
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
अमेरिका में औपचारिक रूप से शटडाउन, बजट पर सहमति न बनने से संकट गहराया....
अमेरिका की सरकार औपचारिक रूप से शटडाउन की स्थिति में पहुंच गई है। यह स्थिति तब बनी जब रिपब्लिकन पार्टी 21 नवंबर तक सरकार को वित्तपोषित करने के लिए बनाए गए अस्थायी विधेयक (शॉर्ट-टर्म फंडिंग बिल) को सीनेट से पारित कराने में विफल रही। यह अमेरिका के पिछले दो दशकों में पाँचवाँ बड़ा शटडाउन है।
सोमवार को व्हाइट हाउस की आधिकारिक वेबसाइट पर एक काउंटडाउन घड़ी लगाई गई थी, जिसे “डेमोक्रेट शटडाउन” का नाम दिया गया। इसमें कहा गया कि डेमोक्रेट पार्टी समझौते को लेकर तैयार नहीं है। जैसे ही मंगलवार की आधी रात को समय सीमा समाप्त हुई, सरकारी वित्त पोषण रुक गया और शटडाउन लागू हो गया।
शटडाउन क्या होता है?
अमेरिका में हर साल सरकार के कामकाज को चलाने के लिए संसद से बजट पास कराना जरूरी होता है। इसी से सरकारी कर्मचारियों का वेतन, विभागों का संचालन और अन्य खर्च पूरे होते हैं। यदि यह बजट या अस्थायी फंडिंग बिल पास नहीं हो पाता तो सरकार कानूनी रूप से धन खर्च नहीं कर सकती और कई विभाग बंद करने पड़ते हैं।
शटडाउन की स्थिति में लाखों सरकारी कर्मचारी बिना वेतन के घर बैठ जाते हैं। सिर्फ ज़रूरी सेवाएँ जैसे सेना, पुलिस और स्वास्थ्य आपातकालीन सेवाएँ जारी रहती हैं, जबकि राष्ट्रीय उद्यान, रिसर्च प्रोग्राम और कई प्रशासनिक कार्यालय बंद कर दिए जाते हैं।
राजनीतिक गतिरोध
वर्तमान शटडाउन की सबसे बड़ी वजह रिपब्लिकन पार्टी द्वारा सीनेट से अस्थायी फंडिंग विधेयक को पारित न करा पाना है। यह बिल सरकार को अस्थायी रूप से 21 नवंबर तक वित्तपोषित करता और नेताओं को स्थायी बजट पर बातचीत के लिए समय देता। लेकिन डेमोक्रेट और रिपब्लिकन के बीच रक्षा बजट, आप्रवासन और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को लेकर तीखी असहमति रही, जिसके कारण विधेयक पारित नहीं हो सका।
दोनों पार्टियाँ एक-दूसरे को इसके लिए दोषी ठहरा रही हैं। रिपब्लिकन का आरोप है कि डेमोक्रेट ने ज़रूरी फंडिंग रोक दी, जबकि डेमोक्रेट्स का कहना है कि रिपब्लिकन ने संतुलित और निष्पक्ष प्रस्ताव पेश ही नहीं किया। इस विवाद ने अमेरिकी राजनीति में ध्रुवीकरण और आपसी सहमति की कमी को और उजागर कर दिया है।
असर और चुनौतियाँ
इस शटडाउन का असर व्यापक रूप से दिखाई देगा। लाखों सरकारी कर्मचारियों का वेतन रुक जाएगा और गैर-जरूरी सेवाएँ बंद हो जाएँगी। विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक चले शटडाउन का सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। इससे उपभोक्ता विश्वास घटता है और पर्यटन, परिवहन, शोध जैसे क्षेत्र प्रभावित होते हैं।
हाल के वर्षों में 2018-19 का शटडाउन सबसे लंबा रहा था, जो 35 दिन तक चला और अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा शटडाउन माना गया। मौजूदा स्थिति भी लंबे समय तक खिंच सकती है अगर दोनों पार्टियाँ जल्द कोई समझौता नहीं करतीं।
फिलहाल दोनों पार्टियों पर समझौते का दबाव बढ़ गया है। अमेरिकी जनता लगातार सरकार पर यह सवाल उठा रही है कि बजट जैसे बुनियादी मुद्दे पर भी दोनों दल क्यों सहमत नहीं हो पा रहे। अगर यह गतिरोध लंबे समय तक चलता है तो सरकार की कार्यक्षमता और जनता का भरोसा दोनों पर असर पड़ेगा।
फिलहाल, अमेरिका अनिश्चितता के दौर में है जहाँ लाखों कर्मचारी, व्यवसाय और आम नागरिक समाधान का इंतज़ार कर रहे हैं।