मुस्कान कुमारी, हेल्थ डेस्क
अमेरिका में बर्ड फ्लू का पहला मानव मामला सामने आया है, जहां H5N5 स्ट्रेन ने एक व्यक्ति को अपनी चपेट में ले लिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है, जो वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय बन गया है। पक्षियों में फैलने वाला यह वायरस अब इंसानों तक पहुंच रहा है, जिससे महामारी का खतरा मंडराने लगा है। अप्रैल में मैक्सिको में H5N2 स्ट्रेन से एक 59 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो चुकी है, और अब अमेरिका का यह केस वैज्ञानिकों को सतर्क कर रहा है।
पक्षियों से इंसानों तक: बर्ड फ्लू का खतरनाक सफर
एवियन इन्फ्लुएंजा, जिसे बर्ड फ्लू के नाम से जाना जाता है, इन्फ्लुएंजा ए वायरस के कई स्ट्रेन से फैलता है। यह मुख्य रूप से जंगली जलपक्षियों से शुरू होता है, लेकिन मुर्गियां, बत्तख और टर्की जैसे पालतू पक्षियों को भी संक्रमित कर सकता है। दुनिया भर में मुर्गी फार्मों पर इसके प्रकोप ने लाखों पक्षियों के कत्ल का कारण बना है। इंसानों में संक्रमण दुर्लभ है, लेकिन संक्रमित पक्षियों के सीधे संपर्क से यह जानलेवा साबित हो सकता है। अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि प्रभावित व्यक्ति पक्षी संपर्क में था, लेकिन अभी तक मानव से मानव संक्रमण की कोई रिपोर्ट नहीं है।
संक्रमण कैसे फैलता है? सतर्कता की घंटी
बर्ड फ्लू संक्रमित पक्षियों से स्वस्थ पक्षियों में तेजी से फैलता है। दूषित सतहों, उपकरणों या बीमार पक्षियों के एरोसोल से यह फैलाव बढ़ जाता है। इंसानों के लिए खतरा तब बढ़ता है जब वे कच्चे या अधपके मुर्गे के मांस, अंडों को छुएं या खाएं। हाल के महीनों में अमेरिका और यूरोप के फार्मों पर इसके प्रकोप ने सैकड़ों हजारों पक्षियों को मार डाला है। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और पक्षियों के प्रवास से यह वायरस नए क्षेत्रों में पहुंच रहा है।
इंसानों में लक्षण: सर्दी से ज्यादा घातक
इंसानों में बर्ड फ्लू के लक्षण वायरस के स्ट्रेन पर निर्भर करते हैं। शुरुआत में बुखार, खांसी, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द और सिरदर्द जैसे सामान्य लक्षण दिखते हैं। लेकिन गंभीर मामलों में यह निमोनिया, सांस लेने में कठिनाई, एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम और कई अंगों की विफलता का कारण बन जाता है। कुछ मामलों में मौत भी हो सकती है। अमेरिकी केस में मरीज को तुरंत इलाज दिया गया, जिससे स्थिति नियंत्रण में आ गई। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि अगर पक्षियों के संपर्क में रहने वाले लोग इन लक्षणों को नजरअंदाज करेंगे, तो खतरा बढ़ सकता है।
रोकथाम के आसान उपाय: हाथ धोना ही पहला कदम
बर्ड फ्लू से बचाव के लिए मुर्गे या पक्षियों को संभालते समय सख्त स्वच्छता जरूरी है। साबुन से हाथ धोना, मुर्गे के उत्पादों को अच्छी तरह पकाना और बीमार पक्षियों से दूरी बनाना मुख्य सलाह है। किसानों को अपने फार्म पर बीमार पक्षियों को अलग रखना चाहिए और साफ-सफाई बनाए रखनी चाहिए। वैक्सीन का विकास चल रहा है, लेकिन अभी तक कोई सार्वभौमिक वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने किसानों और उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे सतर्क रहें और संदिग्ध लक्षणों पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
इलाज की उम्मीद: जल्दी पता चले तो बचेगी जान
बर्ड फ्लू का कोई विशेष इलाज नहीं है, लेकिन कुछ एंटीवायरल दवाएं वायरस के कुछ स्ट्रेन पर असरदार साबित हो सकती हैं। इलाज का आधार लक्षणों को नियंत्रित करना और जटिलताओं से निपटना है। अगर शुरुआती चरण में पहचान हो जाए, तो मरीज की जान बचाई जा सकती है। अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी ने बताया कि प्रभावित व्यक्ति को एंटीवायरल दवा दी गई, जिससे रिकवरी तेज हुई। लेकिन देरी से इलाज घातक हो सकता है।
मुर्गे का मांस खाना सुरक्षित? हां, लेकिन शर्त के साथ
बर्ड फ्लू के प्रकोप के दौरान भी अच्छी तरह पके हुए मुर्गे के मांस और अंडों को खाना सुरक्षित है। कम से कम 70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर पकाने से वायरस नष्ट हो जाता है। लेकिन कच्चा या अधपका मांस बिल्कुल न खाएं। बाजार से ताजा उत्पाद लें और पैकेजिंग चेक करें। विशेषज्ञों ने उपभोक्ताओं को सलाह दी है कि वे विश्वसनीय स्रोतों से ही खरीदारी करें।
महामारी का डर: मानव संक्रमण अभी सीमित, लेकिन सतर्कता जरूरी
बर्ड फ्लू से महामारी का खतरा कम है क्योंकि यह इंसान से इंसान में आसानी से नहीं फैलता। ज्यादातर केस पक्षियों से सीधे संपर्क से होते हैं। लेकिन वैज्ञानिक चिंतित हैं कि वायरस उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) कर मानव संक्रमण को आसान बना सकता है। इतिहास में H5N1 स्ट्रेन ने कई छोटे प्रकोप पैदा किए हैं, लेकिन वैश्विक महामारी नहीं बनी। फिर भी, निगरानी और अनुसंधान तेज करने की जरूरत है।







