नेशनल डेस्क, आर्या कुमारी।
दिल्ली बम धमाकों से जुड़े तार सामने आने के बाद, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अल फलाह यूनिवर्सिटी को राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के आरोपों पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। वहीं, नैक (राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद) ने फर्जी रैंकिंग दिखाने के मामले में भी उसे नोटिस भेजा है। नियमों के उल्लंघन और संदिग्ध लोगों की नियुक्ति के आरोपों के चलते एआइयू ने भी विश्वविद्यालय को अपनी सूची से हटा दिया है। राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल पाए जाने पर विश्वविद्यालय की मान्यता रद्द हो सकती है।
दिल्ली धमाके के तार अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ने के बाद यूजीसी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए संस्थान को नोटिस भेजा है और आरोपों पर सफाई मांगी है। वहीं नैक ने वेबसाइट पर झूठी रैंकिंग प्रदर्शित करने के मामले में जवाब तलब किया है। सबसे गंभीर आरोप राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्तता का है, जिसके आधार पर मान्यता समाप्त की जा सकती है।
यूजीसी की सख्ती
अल फलाह यूनिवर्सिटी, जिसकी स्थापना मई 2014 में निजी राज्य विश्वविद्यालय के रूप में हुई थी, मेडिकल, इंजीनियरिंग और अन्य कोर्स संचालित करती है। सूत्रों के अनुसार, विश्वविद्यालय के खिलाफ कार्रवाई दो प्रमुख कारणों से हो सकती है—राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्तता और यूजीसी नियमों का उल्लंघन।
प्रशासन पर यह भी आरोप है कि उसने बड़ी संख्या में उन लोगों को नौकरी दी है जो अन्य जगहों से बर्खास्त या किसी मामले में आरोपी थे। साथ ही, नैक ने विश्वविद्यालय द्वारा वेबसाइट पर इंजीनियरिंग और शिक्षण से जुड़े कोर्सों की गलत रैंकिंग दिखाने के लिए नोटिस भेजा है।
फर्जी रैंकिंग और राष्ट्रविरोधी आरोपों से बढ़ी मुश्किलें
अल फलाह यूनिवर्सिटी ने खुद को नैक की ‘ए रैंकिंग’ का दावा किया था, जबकि वास्तविकता में उसके पास कोई रैंकिंग नहीं थी। विश्वविद्यालय की संदिग्ध गतिविधियों को देखते हुए भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआइयू) ने उसे अपनी सूची से हटा दिया है।
आयोग के अधिकारियों के अनुसार, प्रत्येक विश्वविद्यालय गठन के समय यह शपथ देता है कि उसका परिसर किसी राष्ट्रविरोधी गतिविधि के लिए इस्तेमाल नहीं होगा। ऐसे में, यदि कोई संस्थान इस शर्त का उल्लंघन करता है, तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है।







