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JPMorgan ने H-1B वीजा धारकों को किया अलर्ट: 21 सितंबर से पहले लौटें US

इंटरनेशनल डेस्क, मुस्कान कुमारी |

अमेरिका का सबसे बड़ा बैंक JPMorgan ने H-1B वीजा धारकों को अलर्ट: 21 सितंबर से पहले लौटें US, $100,000 फीस का डर मचा!

वाशिंगटन: अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के नए इमिग्रेशन ऑर्डर से टेक और फाइनेंशियल वर्ल्ड में हड़कंप मच गया है। देश का सबसे बड़ा बैंक JPMorgan Chase ने अपने H-1B वीजा धारक कर्मचारियों को तत्काल निर्देश जारी किया है कि वे 21 सितंबर सुबह 12:01 बजे ईटी (भारतीय समयानुसार दोपहर करीब 12:30 बजे) से पहले अमेरिका लौट आएं। नया नियम प्रत्येक H-1B वर्कर के लिए कंपनियों पर $100,000 (करीब 84 लाख रुपये) की फीस लगाता है, जो नए आवेदनों पर लागू होगी। यह कदम अमेरिकी जॉब मार्केट को प्रोटेक्ट करने का दावा करता है, लेकिन भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स और कंपनियों जैसे इंफोसिस, टीसीएस पर भारी पड़ सकता है। JPMorgan के अलावा माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन जैसी दिग्गज कंपनियां भी अपने विदेशी कर्मचारियों को वापसी की सलाह दे रही हैं – क्योंकि देरी से री-एंट्री पर जटिलताएं बढ़ सकती हैं। यह बदलाव अमेरिका के टैलेंट पूल को हिला देगा, खासकर जब भारत 71% H-1B वीजा धारकों का स्रोत है!

ट्रंप का इमिग्रेशन बम: $100,000 फीस से H-1B प्रोग्राम पर ब्रेक, कंपनियां क्यों घबरा रही हैं?

ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार को "रिस्ट्रिक्शन ऑन एंट्री ऑफ सर्टेन नॉनइमिग्रेंट वर्कर्स" नामक प्रेजिडेंशियल प्रोक्लेमेशन जारी किया, जो H-1B वीजा सिस्टम पर सख्ती का नया दौर शुरू करता है। इस ऑर्डर के तहत कंपनियों को नए H-1B पेटिशन फाइल करने पर $100,000 की फीस चुकानी होगी, अन्यथा वर्कर्स को अमेरिका में एंट्री की अनुमति नहीं मिलेगी। व्हाइट हाउस का कहना है कि यह अमेरिकी वर्कर्स के हितों की रक्षा के लिए है, क्योंकि H-1B प्रोग्राम का कथित दुरुपयोग हो रहा था। लेकिन रियलिटी में यह टेक इंडस्ट्री के लिए बड़ा झटका है – क्योंकि 2025 के पहले हाफ में ही अमेजन ने 12,000 से ज्यादा H-1B वीजा अप्रूवल हासिल किए थे, जबकि माइक्रोसॉफ्ट और मेटा को 5,000-5,000 मिले।

JPMorgan ने इंटरनल ईमेल के जरिए अपने H-1B होल्डर्स को चेतावनी दी कि अगर वे अभी बाहर हैं, तो तुरंत फ्लाइट बुक करें। बैंक के लीगल पार्टनर ओगलट्री डीकिंस ने सलाह दी कि अमेरिका में मौजूद वीजा धारक फिलहाल इंटरनेशनल ट्रैवल अवॉइड करें। हाइप तो चरम पर है – क्योंकि यह फीस न सिर्फ नई हायरिंग्स को महंगा बनाएगी, बल्कि ग्लोबल टैलेंट फ्लो को रोक सकती है। सोचिए, इतनी बड़ी रकम चुकाने के बाद कंपनियां क्या छोटे-मोटे प्रोजेक्ट्स पर विदेशी एक्सपर्ट्स को बुलाएंगी? यह अमेरिकी इकोनॉमी को बूस्ट देने का दावा है, लेकिन रियल में इनोवेशन की स्पीड कम हो सकती है।

