स्टेट डेस्क, नीतीश कुमार।
जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने तीन साल की लंबी तैयारी और हजारों किलोमीटर की पदयात्रा के बाद बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 243 उम्मीदवारों की घोषणा की थी। लेकिन अब उनकी सेना में सेंध लगती दिख रही है। खुद पीके ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्वीकार किया कि उनके कुछ उम्मीदवारों को मैदान से हटाने की साजिश चल रही है। उन्होंने इस साजिश के लिए सीधे तौर पर एनडीए, खासकर बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया। फिलहाल जन सुराज के 243 में से तीन उम्मीदवार मैदान से बाहर हो चुके हैं और अब 240 उम्मीदवार ही चुनावी रणभूमि में डटे हैं। पीके का कहना है कि इन्हीं योद्धाओं के सहारे वे नीतीश सरकार को उखाड़ फेंकेंगे।
पीके की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस से बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है। उन्होंने बताया कि पार्टी के तीन प्रत्याशी या तो नामांकन वापस लेने को मजबूर हुए या नामांकन दाखिल नहीं कर पाए। इन घटनाओं को उन्होंने बीजेपी से जोड़ते हुए लोकतंत्र पर हमला करार दिया और इसे ‘सूरत कांड’ जैसी साजिश बताया।
पीके के अनुसार, पार्टी के तीन उम्मीदवारों में दानापुर से अखिलेश कुमार उर्फ मुटुर साव के “किडनैप” होने की खबर झूठी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी नेताओं, जिनमें अमित शाह और धर्मेंद्र प्रधान शामिल हैं, ने उन्हें धमकाकर नामांकन से रोका। इसी तरह बक्सर की ब्रह्मपुर सीट से प्रत्याशी डॉ. सत्यप्रकाश तिवारी और गोपालगंज से डॉ. शशि शेखर सिन्हा पर भी बीजेपी नेताओं द्वारा दबाव बनाया गया। इसके अलावा वाल्मीकिनगर सीट से प्रत्याशी दृग नारायण प्रसाद पर जेडीयू नेताओं द्वारा दबाव डालने की बात भी कही गई।
प्रशांत किशोर ने कहा कि वह खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे, बल्कि संगठन और प्रचार की जिम्मेदारी संभालेंगे। उन्होंने इस बार महागठबंधन, खासकर आरजेडी पर नरमी दिखाई और भविष्यवाणी की कि महागठबंधन तीसरे स्थान पर रहेगा। पीके के मुताबिक, जन सुराज या तो 10 से कम या 150 से अधिक सीटें जीतेगा। उनके बयान से साफ है कि वह बिहार की राजनीति में त्रिकोणीय मुकाबला खड़ा करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।







