Ad Image
Ad Image
टाइफून मातमो तूफान को लेकर चीन में ऑरेंज अलर्ट, सेना तैयार || हमास बंधकों को करेगा रिहा, राष्ट्रपति ट्रंप ने गाजा पर बमबारी रोकने को कहा || पहलगाम हमले के बाद पता चला कौन भारत का असली मित्र: मोहन भागवत || भारत के साथ व्यापार असंतुलन कम करने का अपने अधिकारियों को पुतिन का आदेश || मेक्सिको की राष्ट्रपति शीनबाम की इजरायल से अपील, हिरासत में लिए मेक्सिको के नागरिकों को जल्दी रिहा करें || शास्त्रीय गायक पद्मविभूषण छन्नूलाल मिश्र का मिर्जापुर में निधन, PM मोदी ने दी श्रद्धांजलि || स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का कोई विकल्प नहीं: मोहन भागवत || अमित शाह ने कहा, देश अगले 31 मार्च तक नक्सलवादी लाल आतंक से मुक्त होगा || भारतीय क्रिकेट टीम ने जीता एशिया कप, PM समेत पूरे देश ने दी बधाई || तमिलनाडु: एक्टर विजय की रैली में भगदड़, 31 की मौत, 40 से ज्यादा घायल

The argument in favor of using filler text goes something like this: If you use any real content in the Consulting Process anytime you reach.

  • img
  • img
  • img
  • img
  • img
  • img

Get In Touch

SC से न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की याचिका खारिज

नेशनल डेस्क, श्रेयांश पराशर |

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की याचिका खारिज की, आंतरिक जांच को दी वैधता 

सुप्रीम कोर्ट ने कथित नकदी बरामदगी के मामले में फंसे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका के माध्यम से वर्मा ने आंतरिक जांच प्रक्रिया को चुनौती दी थी। न्यायालय ने जांच समिति की प्रक्रिया को कानूनी और संवैधानिक रूप से वैध ठहराया।

 सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ए. जी. मसीह शामिल थे, ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा द्वारा दायर उस रिट याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने आंतरिक जांच समिति की वैधता पर सवाल उठाए थे। वर्मा पर नकदी बरामदगी के आरोप लगे हैं, जिसके चलते उनके खिलाफ जांच शुरू की गई थी।

पीठ ने कहा कि घटना की जांच के लिए गठित आंतरिक जांच समिति की प्रक्रिया गैरकानूनी नहीं थी। समिति ने ईमानदारी से जांच प्रक्रिया को पूरा किया और तस्वीरें व वीडियो भी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गईं।

सुनवाई के दौरान अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मुख्य न्यायाधीश द्वारा प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र भेजना संवैधानिक रूप से अनुचित नहीं था। कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि भविष्य में जरूरत पड़ने पर न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ कार्रवाई का विकल्प खुला है।

पीठ ने कहा कि वर्मा की आंतरिक जांच में भागीदारी के बावजूद उनके आचरण से विश्वास नहीं पैदा हुआ, और इसी कारण समिति की रिपोर्ट को चुनौती देना अस्वीकृत किया गया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 30 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे अब सार्वजनिक किया गया।

यह फैसला न्यायिक व्यवस्था में पारदर्शिता और आंतरिक अनुशासन की पुष्टि करता है।