JPMorgan का त्वरित रिएक्शन: विदेशी कर्मचारियों को 24 घंटे का अल्टीमेटम, री-एंट्री का खतरा टल जाए तो बेहतर

अमेरिका की सबसे बड़ी बैंकिंग जायंट JPMorgan, जो लाखों विदेशी टैलेंट पर निर्भर है, ने सबसे तेज रिएक्ट किया। इंटरनल मेमो में साफ कहा गया कि H-1B वीजा वालों को 21 सितंबर की डेडलाइन से पहले लौटना होगा, वरना नए नियम के तहत एंट्री पर पाबंदी लग सकती है। बैंक के ईमेल में लिखा है, "हम सलाह देते हैं कि अमेरिका में रहें और यात्रा न करें जब तक गवर्नमेंट क्लियर गाइडेंस न जारी करे।" यह निर्देश खासकर उन कर्मचारियों के लिए है जो भारत या चीन जैसे देशों में छुट्टियां मना रहे थे।

यह कदम JPMorgan के ग्लोबल वर्कफोर्स को बचाने का प्रयास है, जहां हजारों भारतीय इंजीनियर्स और एनालिस्ट्स काम करते हैं। कल्पना कीजिए, एक साधारण वीजा रिन्यूअल अब इतना महंगा! बैंकिंग सेक्टर में जहां डेटा एनालिटिक्स और फिनटेक पर फोकस है, वहां H-1B टैलेंट की कमी से प्रोजेक्ट्स डिले हो सकते हैं। हाइप क्रिएट करने का मौका – क्योंकि JPMorgan जैसे दिग्गज का यह अलर्ट पूरे कॉर्पोरेट वर्ल्ड को हिला रहा है। कर्मचारी सोशल मीडिया पर अपनी फ्लाइट स्टोरीज शेयर कर रहे हैं, कुछ तो एयरपोर्ट से ही पोस्ट कर रहे हैं। यह न सिर्फ पर्सनल लाइफ को प्रभावित करेगा, बल्कि कंपनियों की हायरिंग स्ट्रैटेजी को रिवॉम्प करने पर मजबूर कर देगा।

अन्य दिग्गजों का पैनिक: माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन ने भी जारी किए सर्कुलर, H-4 डिपेंडेंट्स पर भी असर

JPMorgan अकेला नहीं है – टेक टाइटंस भी एक्शन मोड में हैं। माइक्रोसॉफ्ट ने अपने H-1B और H-4 (डिपेंडेंट्स) वीजा धारकों को ईमेल भेजा कि अमेरिका में रहें या तुरंत लौटें, क्योंकि नए नियम से री-एंट्री पर अनिश्चितता है। कंपनी ने कहा, "फॉरसीइबल फ्यूचर के लिए US में रहें।" इसी तरह अमेजन ने अपने इमिग्रेशन टीम के जरिए एडवाइजरी जारी की, जिसमें कहा गया कि 21 सितंबर से पहले रिटर्न करें। ये कंपनियां H-1B पर हेवी रिलायंस रखती हैं – 2025 में अमेजन को सबसे ज्यादा अप्रूवल मिले, जिनमें 71% भारतीय बेनिफिशियरी थे।

यह सर्कुलर विदेशी कर्मचारियों के परिवारों को भी हिट कर रहे हैं, क्योंकि H-4 वीजा वालों को भी ट्रैवल रिस्ट्रिक्शन का डर है। सोचिए, एक फैमिली ट्रिप कैंसल हो जाए या जॉब सिक्योरिटी पर सवाल उठ जाए! हाइप बढ़ रहा है – क्योंकि ये दिग्गज कंपनियां अमेरिकी इकोनॉमी की बैकबोन हैं, और उनका यह घबराहट पूरे ग्लोबल जॉब मार्केट को सिग्नल दे रही है। कनाडा और यूरोप जैसे देश अब टैलेंट आकर्षित करने के लिए रेडी हो सकते हैं।

