
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में पुलिस विद्रोह, हालात बिगड़े; सरकार ने उतारे हजारों जवान.....
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं। पहले से ही आवामी एक्शन कमेटी के विरोध प्रदर्शन से जूझ रही शहबाज शरीफ सरकार को अब पुलिस के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। वेतन वृद्धि, जोखिम भत्ता और बेहतर सुविधाओं की मांग को लेकर स्थानीय पुलिसकर्मी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं।
पुलिसकर्मियों की नाराजगी
PoK के पुलिसकर्मियों ने पाकिस्तानी सरकार से कुल 11 मांगें रखीं थीं। इनमें बेसिक वेतन में बढ़ोतरी, ड्यूटी के दौरान जोखिम भत्ता, आवास की सुविधा और सरकारी योजनाओं का लाभ शामिल है। लेकिन सरकार ने उनकी मांगों को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद नाराज पुलिसकर्मियों ने हड़ताल का ऐलान करते हुए विरोध शुरू कर दिया।
कानून व्यवस्था चरमराई
पुलिसकर्मियों के सड़क पर उतरते ही PoK में कानून व्यवस्था पूरी तरह बिगड़ गई। सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी जिनके कंधों पर थी, वही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल बैठे। हड़ताल के बाद पूरे PoK में बंद का ऐलान किया गया है। इससे आम लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई जगहों पर बाजार बंद हैं और आवाजाही पर असर पड़ा है।
पाक सरकार ने भेजे 7,000 जवान
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पाक सरकार ने राजधानी इस्लामाबाद से करीब 7,000 पुलिसकर्मी और फ्रंटियर फोर्स के जवान PoK में तैनात किए हैं। इन जवानों को संवेदनशील इलाकों में तैनाती दी गई है। साथ ही इंटरनेट सेवाएँ बंद कर दी गई हैं ताकि विरोध प्रदर्शनों का दायरा और न बढ़ सके।
आम जनता भी उतरी सड़कों पर
PoK में पुलिस आंदोलन के साथ-साथ आवामी एक्शन कमेटी भी सक्रिय हो गई है। हजारों लोग सेना और सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कई जगहों पर लोगों ने चक्का जाम कर दिया है। जनता का कहना है कि सरकार उनकी समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है और क्षेत्र के विकास की बजाय सैन्य दमन को प्राथमिकता दे रही है।
पाक सरकार की मुश्किलें
शहबाज सरकार पहले से ही आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रही है। ऐसे में PoK में पुलिस और जनता का एक साथ विद्रोह उसके लिए गंभीर चुनौती बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह संकट पाकिस्तान की आंतरिक कमजोरी और प्रशासनिक विफलता को उजागर करता है।
PoK में पुलिस विद्रोह और जनता के गुस्से ने पाकिस्तान सरकार की नींव हिला दी है। हालात पर काबू पाने के लिए भारी फोर्स तैनात की गई है, लेकिन असली चुनौती लोगों की नाराजगी को शांत करना है। अगर सरकार ने समय रहते समाधान नहीं निकाला, तो यह आंदोलन और भी बड़ा रूप ले सकता है।