
लोकल डेस्क, एन. के. सिंह।
प्रदर्शन रंगमंडल के हीरक जयंती समारोह 60वीं वर्षगांठ का हिस्सा है, जो देश-विदेश में भ्रमण कर रहा है। मोतिहारी में दुर्गा पूजा के रंग, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल के नाटकों का अद्भुत संगम।
पूर्वी चंपारण: अपनी हीरक जयंती समारोह (रंग षष्ठी) के अंतर्गत देश-विदेश में भ्रमण कर नाट्य प्रस्तुतियाँ देने वाला दिल्ली का राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल इन दिनों बिहार प्रवास पर है। यह प्रतिष्ठित रंगमंडल पटना, पूर्णिया और बेगूसराय जैसे शहरों में सफल मंचन करने के बाद, दुर्गा पूजा के उल्लास भरे माहौल में 29 सितंबर, सोमवार को मोतिहारी के महात्मा गांधी प्रेक्षागृह में ‘माई री मैं का से कहूं’ नाटक का प्रदर्शन किया। नाटक का उद्घाटन जिला कला संस्कृति पदाधिकारी फहद सिद्दीकी और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से आए नाट्य प्रबंधक अभिषेक मुद्गल द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। मंच का संचालन शिक्षक आदित्य मानस ने किया।
‘माई री मैं का से कहूं’ नाटक हिंदी के प्रसिद्ध लेखक विजयदान देथा की मार्मिक कहानी ‘दुविधा’ पर आधारित है। यह नाट्य प्रस्तुति एक स्त्री के अंतर्मन की दुविधा को अत्यंत संवेदनशील और प्रभावी ढंग से दर्शकों के समक्ष रखती है। संगीत और कलाकारों की अनूठी प्रस्तुति से सजा यह नाटक दर्शकों का केवल मनोरंजन ही नहीं करता, बल्कि उनके मन पर एक गहरा प्रभाव भी छोड़ता है। इस नाटक का निर्देशन अजय कुमार ने किया है, जिन्होंने इसके लिए संगीत भी संयोजित किया है।
मोतिहारी के नाट्य प्रेमियों के लिए मनोरंजन की यह श्रृंखला यहीं नहीं रुकती। महात्मा गांधी प्रेक्षागृह में अगले दो दिन दो और शानदार नाटकों का मंचन किया जाएगा। इनमें से पहला नाटक ‘बाबूजी’ है, जो हिंदी के प्रतिष्ठित कथाकार मिथिलेश्वर की कहानी पर आधारित है और जिसका नाट्य रूपांतरण विभांशु वैभव ने किया है। इस नाटक का निर्देशन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल के प्रमुख राजेश सिंह ने किया है। इसके बाद इस श्रृंखला का अंतिम नाटक ‘ताजमहल का टेंडर’ होगा, जिसे वरिष्ठ लेखक अजय शुक्ल ने लिखा है और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के वर्तमान निदेशक चित्तरंजन त्रिपाठी ने निर्देशित किया है। इन दोनों नाटकों का मंचन क्रमशः 30 सितंबर और 1 अक्टूबर को किया जाएगा, जो मोतिहारी के सांस्कृतिक पटल पर एक अविस्मरणीय छाप छोड़ने वाला है।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल की यह बिहार यात्रा उसकी 60वीं वर्षगांठ (हीरक जयंती) समारोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह समारोह अगस्त 2024 से शुरू हुआ है और 2026 तक चलेगा। इस दौरान मंडली भारत के विभिन्न शहरों—ग्वालियर, देहरादून, शिमला, जयपुर, बेंगलुरु और मुंबई—के साथ-साथ रूस, सिंगापुर, श्रीलंका और नेपाल जैसे देशों में भी अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी है, जिससे यह सिद्ध होता है कि रंगमंडल अपनी स्थापना के साठ वर्षों को कलात्मक ऊँचाई के साथ मना रहा है।