
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
प्रधानमंत्री मोदी नहीं जाएंगे अमेरिका,संयुक्त राष्ट्र की बड़ी मीटिंग से किया किनारा एस.जयशंकर करेंगे भारत का प्रतिनिधित्व
भारत ने इस साल संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाग नहीं लेने का फैसला किया है। उनकी जगह विदेश मंत्री एस. जयशंकर अमेरिका जाकर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। संशोधित वक्ताओं की सूची जारी होने के बाद इस फैसले की आधिकारिक जानकारी सामने आई। माना जा रहा है कि यह निर्णय अमेरिका के साथ चल रहे टैरिफ विवाद और बढ़ती कूटनीतिक दूरियों के बीच दिया गया एक रणनीतिक संदेश है।
पीएम मोदी की अनुपस्थिति – एक बड़ा संकेत
इस वर्ष फरवरी में प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका दौरे पर गए थे, जहाँ व्हाइट हाउस में उनकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ द्विपक्षीय बैठक हुई थी। उस समय दोनों देशों ने रणनीतिक सहयोग बढ़ाने की बात कही थी। लेकिन रूस से भारत की तेल खरीद पर अमेरिका द्वारा लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ ने संबंधों में तनाव पैदा कर दिया। अब, संयुक्त राष्ट्र महासभा में मोदी की अनुपस्थिति को ट्रंप प्रशासन के प्रति एक कूटनीतिक प्रतिक्रिया के तौर पर देखा जा रहा है।
बैठक की रूपरेखा
संयुक्त राष्ट्र महासभा का 80वां सत्र 9 सितंबर से शुरू होगा और इसके बाद उच्चस्तरीय बैठक 23 से 29 सितंबर तक चलेगी। इसमें पहले दिन ब्राजील महासभा को संबोधित करेगा और इसके बाद अमेरिका का नंबर आएगा। भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस बैठक में भारत की नीति, वैश्विक मुद्दों और बहुपक्षीय सहयोग को लेकर विचार रखेंगे।
भारत की स्थिति स्पष्ट
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने यह कदम अमेरिका को यह संकेत देने के लिए उठाया है कि टैरिफ को लेकर वह अपनी नीति पर दृढ़ है और किसी बाहरी दबाव में आने वाला नहीं है। साथ ही, भारत वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति बनाए रखते हुए बातचीत के दरवाज़े खुले रखना चाहता है।
रणनीतिक महत्व
भारत–अमेरिका संबंध रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और तकनीक जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग पर आधारित हैं। प्रधानमंत्री मोदी की अनुपस्थिति के बावजूद विदेश मंत्री की भागीदारी से यह संदेश गया है कि भारत वैश्विक मंच पर जिम्मेदारी निभाना जारी रखेगा, परंतु समानता और रणनीतिक हितों के आधार पर सहयोग चाहता है।
हालाँकि, यह फैसला भारत–अमेरिका संबंधों में आने वाले दिनों में नए समीकरण तय करेगा। दोनों देशों को व्यापारिक मतभेदों के बावजूद साझेदारी बनाए रखने की कोशिश करनी होगी। संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रहे जयशंकर के लिए यह अवसर भी है कि वह भारत की ऊर्जा सुरक्षा, बहुपक्षीय सहयोग और वैश्विक शांति के मुद्दों पर प्रभावशाली तरीके से अपनी बात रखें।
प्रधानमंत्री मोदी का संयुक्त राष्ट्र महासभा से दूर रहना सिर्फ एक औपचारिक निर्णय नहीं, बल्कि कूटनीतिक संतुलन का संकेत है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह वैश्विक मंचों पर अपनी भूमिका निभाता रहेगा, लेकिन अपने हितों से समझौता नहीं करेगा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस चुनौतीपूर्ण समय में भारत की आवाज़ बुलंद करेंगे।