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Nepal Protest: सोशल मीडिया प्रतिबंध के बाद फूटा जनता का गुस्सा, मंत्रियों के इस्तीफे से बढ़ा तनाव

विदेश डेस्क, नीतीश कुमार |

Nepal Protest: नेपाल में राजनीतिक संकट गहराया, सोशल मीडिया प्रतिबंध के बाद फूटा जनता का गुस्सा, मंत्रियों के इस्तीफे से बढ़ा तनाव

नेपाल की राजनीतिक स्थिति गंभीर मोड़ पर पहुंच गई है। सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध को वापस लेने के एक दिन के अंदर ही मंगलवार की सुबह से देश भर में फिर से प्रदर्शन तेज हो गए हैं। इस बीच सोमवार से लेकर अब तक दो मंत्रियों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है, जबकि आंदोलनकारी प्रधानमंत्री केपी ओली को हटाने की मांग पर अड़े हुए हैं।

सोशल मीडिया प्रतिबंध का मामला

नेपाल की सरकार ने गत सप्ताह 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रोक लगा दी थी। इनमें फेसबुक, व्हाट्सएप, एक्स, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे मुख्य प्लेटफॉर्म शामिल थे। यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि इन कंपनियों ने नेपाल के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में पंजीकरण की निर्धारित समय सीमा का पालन नहीं किया था।

जनता की नजर में यह फैसला अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रहार था और इससे सेंसरशिप का डर पैदा हुआ। हालांकि सरकार का कहना था कि इन प्लेटफॉर्म को नियंत्रण में लाने के लिए यह जरूरी था।

नेपाल कम्प्यूटर एसोसिएशन (सीएएन) ने चेतावनी दी थी कि फेसबुक, एक्स और यूट्यूब जैसे अहम प्लेटफॉर्म को एक साथ बंद करने से शिक्षा, कारोबार, संवाद और आम लोगों की दिनचर्या पर भारी असर पड़ेगा।

सोमवार की रात कैबिनेट की आपातकालीन बैठक के बाद सोशल मीडिया प्रतिबंध वापस लेने का निर्णय लिया गया। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सोमवार शाम घोषणा की कि सोशल मीडिया पर लगी पाबंदी हटा दी गई है।

खूनी सोमवार की घटना

सोशल मीडिया कंपनियों पर की गई कार्रवाई के खिलाफ सोमवार को व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसमें कम से कम 19 लोगों ने अपनी जान गंवाई।

स्कूली बच्चों समेत हजारों नौजवानों ने जेन जेड के नाम पर काठमांडू में संसद के सामने भारी प्रदर्शन किया और प्रतिबंध तुरंत हटाने के साथ सरकार विरोधी आवाज उठाई। स्थिति तब बिगड़ी जब यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसक रूप ले गया।
चश्मदीदों के अनुसार, पुलिस को भीड़ को बिखेरने के लिए पानी की तेज धार, आंसू गैस और गोलीबारी करनी पड़ी।
यह विरोध पोखरा, बुटवल, भैरहवा, भरतपुर, इटाहारी और दमक तक फैल गया।

ओली ने अपने बयान में सोमवार की हिंसा के लिए "अलग-अलग स्वार्थी समूहों की भूमिका" को जिम्मेदार ठहराया।

नेपाल सरकार सरकार के मुताबिक, सोमवार के आंदोलन में कम से कम 19 लोगों की जान चली गई और 250 से ज्यादा लोग घायल हुए। यह विरोध काठमांडू के अलावा अन्य शहरों में भी हुआ।

युवाओं का एक और समूह भी प्रदर्शन में शामिल हुआ, जिसने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर "नेपो किड" नाम से अभियान चलाया था।

हाल के दिनों में "नेपो किड" ट्रेंड सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें युवा राजनेताओं और प्रभावशाली व्यक्तियों के बच्चों पर "भ्रष्टाचार की कमाई से मिले विशेषाधिकार का फायदा उठाने" का आरोप लगाया जा रहा है।

मंत्रियों के इस्तीफे से बढ़ा संकट

समाचार एजेंसी पीटीआई ने नेपाली कांग्रेस के सूत्रों के हवाले से बताया कि नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने जानलेवा संघर्ष के बाद नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दिया है। वे प्रधानमंत्री ओली की गठबंधन सरकार में नेपाली कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि थे।
इसके बाद कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी ने युवा प्रदर्शनकारियों की मौत पर दुख जताया और कहा कि वे जवाबदेही के बिना अपने पद पर नहीं रह सकते।

उन्होंने कहा, "मेरे लिए यह बर्दाश्त के बाहर था कि मैं सत्ता में बैठकर इस सवाल का जवाब न ढूंढूं कि जिस पीढ़ी के साथ हमें मिलकर काम करना चाहिए, उसके साथ ऐसा बर्ताव हो रहा है जैसे कोई युद्ध छिड़ा हो। मैं अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं।"
उन्होंने स्पष्ट किया कि वे देश और जनता के प्रति नैतिक जिम्मेदारी के रूप में सरकार को अपना इस्तीफा सौंप रहे हैं और आधिकारिक दायित्व लेते हुए इस घटना के लिए माफी मांग रहे हैं।