
नेशनल डेस्क, वेरोनिका |
जन्म से कांग्रेसी, मरते दम तक कांग्रेसी: RSS प्रार्थना गीत गाने पर D.K. शिवकुमार ने मांगी माफी, वफादारी दोहराई....
कर्नाटक के डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने मंगलवार को साफ कहा कि वे “जन्म से कांग्रेसी हैं और मरते दम तक कांग्रेसी ही रहेंगे।” विधानसभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का प्रार्थना गीत गाने को लेकर उठे विवाद के बाद उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी निष्ठा हमेशा कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के साथ रही है और रहेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर उनके कदम से किसी की भावनाएं आहत हुई हैं तो वे बिना झिझक माफी मांगने को तैयार हैं।
विधानसभा में क्यों गाया गया RSS प्रार्थना गीत?
मामला तब गरमाया जब 21 अगस्त को कर्नाटक विधानसभा में चिन्नास्वामी स्टेडियम में 4 जून को हुई भगदड़ पर चर्चा के दौरान शिवकुमार ने आरएसएस की प्रसिद्ध प्रार्थना ‘नमस्ते सदा वत्सले...’ की कुछ पंक्तियां पढ़ीं। विपक्षी भाजपा विधायकों ने मेजें थपथपाकर समर्थन जताया, जबकि कांग्रेस खेमे में खामोशी छा गई।
शिवकुमार ने बाद में सफाई दी कि उन्होंने यह गीत किसी विशेष राजनीतिक उद्देश्य से नहीं, बल्कि “संदर्भ के तौर पर” पढ़ा था। उन्होंने कहा, “मैं किसी से बड़ा नहीं हूं। मेरा जीवन सबको शक्ति देने और हर मुश्किल में साथ खड़े रहने के लिए है। अगर किसी को लगता है कि मेरे बोलने से ठेस पहुंची है, तो मैं माफी मांगता हूं। मैं किसी की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहता।”
कांग्रेस के भीतर उठे सवाल
इस घटना के बाद सीनियर कांग्रेस नेता बी.के. हरिप्रसाद ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि शिवकुमार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उन्होंने यह प्रार्थना बतौर डिप्टी सीएम पढ़ी थी या बतौर कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष। हरिप्रसाद ने कहा, “अगर यह कदम कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर उठाया गया है, तो उन्हें माफी मांगनी चाहिए।”
शिवकुमार की सफाई और माफी
पत्रकारों से बातचीत में शिवकुमार ने कहा, “मैं वफादार कांग्रेसी हूं। कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के प्रति मेरी निष्ठा पर कोई सवाल नहीं उठा सकता। अगर आपको लगता है कि मैंने कोई गलती की है, तो मैं अब भी माफी मांगने को तैयार हूं। सभी कांग्रेसियों और इंडिया गठबंधन के मित्र दलों को यदि मेरी बात से ठेस पहुंची है, तो मैं खेद प्रकट करता हूं।”
उन्होंने दोहराया, “मैं जन्म से कांग्रेसी हूं और मरते दम तक कांग्रेसी ही रहूंगा। मेरी वफादारी पर कोई शक नहीं किया जा सकता।”
क्यों बढ़ा विवाद?
कांग्रेस लंबे समय से RSS की विचारधारा की आलोचक रही है। ऐसे में कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता और राज्य के डिप्टी सीएम द्वारा सदन में RSS प्रार्थना का पाठ करना पार्टी के भीतर असहजता का कारण बन गया। भाजपा नेताओं ने इसे “विचारधारा की स्वीकृति” के तौर पर पेश करने की कोशिश की, जबकि कांग्रेस खेमे में यह सवाल खड़ा हुआ कि क्या शिवकुमार का यह कदम “किसी को प्रभावित करने की कोशिश” थी।
राजनीतिक संदेश क्या?
शिवकुमार का यह रुख साफ करता है कि वे पार्टी नेतृत्व और इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों को किसी भी प्रकार की गलतफहमी नहीं देना चाहते। उन्होंने बिना शर्त माफी मांगकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनकी प्राथमिकता कांग्रेस और गांधी परिवार के प्रति निष्ठा ही है, न कि किसी अन्य संगठन को खुश करना।
RSS प्रार्थना गीत पढ़ने को लेकर उठे विवाद के बीच शिवकुमार ने सियासी संतुलन साधने की कोशिश की। उन्होंने अपने बयान से साफ कर दिया कि कांग्रेस विचारधारा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता अडिग है और वे किसी भी परिस्थिति में पार्टी नेतृत्व के खिलाफ नहीं जाएंगे।