
नेशनल डेस्क, मुस्कान कुमारी।
नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की कुलपति संतिश्री धूलिपुडी पंडित ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने भारतीय संविधान के प्रति जनता का विश्वास और मजबूत किया है। पुणे स्थित एसएनडीटी विश्वविद्यालय में आयोजित ‘भारतीय संविधान के 75 वर्ष : चिंतन, चुनौतियां और आगे का मार्ग’ विषयक सम्मेलन को संबोधित करते हुए पंडित ने बिहार में चल रहे विशेष गहन संशोधन (Special Intensive Revision–SIR) की प्रक्रिया का भी समर्थन किया।
मोदी सरकार की पहल पर टिप्पणी
अपने संबोधन में पंडित ने कहा, “आज हम संविधान के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं और इसमें प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने हमें फिर से याद दिलाया है कि संविधान में क्या लिखा है और उसकी असली भावना क्या है।” उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र भारत की सभ्यता का हिस्सा है, न कि ब्रिटिश शासन की देन। उन्होंने चोल साम्राज्य के उत्तरमेरूर शिलालेख का उल्लेख करते हुए बताया कि 8वीं शताब्दी में ही भारत में विकेंद्रीकृत शासन व्यवस्था मौजूद थी।
बिहार में एसआईआर पर बयान
बिहार में मतदाता सूची संशोधन का ज़िक्र करते हुए पंडित ने कहा कि यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक संस्थाओं को सशक्त बनाने का हिस्सा है। “यह बेहद आवश्यक है कि वे लोग जो भारत में घुसपैठ करके आए हैं, उन्हें मतदान का अधिकार न दिया जाए। यदि ऐसा हुआ तो चुनावी नतीजे पूरी तरह बदल सकते हैं, क्योंकि लोकतंत्र में संख्या ही निर्णायक होती है,” उन्होंने कहा इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि जिन मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट सूची से बाहर कर दिए गए हैं, वे ऑनलाइन अपील कर सकते हैं और आधार कार्ड समेत 11 वैकल्पिक दस्तावेज़ जमा कर सकते हैं।
सामाजिक न्याय पर जोर
कुलपति ने यह भी कहा कि संविधान ने हमेशा सामाजिक न्याय और समानता के प्रश्नों का समाधान सुझाया है। उन्होंने पंचायत राज, उद्यमिता और समान अवसरों को बढ़ावा देने वाले प्रावधानों का हवाला दिया और कहा कि न्यायपालिका सहित संवैधानिक संस्थाओं ने समय-समय पर दूरदर्शी फैसले दिए हैं। पंडित ने भारतीय संविधान को “दुनिया का सर्वश्रेष्ठ” बताते हुए कहा कि यह स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं और विश्व के प्रख्यात विधिज्ञों की साझा सोच का परिणाम है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
पंडित की टिप्पणी पर भाजपा नेताओं ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और कहा कि मोदी सरकार ने डॉ. अंबेडकर के विचारों को व्यवहार में उतारा है। वहीं विपक्षी दलों ने कुलपति पर पक्षपात का आरोप लगाया। छात्र संगठनों ने भी विरोध दर्ज किया और सोशल मीडिया पर #SaveBiharDemocracy हैशटैग ट्रेंड करने लगा।