फीस का असर: नया आवेदन महंगा, मौजूदा होल्डर्स सेफ? सफाई से कन्फ्यूजन, लेकिन कंपनियां रिस्क नहीं ले रही

व्हाइट हाउस ने शनिवार को सफाई दी कि $100,000 फीस केवल नए H-1B आवेदनों पर लागू होगी, न कि मौजूदा होल्डर्स या रिन्यूअल्स पर। प्रेस सेक्रेटरी ने कहा, "यह एनुअल फीस नहीं है, और करंट वीजा वालों को री-एंट्री पर कोई चार्ज नहीं लगेगा।" सीबीपी एजेंसी ने भी कन्फर्म किया कि यह केवल प्रोस्पेक्टिव पेटिशन्स पर है, जो मार्च 2026 की लॉटरी से शुरू होगा। लेकिन कंपनियां फिर भी सावधानी बरत रही हैं, क्योंकि गाइडेंस अभी क्लियर नहीं।

ट्रंप का यह मूव H-1B को "अमेरिकंस के लिए रिजर्व्ड" बनाने का प्रयास है, लेकिन क्रिटिक्स कहते हैं कि यह टैलेंट शॉर्टेज बढ़ाएगा। भारत और चीन जैसे देशों से आने वाले 80% वर्कर्स पर असर पड़ेगा। हाइप तो बनता है – क्योंकि यह बदलाव न सिर्फ फीस बढ़ा रहा है, बल्कि ग्लोबल वर्क कल्चर को चेंज कर सकता है। कंपनियां अब लोकल हायरिंग पर शिफ्ट हो सकती हैं, जो इनोवेशन को स्लो डाउन करेगा।

इंडियन आईटी का संकट: इंफोसिस, टीसीएस पर भारी बोझ, ग्लोबल टैलेंट वॉर तेज होगा

भारतीय आईटी फर्म्स सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी, क्योंकि वे H-1B पर डिपेंडेंट हैं। इंफोसिस और टीसीएस जैसे प्लेयर्स को अब क्लाइंट प्रोजेक्ट्स के लिए महंगे विदेशी वर्कर्स की बजाय ऑटोमेशन या लोकल टैलेंट पर फोकस करना पड़ेगा। 2025 के डेटा से साफ है कि इंडिया 71% बेनिफिशियरी है, तो यह फीस उनके रेवेन्यू को हिट करेगी।

यह बदलाव अमेरिका को "अमेरिका फर्स्ट" बनाने का स्टेटमेंट है, लेकिन लॉन्ग टर्म में टेक ग्रोथ को ब्रेक लग सकता है। हाइप क्रिएट करें – क्योंकि अब ग्लोबल प्रोफेशनल्स के लिए US ड्रीम थोड़ा महंगा हो गया है! कंपनियां वैकल्पिक वीजा जैसे L-1 या O-1 पर शिफ्ट हो सकती हैं, लेकिन H-1B का विकल्प आसान नहीं।

भविष्य की चुनौतियां: कंपनियां एडजस्ट करेंगी, लेकिन टैलेंट माइग्रेशन चेंज होगा

ट्रंप ने कहा कि यह "हाई-स्किल्ड लेबर्स" को कंट्रोल करने के लिए है, लेकिन व्हाइट हाउस ने केस-बाय-केस एक्सेप्शन का प्रावधान रखा है अगर "नेशनल इंटरेस्ट" हो। फिर भी, कंपनियां जैसे JPMorgan रिस्क लेने को तैयार नहीं। यह प्रोक्लेमेशन 12 महीने के लिए है, लेकिन एक्सटेंशन संभव।

कर्मचारी अब कन्फ्यूज्ड हैं – कुछ रश में लौट रहे हैं, तो सफाई से राहत मिल रही है। लेकिन ओवरऑल, यह अमेरिकी इमिग्रेशन पॉलिसी का नया चैप्टर है। हाइप का अंत न हो – क्योंकि यह बदलाव ग्लोबल जॉब मार्केट को रीशेप कर रहा है!