
विदेश डेस्क, नीतीश कुमार।
अमेरिका में शटडाउन का खतरा मंडरा रहा है। अगर विपक्ष नहीं माना तो मंगलवार रात से सरकारी कामकाज ठप हो सकता है और करीब 9 लाख कर्मचारियों को जबरन छुट्टी पर भेजा जा सकता है। मंगलवार रात फंडिंग बिल पर वोटिंग होनी है। यदि बुधवार रात 12 बजे तक यह पास नहीं हुआ तो ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में पहली बार सरकारी फंडिंग रुक जाएगी, जिसे ‘गवर्नमेंट शटडाउन’ कहा जाता है।
दरअसल, डेमोक्रेट और रिपब्लिकन ओबामा हेल्थ केयर सब्सिडी प्रोग्राम को लेकर आमने-सामने हैं। डेमोक्रेट्स चाहते हैं कि स्वास्थ्य बीमा पर सब्सिडी बढ़ाई जाए, जबकि रिपब्लिकन को आशंका है कि इससे सरकारी खर्च बढ़ेगा और अन्य काम प्रभावित होंगे। सोमवार को राष्ट्रपति ट्रम्प और डेमोक्रेटिक नेताओं की व्हाइट हाउस में बैठक भी बेनतीजा रही।
अमेरिका का वित्तीय वर्ष 1 अक्टूबर से शुरू होता है। इसी दौरान बजट तय किया जाता है कि पैसा सेना, शिक्षा या स्वास्थ्य पर कितना खर्च होगा। यदि नया बजट समय पर पारित न हो तो सरकार बंद हो सकती है।
डेमोक्रेट सांसद चक शूमर का कहना है कि अब फैसला ट्रम्प पर निर्भर करता है। वहीं, पीटर वेल्च ने कहा कि देश स्वास्थ्य संकट से गुजर रहा है, ऐसे में राष्ट्रपति को कांग्रेस का फैसला मानना चाहिए। दूसरी ओर रिपब्लिकन नेताओं ने शूमर पर आरोप लगाया कि वे जानबूझकर फंडिंग बिल रोक रहे हैं। सांसद जोश हॉली ने कहा कि शटडाउन का हेल्थ सब्सिडी से कोई संबंध नहीं है, जबकि एरिक श्मिट ने कहा कि शूमर ट्रम्प के साथ काम करने से बच रहे हैं।
यदि शटडाउन होता है तो सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह से लेकर कई खर्च रुक जाएंगे। हालांकि मेडिकल सेवाएं, सीमा सुरक्षा और हवाई सेवाएं जारी रहेंगी। पिछले 50 वर्षों में अमेरिका 20 बार शटडाउन झेल चुका है। ट्रम्प के पिछले कार्यकाल में भी 3 बार ऐसा हुआ था। 2019 का शटडाउन सबसे लंबा 35 दिन चला, जिससे अर्थव्यवस्था को 25 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
2013 में शटडाउन के दौरान कनाडा सीमा की देखरेख के लिए केवल एक व्यक्ति तैनात था और सभी कब्रिस्तान बंद कर दिए गए थे। 2018 में वेतन न मिलने से एयरपोर्ट पर कर्मचारी काम पर नहीं आए, जिससे उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। उसी दौरान FBI डायरेक्टर ने चेतावनी दी थी कि उनके पास कामकाज चलाने के लिए पैसे नहीं बचे हैं।