समय गरमाया जब ABVP की ओर से जलाए जा रहे रावण के पुतले पर दिल्ली दंगों के आरोपी और जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद तथा शरजील इमाम समेत कई अन्य लोगों की तस्वीरें चिपकाई गईं। पुतले के दस सिरों में इनकी तस्वीरें देखकर वामपंथी छात्र भड़क गए और कार्यक्रम का विरोध करने लगे। उनका कहना था कि यह कदम सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया है और इससे धार्मिक त्योहार की गरिमा को ठेस पहुंची है।
वामपंथी छात्रों का विरोध और जेएनयूएसयू का बयान
जेएनयू छात्रसंघ (JNUSU) ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए ABVP पर आरोप लगाया कि उसने दशहरा जैसे धार्मिक पर्व को भी राजनीति का साधन बना दिया है। बयान में कहा गया कि उमर खालिद और शरजील इमाम पिछले पांच वर्षों से जेल में हैं और उनके खिलाफ मुकदमा अभी अदालत में लंबित है। ऐसे में सार्वजनिक मंच पर उन्हें दोषी करार देना न्यायिक प्रक्रिया का मजाक उड़ाने जैसा है। JNUSU ने इसे "घृणित राजनीति" बताते हुए प्रशासन से कार्रवाई की मांग की।
ABVP का पलटवार, लेफ्ट छात्रों पर लगाया आरोप
दूसरी ओर ABVP ने वामपंथी छात्रों पर गंभीर आरोप लगाए। संगठन का कहना है कि जैसे ही रावण दहन शुरू हुआ, लेफ्ट छात्र हंगामा करने लगे और पुतले पर जूते-चप्पल फेंके। ABVP के नेताओं ने दावा किया कि उनका उद्देश्य सिर्फ बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक रावण दहन को संपन्न करना था, लेकिन लेफ्ट संगठनों ने जानबूझकर माहौल बिगाड़ा।
जेएनयू ABVP के मंत्री प्रवीण पीयूष ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब लेफ्ट छात्रों ने धार्मिक आयोजनों में व्यवधान डाला है। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे पहले दुर्गा विसर्जन के दौरान भी वामपंथी छात्रों ने पथराव किया और छात्राओं पर हमला किया था। प्रवीण ने इसे "शर्मनाक और निंदनीय" बताते हुए प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की।
वहीं, जेएनयू ABVP के अध्यक्ष मयंक पांचाल ने कहा, "यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन पर हमला नहीं है, बल्कि विश्वविद्यालय की उत्सव परंपरा और छात्रों की आस्था पर भी चोट है।" उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इस तरह की घटनाएं होती रहीं तो विश्वविद्यालय का शैक्षणिक माहौल लगातार बिगड़ता रहेगा।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
इस पूरे विवाद के बीच छात्रों ने जेएनयू प्रशासन पर भी सवाल उठाए। छात्रों का कहना है कि कैंपस में बार-बार इस तरह की झड़पें हो रही हैं, लेकिन प्रशासन मूकदर्शक बना रहता है।
दशहरा, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है, जेएनयू कैंपस में एक बार फिर राजनीति का अखाड़ा बन गया। एक ओर ABVP इसे आस्था और परंपरा का सम्मान बता रही है, तो वहीं JNUSU इसे राजनीतिक फायदा उठाने का जरिया बता रही है। फिलहाल मामला गरमाया हुआ है और सभी की निगाहें अब प्रशासन और संभावित कार्रवाई पर टिकी हैं।